बालचंद्र की मौत पर एक बड़ा सवाल....... किस बीमारी के कारण हुई बालचंद्र की मृत्यु ?


शिवपुरी जिला अस्पताल में हुई बालचंद्र लोधी की दर्दनाक मृत्यु से समूचा मध्यप्रदेश शर्मसार हो गया था | बालचंद्र की मृत्यु के पश्चात् मीडिया के माध्यम से उजागर हुई तस्वीरों को जिसने देखा उसने इस अमानवीय कृत्य की कठोर शब्दों में निंदा की | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित तमाम नेतागण इस मुद्दे पर सक्रिय नजर आये | शिवपुरी कलेक्टर ने कुछ लोगों को सस्पेंड करने का आदेश दिया | तमाम समाचार पत्रों, टीवी चैनलों व अन्य समाचार माध्यमों ने इसे टीबी के चलते मृत्यु बताया पर बालचंद्र के परिजनों के अनुसार उसे टीवी थी ही नहीं | अब जो बड़ा सवाल उठना लाजिमी है कि बालचंद्र को आखिर क्या बीमारी थी ? किस बीमारी का इलाज जिला चिकित्सालय विगत चार माह से कर रहा था ?

मध्य प्रदेश के श‍िवपुरी जिला चिकित्सालय में लापरवाही का एक ऐसा प्रकरण सामने आया जिसमें सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत हो जाती है तो उसे बेड पर 5 घंटे रखा जाता है | इस दौरान शव की आंखों में चींट‍ियां घुसती रहती हैं लेक‍िन उस तरफ से हर कोई लापरवाह बना रहता है | जिसने भी ये दृश्य देखा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए | मीडिया के माध्यम से जब इस अमानवीय कृत्य को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया गया तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए ल‍िखा, "शिवपुरी के ज‍िला अस्पताल में एक मरीज की मौत होने पर उसके शव पर चींटियां चलने व इस घटना पर बरती गई लापरवाही की घटना बेहद असंवेदनशीलता की परियाचक है | ऐसी घटनाएं मानवता व इंसानियत को शर्मसार करती हैं, ऐसी घटनाएं बर्दाश्त कतई नहीं की जा सकती हैं | घटना की जांच के आदेश दे द‍िए गए हैं | जांच में दोषी व लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्यवाही के निर्देश द‍िए गए हैं |" सीएमएचओ डॉक्टर अर्जुन लाल शर्मा ने कहा कि वो इस मामले की जांच करवाएंगे और मामले में जो भी स्टाफ दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी | सीएम तक मामला पहुंचते ही कुछ ही घंटों में इस पर कार्रवाई हो गई ऐसा प्रचारित भी किया गया | कहा गया कि इस मामले में सिविल सर्जन, एक डॉक्टर और 3 नर्सों को सस्पेंड कर दिया है | परन्तु ऐसा फ़िलहाल नहीं हुआ है | मामले में अभी तक केवल नर्सों को हटाया जाना बताया गया है | न ही सिविल सर्जन और न ही ड्यूटी डॉक्टर को हटाया गया है |

किस बीमारी ने ली बालचंद्र की जान ?

जैसा कि बताया जा रहा है कि बालचंद्र की मौत टीबी की बीमारी के चलते हुई इसमें कितनी सच्चाई है यह मृतक के परिजनों से बातचीत में पता चली | मृतक के परिजनों के अनुसार बालचंद्र को टीबी की बीमारी थी ही नहीं बल्कि बालचंद्र पेट दर्द की बीमारी से ग्रसित थे और उन्हें भूख नहीं लगती थी जिसका इलाज जिला चिकित्सालय में चार माह से चल रहा था | परिजनों के अनुसार इस दौरान सरकारी अस्पताल में तमाम जांचें भी हुई जिसके एवज में उनसे पैसे भी लिए गए थे | इस दौरान लम्बी लाइन में मृतक को सुबह 9 बजे से दोपहर के तीन बजे तक खड़ा रखा जाता था | परिजनों ने यह भी बताया कि बीमारी के इलाज के दौरान कई जांचें सरकारी अस्पताल के बाहर कराने को डॉ. जैन ने कहा | 

मृतक की मृत्यु के बाद लाश को घर तक लाने के लिए दिए पैसे 

परिजनों के अनुसार बालचंद्र की मृत्यु के पश्चात् उनकी लाश को घर तक लाने हेतु परिजनों ने 400 रुपये प्रायवेट वाहन को दिए | जिसके बाद बालचंद्र की लाश उनके घर तक पहुँच पायी | परिजनों ने यह भी बताया कि यह प्रायवेट वाहन अस्पताल परिसर में ही खड़ा हुआ था | 

जिला क्षय अधिकारी के अनुसार जिला क्षय चिकित्सालय को नहीं थी बालचंद्र की बीमारी के बारे में कोई भी जानकारी 

जब इस विषय के बारे में जिला क्षय अधिकारी आशीष व्यास से चर्चा की गयी तो उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में यदि कोई भी इस प्रकार का भर्ती होता है तो उसको जिला क्षय चिकित्सालय इलाज के लिए भेजना चाहिए एवं ऐसे मरीज की सूचना देनी चाहिए परन्तु हमें उसकी बीमारी से अवगत नहीं कराया गया अतः टीबी की बीमारी थी यह कहा नहीं जा सकता है | चाहें कोई भी मरीज टीबी का हो, उसका चाहें सरकारी अथवा प्रायवेट अस्पताल में इलाज किया जा रहा हो ऐसे मरीज की सूचना जिला क्षय अधिकारी को देना बेहद आवश्यक है जिससे उसकी जाँच एवं समुचित इलाज किया जा सके | आशीष व्यास ने इस दौरान यह स्वीकार किया कि जिला क्षय चिकित्सालय के साथ जिला चिकित्सालय का कोर्डिनेशन १०० प्रतिशत नहीं है | आशीष व्यास ने यह भी कहा कि आखिर क्यों जिला चिकित्सालय में ही जिला क्षय केंद्र की लैब स्थापित नहीं की जाती जबकि यह मेडिकल कॉलेज का अस्पताल है | आशीष व्यास जी की बातें सुनने के बाद किसी के भी मन में यह प्रश्न उठेगा ही उठेगा कि चार माह से आखिर क्यों जिला चिकित्सालय ने बालचंद्र को टीबी होने के बाद भी जिला क्षय चिकित्सालय को उसकी बीमारी से अवगत नहीं कराया ? 

सिविल सर्जन ने भी बीमारी को लेकर पल्ला झाड़ा, कहा मुझे जानकारी नहीं है 

सिविल सर्जन पीके खरे के अस्वस्थ होने पर सिविल सर्जन का भार संभाल रहे डॉ. एम् एल अग्रवाल से जब यह सवाल पूछा गया कि आखिर मृतक को बीमारी क्या थी तो उन्होंने जवाब में कहा कि यह में केस देख कर बता पाऊंगा | यह जाँच का विषय है कि उसे बीमारी क्या थी ? जांच चल रही है, जाँच होने के बाद ही में कुछ कह पाउँगा | में यह सब देखूंगा कि चार माह से उसका किस बीमारी का इलाज जिला चिकित्सालय में किया जा रहा था | में अभी कल ही ज्वाइन हुआ हूँ अतः में यह कह नहीं पाउँगा कि आखिर बालचंद की मृत्यु किस बीमारी से हुई | 

प्रभारी सिविल सर्जन ने स्वीकारा कि सिविल सर्जन एवं डॉ. राजपूत का नहीं हुआ है निलंबन 

भले ही शिवपुरी कलेक्टर, समूचे समाचार पत्रों एवं तमाम नेता गण इस बात को कह रहे हों कि सिविल सर्जन खरे एवं डॉ. राजपूत का निलंबन हो चुका है परन्तु डॉ. एम् एल अग्रवाल से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या डॉ. खरे एवं डॉ. राजपूत का निलंबन हो चुका है तो उन्होंने कहा कि इसका कोई लिखित आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है | केवल कुछ नर्सों का निलंबन ही किया गया है | 


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