कमलनाथ युग अर्थात राष्ट्रद्रोहियों की पौबारह !



चुनाव के पूर्व कमलनाथ का एक बयान सुर्ख़ियों में आया था, जिसमें वे मुस्लिम समाज की एक बैठक में कह रहे थे कि केवल आपके एकजुट होकर वोट देने से ही कांग्रेस सरकार में आ सकती है, और अगर ऐसा हुआ तो आपका महत्व माना जाएगा | 

श्योपुर में आजकल जो कुछ हो रहा है, उससे यही ध्वनित हो रहा है कि कमलनाथ सरकार अपना चुनाव पूर्व का वायदा पूरा कर रही है और तुष्टीकरण चरम पर पहुँच चुका है | 

श्योपुर के एक शासकीय शिक्षक है हसन खान | चित्र देखकर ही पाठकों को समझ में आ गया होगा कि ये कैसे शिक्षक होंगे | गले में तिरंगा पटका डाले ये महाशय कांग्रेसी नेता ही ज्यादा प्रतीत होते हैं | शासकीय शिक्षक रहते हुए भी इन महाशय ने 27 सितम्बर को एक पोस्ट डाली जिसका मजमून बहुत खतरनाक संकेत दे रहा है | इसने लिखा – 

कश्मीरी अवाम पर जुल्म करना बंद करो, वर्ना हम भारत के मुसलमान पूरे भारत को करबला बना देंगे नारयतकबीर अल्लाहू अकबर | 


स्वाभाविक ही इसकी प्रतिक्रिया हुई और देशभक्त नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन कर इसके खिलाफ कार्यवाही की मांग की | सैकड़ों लोगों द्वारा एस पी कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया कि हसन खान को शासकीय सेवा से प्रथक किया जाकर उसके खिलाफ रासुका के अंतर्गत कार्यवाही की जाए | 

बात अगर यहीं ख़तम हो जाती तो शायद इसे एक सरफिरे की कारस्तानी मानकर नजरअंदाज किया जा सकता था | किन्तु प्रशासन ने जो रुख अपनाया वह कांग्रेस के चरित्र का जीता जागता नमूना है | 

एस पी अगर चुपचाप ज्ञापन ले लेते तो बात आई गई हो जाती, किन्तु उन्होंने सारी हदें पार करते हुए सीधे शिक्षक का बचाव करते हुए कहा कि शिक्षक पर यह पहली एफआईआर है, और रासुका के लिए आपराधिक रिकॉर्ड चाहिए | अतः रासुका लगाना संभव नहीं है | 

वे इतने पर ही नहीं रुके आगे बोले कि रासुका तो भाजपा जिला महामंत्री रामलखन नापाखेडली पर लग सकती है, क्योंकि उन पर एक से अधिक मुकदमे दर्ज हैं | 

प्रत्युत्तर में रामलखन ने तुरंत बयान जारी किया – 

जिन प्रकरणों की पुलिस अधीक्षक बात कर रहे हैं, वे जनसमस्याओं को लेकर किये गए आन्दोलनों के एवज में लादे गए थे और उनमें भी मैं अधिकाँश में बरी हो चुका हूँ | अगर देशहित की बात उठाने और जनसमस्याएं उठाने पर रासुका लगती है, तो स्वागत है | 

अब इस घटनाचक्र से दो बातें साफ़ हैं | पहली तो यह कि ऐसा प्रतीत होता है कि हसन खान जैसे लोगों के कारण ही पाकिस्तानी प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में यह कहा कि भारत के अठारह करोड़ मुसलमान भारत के खिलाफ हथियार उठाने को तैयार बैठे हैं | सवाल उठता है कि ऐसी मानसिकता को समय रहते कुचलना जरूरी है या नहीं ? 

दूसरी बात यह कि कमलनाथ सरकार की तुष्टीकरण नीति के चलते ही श्योपुर एसपी की इतनी हिम्मत हुई कि वह एक अराष्ट्रीय गतिविधि का परोक्ष समर्थन करते दिखाई दिए | अगर भाजपा शासन होता तो क्या वे महाशय इतनी हिम्मत कर पाते ? 

पाठकों पर निर्भर है कि वे किसे धिक्कारें – 

हसन खान को... 

उसका परोक्ष बचाव करने वाले एस पी को ... 

या फिर कमलनाथ को, जिनके द्वारा इस प्रकार के अधिकारी नियुक्त किये गये हैं ? 

सबसे ख़ास बात यह कि ऐसी घटनाओं पर कांग्रेस की चुप्पी बहुत कुछ कहती है |
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें