नेतृत्व शून्य शिवपुरी और यहाँ के अचर्चित प्रागैतिहासिक शैलचित्र

SHARE:

मध्य प्रदेश के रायसेन में मौजूद भीमबेटका गुफा (भीमबैठका) कितनी मशहूर है, यह सब जानते हैं । और क्यों न हो, आखिर भीमबेटका गुफ़ाओं में शैल...

मध्य प्रदेश के रायसेन में मौजूद भीमबेटका गुफा (भीमबैठका) कितनी मशहूर है, यह सब जानते हैं । और क्यों न हो, आखिर भीमबेटका गुफ़ाओं में शैल चित्र 12000 साल पुराने जो माने जाते है। भीमबेटका गुफ़ाओं की विशेषता यह है कि यहाँ की क़रीब 500 गुफ़ाओं की दीवारों पर उकेरी गईं अधिकांश तस्वी रें, पाषाण युग की गवाही देती हैं और उस काल खंड के जीवन को दर्शाती हैं। इन शैलचित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। भीमबेटका गुफ़ा भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम चिन्ह हैं।

यह तो हुई भीम बेटका की बात परन्तु बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि भीम बेटका से भी प्राचीन शैल चित्र शिवपुरी में भी मौजूद है। और यह कोई बडबोलापन नहीं है, इस बात की पुष्टि स्वयं भीम बेटका की खोज करने वाले पद्म श्री स्व. डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। परन्तु दुर्भाग्य से इस तथ्य को प्रचारित ही नहीं किया गया ।

आज शिवपुरी के ख्यातनाम कवि व फोटोग्राफर स्व. हरी उपमन्यु जी की 85 वी जयंती है, जिनके द्वारा सबसे पहले इन शैलचित्रों की जानकारी दुनिया को मिली।

आईये जानते हैं शिवपुरी के इन शैल चित्रों के विषय में –

मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की भूमि पर प्रागैतिहासिक काल के मनुष्यों के स्मृति चिन्ह शैलचित्रों के रूप में आज भी सुरक्षित है । ये शैल चित्र माधव राष्ट्रीय उधान में टुंडा भरका खो के निकट और बिची बाजार में “चुड़ैलछाज” नामक स्थान पर विद्यमान है । सुप्रसिद्ध पुरातत्व विशेषज्ञ श्री रविन्द्र डी. पांड्या के शब्दों में –

“चुड़ैल चट्टानों की यह मौन चित्रशालायें तात्कालिक आदिमानव की संघर्षमय कहानी कह रही थी । मानव ने प्रकृति पर जन्म लेने के पश्चात अपनी असहाय स्थिति को देखा । प्रकृति की महान शक्तियों के सम्मुख उसकी नगण्य चेतना जागृत हुई और उसने अपने उदर की क्षुधा शांत करने के लिए अनेक प्रयत्न किये । उसने पर्वत की कंदराओं को अपना निवास बनाया और अनगढ़ प्रस्तर खण्डों को काट कर आखेट के हथियार बनाए । इन कंदराओं को गर्म व प्रकाशित करने के लिए उसने पशुओं की चर्बी व लकड़ियों को जलाया । उसने गुफाओं के धूमिल प्रकाश में अपनी जीवन की सरस तथा सरल अभिव्यक्ति तूलिका के माध्यम से खुरदुरी चट्टानों गुफाओं की दीवारों तथा चट्टानों के ऊपरी भागों पर चित्रों के रूप में अंकित कर दीं । चुड़ैल छज्जों में प्रागैतिहासिक कालीन महत्वपूर्ण चित्रों के असंख्य उदाहरण यहाँ देखने में आये है ।”

चुड़ैल छज्जों में चित्रकला का मुख्य विषय आखेट है । इसके अतिरिक्त सूअर, बारहसिंघों, जंगली भैसों, ज्यामितिक रेखांकन डिजाईन आदि के चित्र यथार्थ रूप में चित्रित करने का प्रयास किया है । गेरूआ रंग आज दिन तक चट्टानों पर अपनी मौलिकता बनाए हुए है । संभवतः चर्बी के साथ गेरू रंग को मिश्रित कर रेखांकन किया हो । यहाँ के कुछ चित्र ताजे रूप में अभी भी चमकते दिखाई पड़ते है ।

चट्टानों के धरातल पर दौड़ते-भागते हिरण, आखेट करती मानवाकृतियाँ विजय सिद्धि के लिये जादू-टोना, स्वास्तिक चिन्ह व हाथ के छापे गेरू रंग से उकेरे गए हैं। एक जगह पर नृत्यरत पुरुषाकृति जिसके हाथ में डमरू है- पशुपति शिव की आकृति है। इस प्रकार ये शैलाश्रय मानव-विकास की आधारभूत कड़ी है। इन चित्रों द्वारा संस्कृति और सभ्यता का बोध होता है।

लेखक श्री रविन्द्र डी. पांड्या का एक लेख साप्ताहिक हिन्दुस्तान के २२ फरवरी १९८७ के अंक में पृष्ठ क्रमांक ३४ एवं ३५ पर प्रकाशित है । इस लेख में स्पष्ट होता है कि शैल चित्रों की खोज सन 1934 को नरवर में जन्में सुप्रसिद्ध छायाकार श्री हरि उपमन्यु जी ने की थी। हरि उपमन्यु को पर्यटन और साहित्य से खासा लगाव रहा। यही कारण रहा कि वे जिले के दूरस्थ ग्रामों में बाइक पर सवार होकर नित नई खोज किया करते थे। जानकारों की मानें तो जिला प्रशासन को इतिहास से जुड़ी कई अहम जानकारियां उन्हीं ने उपलब्ध करवाई। वे तीन साल तक आयोग मित्र भी रहे, जबकि साल 1990 में उन्हें उल्लेखनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति वेंकट रमन के हाथों राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया। उन्होंने नगर के फिजीकल स्थित तात्याटोपे शासकीय स्कूल को एक अलग पहचान भी दी वे उसकी देखभाल अपने निजी स्कूल की तर्ज पर किया करते थे। उन्ही के आमंत्रण पर रविन्द्र डी. पंड्या शिवपुरी पधारे थे । उनके अनुसार शिवपुरी के ये शैलचित्र लगभग ८००० वर्ष पुराने है । लेखक ने जिन शैल चित्रों का उल्लेख चुड़ैल के छज्जों के रूप में किया है वे राष्ट्रीय उद्यान में टुंडा भरका खो के 6 किलोमीटर के क्षेत्र में कहीं स्थित है । इन शैल चित्रों के बारे में श्री हरि उपमन्यु जी ने तब खोज की थी जब एक शेरनी के द्वारा एक बैल का शिकार कर लिया गया था और वे उस शिकार हुए बैल का चित्र लेने यहाँ पहुंचे थे । इन शैल चित्रों के निकट शेरनी अपने शिकार के साथ फोटो खिचवाने के लिए उपस्थित थी । यह संयोग ही था कि कुछ ग्रामीणों ने इन छज्जों की और जाने से उन्हें रोका था, क्यूंकि यहाँ के चित्र चांदनी रात में चमकते थे और ग्रामीणों में मान्यता थी कि ये चित्र चुडैलों (भूतनियों या प्रेतात्माओं) के द्वारा बनाए गए है ।चित्रों के प्रति उपमन्यु जी की जिज्ञासा ने खोज का रूप लिया और इस खोज का प्रकाशन एक लेख के रूप में हुआ । बाद में सुप्रसिद्ध पुरात्तववेत्ता रविन्द्र डी. पंड्या को शिवपुरी बुलाया गया ।

साप्ताहिक हिन्दुस्तान साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित उल्लेखित दोनों लेखों को पढ़कर प्रसिद्ध पुरात्तववेत्ता पद्मश्री स्व. बाकणकर जी भी शिवपुरी पधारे थे और उन्होंने इन शैल चित्रों का अवलोकन कर कहा कि –

“मैंने अपने जीवन में इतने प्राचीन शैल चित्र प्रथम बार देखे है ।”

श्री बाकणकर जी के द्वारा कहे गए यही शब्द जिज्ञासा पैदा करते है कि क्या शिवपुरी स्थित यह शैल चित्र भीमबेटका स्थित शैल चित्रों से भी प्राचीन है ?

भीम बेटका विश्वस्तर पर प्रचारित हो चुका है । शिवपुरी की इन चित्रशालाओं में चित्रलिपि में सात पंक्तियाँ अंकित है जो इसे अधिक महत्वपूर्ण बनाती है । दीवारों पर लिखी हुई इस लिपि को पढ़कर बाकणकर जी कहते है “श्री कृष्ण अपने साथियों की रक्षा करें” उनकी यह सोच थी कि यहाँ कभी भगवान् कृष्ण पधारे थे और इस गुफा में सोते हुए संत को अपना पीताम्बर उड़ा कर विलुप्त हो गए थे । अफ़सोस है कि समुचित प्रचार प्रसार के अभाव में इन चित्रशालाओं तक आम पर्यटक की पहुँच भी नहीं हो पाती है, विदेशी सैलानियों की बात तो जाने ही दें ।

दुःख और बढ़ जाता है जब कोई नौजवान क्षेत्रीय सांसद को ये सारे दस्तावेज उपलब्ध कराये, और वे रद्दी की टोकरी में पहुँच जाएँ । इसे शिवपुरी का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यहाँ के जन प्रतिनिधियों को थोथी राजनीति से ही फुरसत नहीं है। उन्हें शिवपुरी की इस अमूल्य धरोहर की कीमत ही नहीं समझ में आ रही, जिसके कारण शिवपुरी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है। पूर्ववर्ती नेताओं की बात तो समझ में आती है, क्योंकि अगर ये शैलचित्र चर्चित हो गए, तो उनके पूर्वजों की छतरियों को देखने कौन जाएगा ? लेकिन वर्तमान सांसद महोदय को भी केवल अपनी चंदेरी की ही चिंता है, वे उसे ही विश्व पर्यटन नक़्शे पर लाने की चिंता में दुबले हो रहे हैं । वे भूल चुके हैं कि शिवपुरी भी उनके ही संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, उनका कर्तव्य है कि वे इसकी भी सुध लें ।

खैर आज तो सोशल मीडिया का युग है, हम ही आवाज उठाते हैं और अपने स्तर पर स्व. हरि उपमन्यु जी की इस ऐतिहासिक खोज को अपने स्तर पर पहचान दिला कर स्व. हरी उपमन्यु जी को सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं ।

(स्त्रोत - श्री अरुण अपेक्षित लिखित "शिवपुरी - अतीत से आज तक")

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,10,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,89,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1125,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,892,शिवपुरी समाचार,312,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : नेतृत्व शून्य शिवपुरी और यहाँ के अचर्चित प्रागैतिहासिक शैलचित्र
नेतृत्व शून्य शिवपुरी और यहाँ के अचर्चित प्रागैतिहासिक शैलचित्र
https://1.bp.blogspot.com/-a7aj0CXrMM8/XcQei6DSCuI/AAAAAAAALeM/I6WwU6oyuPI5-4QEhJmhGHvihmc4EvE_gCNcBGAsYHQ/s1600/shailchitra.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-a7aj0CXrMM8/XcQei6DSCuI/AAAAAAAALeM/I6WwU6oyuPI5-4QEhJmhGHvihmc4EvE_gCNcBGAsYHQ/s72-c/shailchitra.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2019/11/Leadership-minus-Shivpuri-and-the-famous-prehistoric-rock-paintings-here.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2019/11/Leadership-minus-Shivpuri-and-the-famous-prehistoric-rock-paintings-here.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy