शिवपुरी समाचार - अतिक्रमण विरोधी मुहिम में भी साम्प्रदायिक भेदभाव !



इन दिनों केवल शिवपुरी में ही नहीं, समूचे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर दबंगों और भू माफियाओं के कब्जे से शासकीय भूमि छुड़ाई जा रही है। किन्तु शिवपुरी में यह मुहीम महज राजनैतिक बदले की भावना का भोंडा प्रदर्शन भर प्रतीत हो रहा है। अन्यथा क्या कारण है कि शासकीय भूमि पर हुआ शिवपुरी शहर का सबसे बड़ा अतिक्रमण आज भी कार्यवाही की जद से बाहर है। आम जन यह सवाल पूछ रहा है कि शिवपुरी में ईदगाह पर हुआ अतिक्रमण हटाने की करवाई कब शुरू होगी ? कलेक्टर अनुग्रह पी, एसडीएम अतेन्द्र सिंह गुर्जर, डिप्टी कलेक्टर मंनोज गरवाल, सीएमओ केके पटेरिया से क्षेत्रीय जनता ने एक बार नहीं कई बार निवेदन किया है कि इस सरकारी जमीन पर बनी अबैध दुकानें हटाई जाएँ, इस शासकीय भूमि की कीमत करोडो में है, लेकिन उनके आवेदन लगता है, रद्दी की टोकरी में ही फेंके गए है।

स्मरणीय है कि शिवपुरी की पॉश कॉलोनी गोविन्द नगर के सामने झांसी रोड पर बिना किसी शासकीय अनुमति के पहले तो योजनाबद्ध रूप से ईदगाह के चारों और ऊंची बाउंड्री बॉल बनाई गई, और फिर उसकी आड़ में पंद्रह दुकानों का निर्माण कर दिया गया। जैसे ही बाउंड्री बॉल हटी व शटर लगी दुकाने सामने आईं, लोगों ने इस और प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। पटवारी रिपोर्ट के आधार पर 24 सितम्बर 2018 को शासकीय नजूल भूमि पर अवैध कब्जा मानकर प्रशासन द्वारा उक्त दुकानें अतिक्रामकों के कब्जे से मुक्त कर नगर पालिका की सुपुर्दगी में दे दी गईं । इतना ही नहीं तो अतिक्रामकों पर 4.69 लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगाया।

आदेश की फोटो प्रति -


लेकिन भाजपा सरकार के स्थान पर कांग्रेस सरकार आने के बाद 11 फरवरी 2019 से दुकानों पर न केवल पुनः कब्ज़ा कर लिया गया, बल्कि टेंट लगाकर चोरी छुपे और भी दुकानों का निर्माण प्रारम्भ कर दिया गया। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है की उक्त शासकीय भूमि का बाजार मूल्य स्वयं प्रशासन ने 93 लाख 87 हजार आँका है। जबकि वास्तविक मूल्य तो इससे भी कई गुना है। जन चर्चाओं के अनुसार तो एक एक दूकान की पगड़ी ही दस दस लाख रूपये ली जा रही है। जबकि अतिक्रमण 1.49 हेक्टेयर भूमि पर किया गया है। अगर इस पूरी भूमि पर अवैध दुकाने निर्माण की गईं और प्रशासन चुपचाप देखता रहा तो अतिक्रामकों के करोड़ों के वारे न्यारे हो जायेंगे।

प्रशासन अगर सचमुच निष्पक्ष है तो उसे शिवपुरी के इस सबसे बड़े अतिक्रमण को अविलम्ब जमींदोज करना चाहिए, जैसे की अन्य बिल्डिंगों को तोडा गया है।
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