छत्रपति शिवजी के अपमान के विरोध में शिवपुरी के जागरूक युवाओं ने दिया ज्ञापन




मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा के सौंसर में मोहगांव तिराहे से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा हटाए जाने से नाराज शिवपुरी के जागरूक युवाओं ने मध्यप्रदेश शासन की भर्त्सना करते हुए महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन कलेक्ट्रेट पहुँच कर दिया | हिन्दू उत्सव समिति के तत्वाधान में संगठित हुए इन युवाओं का कहना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ अविलम्ब क्षमा याचना करें और हिन्दू ह्रदय सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को ससम्मान स्थापित करने की तत्काल व्यवस्था करें। आक्रोशित युवाओं का कहना था कि यह सरकार महापुरुषों का अपमान करने में गर्व का अनुभव करती है। बीते सोमवार को छिंदवाड़ा नगरपालिका ने हिंदू संगठन द्वारा स्थापित की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को 24 घंटे के अंदर हटा दिया था। इसके विरोध में छिंदवाड़ा में हिंदूवादी संगठनों ने मंगलवार को सुबह से आंदोलन शुरू कर दिया और हाइवे पर चक्काजाम कर दिया। बाद में नपा और अफसरों ने आश्वासन दिया कि 19 फरवरी को शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रतिमा को स्थापित कर दिया जाएगा।

वेलेंटाइन डे के विरोध में भी दिया गया ज्ञापन 

हिन्दू उत्सव समिति के बैनर तले संगठित हुए इन युवाओं ने इस दौरान वेलेंटाइन डे के विरोध में भी एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौपा | वेलेंटाइन डे के विषय में इन युवाओं का मत है कि वैलेंटाइन डे पश्चिमी संस्‍कृति की देन है, ये हमारे संस्कृति की देन नही है।14 फरवरी को ‘वैलेंटाइन डे’ के रूप में मनाने की पश्‍चिम की कुप्रथा हमारे देश में भी बहुत प्रचलित हो गई है । प्रेम दिवस के रूप में ‘वैलेंटाइन डे’ न मनाएं और यौन अत्याचारों से अपने बच्चों को बचाएं, ऐसा आवाहन हिन्दू उत्सव समिति ने किया है | इन युवाओं का स्पष्ट कहना था कि ‘वैलेंटाइन डे’ के दिन प्रेम व्यक्त करने के विचार से एकतरफा प्रेम में लडकियों से छेडछाड, बलात्कार आदि अपराध होते हैं | अमेरिका के कुछ देशों सहित चीन, इटली, स्वीडन, नॉर्थ कोरिया, इथियोपिया आदि देशों में यह दिन नहीं मनाया जाता; अपितु पाकिस्तान, इराण, सऊदी अरेबिया, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे इस्लामी देशों में वैलेंटाइन डे मनाने पर कठोर दंड का भी प्रावधान है । ऐसे में यह दिन हम क्यों मना रहे हैं, इसका विचार करना चाहिए | प्रेम और वासना में अंतर हिन्दू संस्कृति बताती है, इसके विपरीत ‘वासना को ही प्रेम समझना, पश्‍चिम की परंपरा है ।’ यही शिक्षा आज इस दिन के माध्यमातून भारतीय युवा पीढी में बढती जा रही है । जो अत्यंत घातक है ।

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