बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना - हताश कांग्रेस की नई रणनीति - डॉ नीलम महेंद्र

SHARE:

दिल्ली के चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा है। इसेभारतीय राजनीति का दुर्भाग्य कहें या लोकतंत्र का, कि चुनाव दर चुनाव राजनैतिक दलों...



दिल्ली के चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा है। इसेभारतीय राजनीति का दुर्भाग्य कहें या लोकतंत्र का, कि चुनाव दर चुनाव राजनैतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए वोटरों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देना तो जैसे चुनाव प्रचार का एक आवश्यक हिस्सा बन गया है। कुछ समयपहले तक चुनावों के दौरान चोरी छुपे शराब और साड़ी अथवा कंबल जैसी वस्तुओं के दम पर अपने पक्ष में मतदान करवाने की दबी छुपी सी अपुष्ट खबरें सामने आती थीं लेकिन अब तो राजनैतिक दल खुल कर अपने संकल्प पत्रों में ही डंके की चोट पर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। मुफ्त बिजली पानी की घोषणा के बल पर पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी बम्पर जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी अपने उसी पुराने फॉर्मूले को इस बार फिर दोहरा रही है। 

मध्यप्रदेश राजिस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कर्जमाफी की घोषणा के कारण सत्ता से बाहर हुई बीजेपी भी इस बार कोई खतरा नहीं लेना चाहती। शायद इसलिए हर बार विकास की बात करने वाली भाजपा भी इस बार मुफ्त केनाम पर वोट मांगने की होड़ में शामिल हो गई है। मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त स्कूटी, जैसी अनेक घोषणाओं के साथ साथ वो शाहीन बाग़ को भी मुद्दा बनाकर राष्ट्रवाद के साथ दिल्ली की जनता के सामने है। नतीजन जो चुनाव पहले लगभग एकतरफादिख रहा था वो अब कांटे की टक्कर बनता जा रहा है। जो केजरीवाल चुनाव प्रचार के शुरुआत में अपने काम के आधार पर वोट मांगते हुए अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई दे रहे थे उन्हें आज भाजपा ने अपनी पिच पर खेलने के लिए विवश कर दिया है। पाँच साल तक मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले केजरीवालआज हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। 

इससे पहले सालों से वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी यह देश चुनावों के दौरान अपने जनेऊ का प्रदर्शन करता देख चुका है। राहुल गांधी से याद आया कि दिल्ली के इस दंगल में कांग्रेस कहीं दिखाई ही नहीं दे रही? यह कांग्रेस की हताशा है या फिर उसकी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा? क्योंकि वो दिल्ली जो कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है अगर उस दिल्ली के चुनावों में चुनाव से महज चार दिन पहले राहुल गांधी अपनी पहली चुनावी रैली करते हैं तो इससे कांग्रेस क्या संदेशदेना चाह रही है? यह कि दिल्ली उसके लिए महत्वपूर्ण नहीं है, या फिर यह कि वो दिल्ली में चुनाव से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर चुकी है? आखिर क्यों जिस दिल्ली में 1998 से2013 तक पंद्रह वर्षों तक कांग्रेस ने शासन किया उसदिल्ली के पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा दिखाई नहीं दिया?

यह भी अचरज का विषय है कि दिल्ली के चुनावों के लिए कांग्रेस केनेताओं के पास समय नही है लेकिन शाहीन बाग़ के धरने में भाषण देने के लिए कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं है। आश्चर्य इस बात का भी है कि कांग्रेसके इस आचरण से मतदाताओं के मन में कांग्रेस की कैसी छवि बन रही है कांग्रेस के नेताओं को शायद इस बात की भी परवाह नहीं है। यह खेद का विषय है कि देश पर सत्तर सालों तक राज करने वाला एक राष्ट्रीय दल पिछली दो बार से लोकसभा चुनावों में एक मजबूत विपक्ष होने के लायक पर्याप्त संख्या बल भी नहीं जुटा पाया और अब वो दिल्ली विधानसभा चुनावों में सत्ता तो दूर की बात है, वहाँ भी विपक्ष के नाते अपना वजूद तक नहीं तलाश पा रहा।

लेकिन इन सभी बातों से परे अगर कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी जो कि देश की सबसे पुरानी पार्टी भी है, वो अगर किसी रणनीति के तहत दिल्ली के चुनावों को केवल रस्म अदायगी के लिए लड़ रही है और चुनाव प्रचार से उसी रणनीति के तहत "गायब" है तो यह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से अघोषित गठबंधन कर लिया है और केवल भाजपा को नुकसान पहुंचाने की नीयत सेदिल्ली के चुनाव को आम आदमी पार्टी और बीजेपी की आमने सामने की लड़ाई बना रही है तो निश्चित ही अब समय आ गया है कि अब कांग्रेस को अगर अपना अस्तित्व बचाना है तो अपने लिए ऐसे नए सलाहकार खोजने होंगे जो सकारात्मक सोचें आत्मघाती नहीं। 

वैसे तो कांग्रेस के रणनीतिकारों की सकारत्मकता का कोई जवाब नहीं है जो गुजरात के विधानसभा चुनावों में लगातार चौथी बार भाजपा से पराजित होने में भी अपनी जीत का जश्न मनाते हों या फिर कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए अपने से कम सीटें जीतने वाले दल का मुख्यमंत्री बनाने पर राजी हो जाते हैं या महाराष्ट्र में शिवसेना जैसे विरोधी विचारधारा वाली पार्टी के साथ सरकार बना लेते हैं। स्पष्ट है कि आज की कांग्रेस के लिए अपनी सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण है भाजपा को सत्ता से दूर रखना। शायद इसलिए आज वो किसी विचारधारा पर चलने वाली पार्टी ना होकर येन केन प्रकारेण एक लक्ष्य को हासिल करने वाली पार्टी बनकर रह गई है। 

इसे क्या कहा जाए कि गांधी और नेहरू की विरासत के साथ आगे बढ़ते हुए जो दल आज एक घना विशालकाय वृक्ष बन सकता था आज परजीवी बन कर रह गया है।यह देखना दुखद है कि भाजपा की हार में अपनी जीत तलाशते तलाशते आज कांग्रेस उस मोड़ पर आ गयी है जहाँ वो दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत में अपनी सफलता तलाश रही है। अब यह सोच आत्मघाती कहें या समझदारी यह कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का विषय होना चाहिए। देश तो अभी भी कांग्रेस की ओर उम्मीद से देख सकता है लेकिन लगता है कि कांग्रेस खुद ही अपने से सभी उम्मीदें छोड़ चुकी है।

(लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार है)

COMMENTS

नाम

अखबारों की कतरन,40,अपराध,3,अशोकनगर,24,आंतरिक सुरक्षा,15,इतिहास,158,उत्तराखंड,4,ओशोवाणी,16,कहानियां,40,काव्य सुधा,64,खाना खजाना,21,खेल,19,गुना,3,ग्वालियर,1,चिकटे जी,25,चिकटे जी काव्य रूपांतर,5,जनसंपर्क विभाग म.प्र.,6,तकनीक,85,दतिया,2,दुनिया रंगविरंगी,32,देश,162,धर्म और अध्यात्म,244,पर्यटन,15,पुस्तक सार,59,प्रेरक प्रसंग,80,फिल्मी दुनिया,11,बीजेपी,38,बुरा न मानो होली है,2,भगत सिंह,5,भारत संस्कृति न्यास,30,भोपाल,26,मध्यप्रदेश,504,मनुस्मृति,14,मनोरंजन,53,महापुरुष जीवन गाथा,130,मेरा भारत महान,308,मेरी राम कहानी,23,राजनीति,90,राजीव जी दीक्षित,18,राष्ट्रनीति,51,लेख,1126,विज्ञापन,4,विडियो,24,विदेश,47,विवेकानंद साहित्य,10,वीडियो,1,वैदिक ज्ञान,70,व्यंग,7,व्यक्ति परिचय,29,व्यापार,1,शिवपुरी,904,शिवपुरी समाचार,324,संघगाथा,57,संस्मरण,37,समाचार,1050,समाचार समीक्षा,762,साक्षात्कार,8,सोशल मीडिया,3,स्वास्थ्य,26,हमारा यूट्यूब चैनल,10,election 2019,24,shivpuri,2,
ltr
item
क्रांतिदूत : बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना - हताश कांग्रेस की नई रणनीति - डॉ नीलम महेंद्र
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना - हताश कांग्रेस की नई रणनीति - डॉ नीलम महेंद्र
https://1.bp.blogspot.com/-2VrQ-6BhF18/XjvwOnwTYPI/AAAAAAAAJFM/8InzCFVmGDwKu1HoOGUEMlxJg_lj57ocwCLcBGAsYHQ/s1600/1.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-2VrQ-6BhF18/XjvwOnwTYPI/AAAAAAAAJFM/8InzCFVmGDwKu1HoOGUEMlxJg_lj57ocwCLcBGAsYHQ/s72-c/1.jpg
क्रांतिदूत
https://www.krantidoot.in/2020/02/SECRET-BEHIND-DELHI-ELECTION.html
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/
https://www.krantidoot.in/2020/02/SECRET-BEHIND-DELHI-ELECTION.html
true
8510248389967890617
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy