कोरोना वायरस - संयम और संकल्प से ही जीत सकेगा भारत - प्रांशु राणे


कोरोना' पिछले कुछ दिनों में अधिकतर लोगों द्वारा बोले गए शब्दो में से शायद सबसे ज्यादा बार बोला गया शब्द होगा। चीन के वुहान से जिस कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई और विश्व के एक बड़े भूभाग में फैलने के बाद अब इसकी दहशत विश्वव्यापी महामारी का रुप ले हमारे घरों की दहलीज तक पहुच गयी है। इस संक्रमण के फैलने का यदि सबसे बड़ा कोई कारण रहा है, तो वह है लापरवाही। यदि हमने भी कोरोना वायरस के प्रति थोड़ी भी लापरवाही बरती तो हमारे घर का दरबाजा पार करने में इसे ज्यादा वक्त नही लगेगा।

पिछले वर्ष जब वुहान शहर में यह वायरस पहली बार जब पाया गया तो यह कल्पना नही की गई थी कि यह जल्दी ही मानव जीवन के अस्तित्व पर ही संकट पैदा कर देगा। वायरस की पहचान होने के पहले चीनी प्रशासन ने भी वुहान के नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की थी। जब संक्रमण फैलने लगा तो लोगो को घर में रहने, सोशल डिस्टैनसिंग जैसी हिदायत दी। लेकिन वहां के लोगों ने इसे गंभीरता से न लेते हुए नजरअंदाज कर दिया। फलस्वरूप वुहान के हज़ारों लोगों को चपेट में लेने के बाद कोविड-19 पूरे चीन में फैल गया। मजबूरन चीन ने अपने लोगों को जबर्दस्ती घरों में बंद ( Quarantine) किया। यहां तक खबरें आई कि लोगों को अंदर बंद करके घरों को बाहर से सील कर दिया गया। इतनी सख्ती के वावजूद अब जाकर स्थिती नियंत्रण में आ सकी है।

इससे कई गुना खराब हालात इटली में बने।इटली में पहला संक्रमित मिलने के बाद लोगों को आगाह किया गया। लोगों से सोशल डिस्टेनसिंग व सावधानी बरतने को कहा गया ।लेकिन इटली के लोगों ने चीन से इटली की दूरी का हवाला देकर हिदायतों से किनारा कर लिया। मॉल्स, मार्केट बंद होने के बाद भी लोग बाहर घूमते रहे। जल्दी इसका खामियाजा इटली को भुगतना पड़ा। देश के अस्पतालों में जगह कम पड़ गयी। अस्पतालों में डॉक्टरों को कोरोना से मरते हुए मरीज़ों को भर्ती करने से मना करना पड़ा। लाश उठाने के लिए लोग मिलना बंद हो गए। हालात इतने खराब हो गए कि इटली की सेना को सड़क पर उतरकर लोगों को घरो में बंद करना पड़ा। इटली में अभी तक लगभग 6000 लोग कोरोना की वजह से मारे गए हैं। रोज़ यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 

वही चीन में मौत का आँकड़ा 3268 तक पहुँच चुका है।

लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने वालों से केवल इटली ही परेशान नहीं है जर्मनी भी इससे काफी परेशान है। जर्मनी के अखबार डाइचे वेले के अनुसार यहां पर कुछ लोगों ने कोरोना का मझाक उड़ाते हुए पार्टी आयोजित की जिसका नाम 'कोरोना पार्टी' दिया गया। नौबत यहां तक आ चुकी है कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल स्वयं भी आइसोलेशन में है ।

कुछ यही हाल अमेरिका,ब्रिटेन,स्पेन, जैसे सम्पन्न देशों का है। अभी यहां के हालात इटली और वुहान जैसे तो नही हैं लेकिन संभावना है कि माह के अंत तक यहां के हालात और खराब हो सकते हैं।

चीन ने संसाधनों व सख्ती की दम पर अपने देश मे कोरोना पर नियंत्रण पा लिया है। इटली की कुल आबादी 6 करोड़ है। लोग कम हैं तो भारत की अपेक्षा उनको संभालना भी कुछ आसान है। भारत में जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है। 130 करोड़ की आबादी का देश है। संसाधन व सुविधाओं के मामले में हम चीन व अमेरिका से बहुत पीछे हैं। चीन,ईरान, इटली व अमेरिका ने लापरवाही की अभी तक बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। भारत में भी अधिकतर लोगों की मानसिकता इन्ही जैसी है। 

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रविवार को पूरे देश में 'जनता कर्फ्यू' लागू रहा। भारत की जनता ने भी पीएम मोदी की इस अपील को माना और 'जनता कर्फ्यू' का पूरा समर्थन किया। पीएम मोदी के 'जनता कर्फ्यू' वाले आइडिया को देश के बाहर भी सराहा गया बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसकी सराहना की।

लेकिन अब लोग बेवजह सड़कों पर घूम रहे हैं। देश के कई राज्य व शहर पूर्णतः लॉकडाउन हैं। कई राज्यों में हालात बिगड़ने पर कर्फ्यू भी लगाया गया है। आज हम भारत में किसी से भी कोरोना वायरस के विषय मे बात करेंगे तो हैंड सेनेटाइजर,मास्क लगाने व सोशल डिस्टेनसिंग पर सभी बुद्धि का प्रदर्शन कर देंगे। लेकिन खुद पर बात आते ही अंतर्मन में 'मुझे क्यों होगा..??' के विचार लाकर युद्धक्षेत्र में बिना शस्त्र ही कूद पड़ते दिखाई देते हैं। चीन हमसे दूर है, जब मौत आना है आएगी जैसे आत्मघाती बहानो से तमाम हिदायतों व विज्ञान के सिद्धांतों को कहीं नजरअंदाज कर दिया जा रहा है।

सिर्फ मास्क से पूरी सुरक्षा संभव नहीं

आमतौर पर देखने में आ रहा है कि लोग मास्क को संजीवनी बूटी या कर्ण से लिया हुआ इंद्र देवता का कवच मान रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो मास्क से एक हद तक वायरस से बचाव किया जा सकता है लेकिन मास्क को बार-बार हाथ से छूने व एडजेस्ट करने पर वह गन्दा हो जाता है। मेडिकल स्टोर पर मिलने वाले सस्ते मास्क को एक बार उपयोग करने के कुछ घंटों बाद यह उपयोग करने लायक नही रह जाता। मास्क उन लोगों के लिए ठीक है जो सर्दी,बुखार, खांसी से संक्रमित हो जिससे यह संक्रमण फैल नही पाए।

डरने की जरूरत नही, लड़ने की जरूरत

यदि आप कोरोना से बचने सावधानियां बरत रहे हैं तो इसका यह मतलब हरगिज नही है कि आप इससे डर गए हैं। सावधानी बरतने का मतलब है आप पूर्ण योजना के साथ कोरोना से लड़ रहे हो। सरकार द्वारा बनाये गए नियमों का पालन यदि हम करेंगे तो इस युद्ध के एकतरफा विजेता हम होंगे। लेकिन लापरवाही इस युद्ध मे बरती तो हालात खराब हो सकते हैं। सही शब्दों में कहा जाए तो यह करो या मरो की स्थिति है। इन परिस्तिथियों में हमें वह हर बात मानना है जो हमसे सरकार कह रही है। सरकार ने पहले धारा 144 लगाई उसका उल्लंघन हुआ तो फिर लॉकडाउन हुआ। जिस जगह पर लॉकडाउन को भी नजरअंदाज किया गया वहां कर्फ्यू भी लगाया गया है। यदि पुलिस हमें घर में रहने को कह रही है तो इसमें हमारा ही फायदा है। यदि कुछ दिन हम घर में रहकर गुजार लेंगे तो एक सुनहरा भविष्य इंतजार करते हम सभी को मिलेगा।

कोरोना का इतिहास ज्यादा पुराना नही है। इन कुछ महीनों के इतिहास से ही यदि हम सबक ले लेंगे तो ठीक है वरना यह कहा गया है कि जो इतिहास से सबक नही सीखता, इतिहास उसे सबक सिखाता है।

✍️ प्रांशु राने(अप्रतिम)
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