दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन और दंगों के पीछे आईएस आईएस - उपानंद ब्रह्मचारी

अब यह स्पष्ट हो चुका है कि हिन्दू विरोधी, भारत विरोधी, मोदी विरोधी, सीएए विरोधी आन्दोलन के पीछे जिहादी एजेंडा है, जिसके चलते दिल्ली दंगों की आग में झुलसी । सीएए विरोध के नाम पर दिल्ली में हुए दंगे मोदी को 'उखाड़ फेंकने के लिए इस्लामिक स्टेट की करतूत है । जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधान मंत्री बने हैं, तब से ही उनकी सरकार को अपदस्थ करने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथी समर्थित नक्सलियों, दोनों की ओर से निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इस्लामी कट्टरपंथी लंबे समय से यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि मोदी मुस्लिम विरोधी हैं। चारों और से नव संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उठने वाले स्वर स्पष्ट रूप से इसी बड़े एजेंडे के आसपास केंद्रित है और यह मोदी सरकार का सफाया करने के लिए है। 

नवीनतम खतरा: पिछले दिनों इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए अल तालल मीडिया समूह ने टेलीग्राम पर एक लेख प्रसारित किया, जिसमें सीधे सीधे भारतीय मुसलमानों से आव्हान किया गया कि वे मोदी सरकार को कुचल डालें । ध्यान देने योग्य बात है कि उक्त आलेख में मोदी सरकार को कुचलने और इस्लामिक स्टेट में शामिल होने का संदेश एक साथ दिया गया है । लेख में यह भी कहा गया है कि भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रवाद के नाम पर गुमराह किया जा रहा है, इस्लामिक स्टेट के अनुसार राष्ट्रवाद एक जहर के समान है। लेख में गुजरात में हुए 2002 के सांप्रदायिक दंगों और हाल के दिल्ली दंगों में हुए मुस्लिमों के तथाकथित उत्पीड़न की कपोल कल्पित बातें लिखी गई है। आईएसआईएस का भर्ती अभियान आलेख में विष उगलने और मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी के रूप में चित्रित करने में कोई कोरकसर नहीं छोडी गई है। लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने माय नेशन वेव साईट को बताया कि ये विरोध प्रदर्शन स्पष्ट रूप से भारतीय मुसलमानों को उकसाने की योजना से ही हो रहे हैं । यह लेख भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है, और उसके पीछे प्रत्येक भारतीय मुस्लिम को एक कट्टरपंथी के रूप में बदलने का प्रयास है। यह लेख मूल रूप से सभी भारतीय मुसलमानों को एक संदेश भेज रहा है कि उनकी एकमात्र उम्मीद केवल इस्लामिक स्टेट है। लेख में आव्हान किया गया है कि सभी भारतीय मुसलमानों को इस्लामिक स्टेट के कारवां में शामिल होना चाहिए, उसकी रक्षा करनी चाहिए और अंततः खलीफा राज्य की स्थापना करनी चाहिए। 

लेख का घोष वाक्य है - "इंशाल्लाह हम फासीवादी मोदी सरकार को कुचल देंगे" । आतंकी भर्ती: यह लेख दिल्ली के दंगों को भर्ती मंच के रूप में उपयोग करने की विभिन्न अन्य आतंकवादी समूहों की पृष्ठभूमि में आया है। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूह व्हाट्सएप, टेलीग्राम और डारनेट जैसे समूहों पर वातावरण को विषाक्त कर रहे हैं। यह लेख सीधे सीधे सभी भारतीय मुसलमानों को जिहाद करने और मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने का सन्देश है। इन आतंकी समूहों ने लाल किले पर एक सीएए विरोधी रैली की छवि वाला पोस्टर बनाया है। पोस्टर में मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्र भी हैं। यह आगे चलकर असदुद्दीन ओवैसी और कन्हैया कुमार को आजादी के दीवाने के रूप में प्रदर्शित करता है। संदेश भारत के सभी मुसलमानों को सरकार से दूर करने, जिहाद करने और भारत में एक खलीफा राज्य स्थापित करने का है। एजेंडा अब छिपा नहीं है: यह स्पष्ट रूप से घोषित करने के बावजूद कि सीएए या एनपीआर भारत में किसी भी मुस्लिम को प्रभावित नहीं करेगा, लगातार नेरेटिव को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस, वाम, इस्लामिक स्टेट, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा भारतीय मुसलमानों को भ्रमित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और उन्हें भरोसा भी है कि उनका उद्देश्य पूरा होगा अर्थात वे मुसलमानों को प्रभावित करने में सफल होंगे । 

यदि शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर एक नज़र डालें, तो यह स्पष्ट है कि इसके पीछे एक छिपी हुई ताकत है। वार्ताकारों की कोशिशें विफल हो गई है, और प्रदर्शनकारियों ने रास्ता छोड़ने से भी साफ़ इनकार कर दिया है, भले ही इससे आम आदमी को चाहे जितनी असुविधा हो रही हो। पूर्व अनुसंधान और विश्लेषण विंग के संरक्षक, अमर भूषण कहते हैं कि मध्यस्थता विफल होना ही थी, क्योंकि भीड़ के बीच कोई मध्यस्थ नहीं हो सकता। मध्यस्थता का कोई भी प्रयत्न बेहद कट्टरपंथी और ब्रेनवाश्ड दूसरे शब्दों में कहें तो जिहादी और नक्सली लोगों के बीच भला कैसे सफल होगा ।

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