कोरोना से विश्वयुध्द के महानायक बन कर उभरे मोदी - संजय तिवारी


युद्ध विनाशकारी होते हैं। युद्ध सर्जक भी होते हैं। सृष्टि साक्षी है। जब जब युद्ध हुए हैं, एक नई सुबह भी हुई है। प्रत्येक युद्ध अपने लिए एक नायक का निर्माण पहले ही कर लेता है। जो बुद्धिजीवी हैं वे सृष्टि के सभी बड़े युद्धों का इतिहास पढ़ सकते है और उनसे उपजे नायकों ,महानायकों को जान सकते हैं। आज यह दुनिया फिर एक महायुद्ध लड़ रही है। इसमें एक तरफ है मानव के विकास की अभी तक कि समिधाएं और सामने है एक अदृश्य जैविक अस्त्र। इसे कोरोना नाम के विषाणु के रूप में हम जान सके है। दुनिया के लगभग 197 देश इसकी चपेट में है। धरती पर सर्वाधिक विकसित कहे जाने वाले और खुद को धरती का मालिक समझ कर राज करने वाले देशों की हालत यह है कि वे अपने लोगो के लाशें भी ठीक से दफन नही कर पा रहे। जो विकासशील हैं वे इस संकट से जूझ रहे हैं। जो अविकसित हैं उनके बारे में तो पूछिये मत।

यह युद्ध अब तक का सबसे भयावह है। यह युद्ध विकास की यात्रा में चांद और मंगल पर काएक बिज होने के मनुष्य के सपने के दौरान ऐसा शुरू हुआ है कि विकास के सभी हथियार बेकार हो गए है। सर्वशक्तिमान अमेरिका को भी भारत के सामने हाथ पसारना पड़ रहा है। आज वह भारत के प्रधानमंत्री के गुणगान करते नही थक रहा। यह युद्ध भारत भी लड़ रहा है। समय ने इस युद्ध के लिए भारत को एक ऐसा नायक दे दिया है जिस पर देश को पूरा भरोसा है। स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के के कहने पर देश के लोगो ने एक समय का भोजन छोड़ दिया था, जब हम यह पढ़ते थे तो सोचते थे कि आखिर ऐसा कैसे होता होगा। आज हम उससे बहुत आगे की देख रहे है। आज अपने नायक की एक अपील पर लोग खुद को कर्फ्यू में कैद कर लेते हैं। उसकी एक अपील पर पूरा भारत 21 दिनों के लिए ठप हो रहा है। उसकी एक अपील पर लोग खुद के घरों में अंधेरा कर नौ मिनट के लिए दिए जलाते हैं। देश किस तरह किसी नायक को मानता और उसमें भरोसा दिखता है, आज की चुनावी राजनीति के दौर में भी दुनिया इसको देख रही है। दुनिया के अन्य सम्पन्न देश भी भारत की तरह उपाय तलाश रहे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को केवल भारत का सहारा दिखता है। ऐसे में अपने नायक को इस विश्व युद्ध मे महानायक के रूप में स्वीकार होते देख रहे हैं हम।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि हमारे इस नायक ने विदेशों में फंसे किसी भारतीय को असुरक्षित नही होने दिया। सभी को किसी न किसी साधन से स्वदेश लाकर सुरक्षित किया। जो नही आ सके उनके लिए उसी देश मे अपने डॉक्टर और टीम भेज कर सुरक्षित किया। अपने लोगो को तो लाये ही , दुनिया के जिस भी देश ने सहायता चाही उसे भी भरपूर सहायता उपलब्ध करा दी। कितनी बड़ी बात है कि अभी कुछ साल पहले तक हर बात में विश्वबैंक और अन्य एजेंसियों या बड़े देशों के सामने कटोरा लेकर खड़ा रहने वाला भारत विगत 6 वर्षों में इतनी शक्ति अर्जित कर चुका है कि आज वह दुनिया को बचाने की हैसियत रखने लगा है।

बात केवल शब्दो से नही कुछ उदाहरण देना जरूरी है। नही तो लोग इस आलेख को मोदी की भक्ति की संज्ञा दे देंगे। कुछ मोटे उदाहरण रखता हूँ। इस महायुद्ध के शुरू होने के बाद भारत के इस नए नायक के नेतृत्व में कितनी और कैसी सहायता किन किन देशों को की गई है। पूरी सूची तो दे पाना संभव नही लेकिन गिनते जाइये कुछ नाम। भूटान को डॉक्टर्स और चिकित्सा सामग्री भेजी गई।श्रीलंका को 10 टन चिकित्सा सामग्री भेजी गई। मालदीव को डॉक्टरों के साथ 10 टन चिकित्सा सामग्री दी गयी। कुवैत को अभी आज 10 टन सामग्री भेज दिया गया। इजरायल को चिकित्सा सामग्री भेजी गई। संयुक्त अरब अमीरात , ओमान , स्वीडन , इटली ,दक्षिणअफ्रीका , इराक ,कजाखिस्तान ,अफगानिस्तान ,ब्राज़ील ,ईरान को हर जरूरत का सामान भारत ने भेजा है। (कोरोना टेस्ट करने वाला स्टैंडर्ड लैब भी दिया) इसके अलावा दक्षिण एशिया सहयोग संगठन के सभी देशों को हर जरूरत का सामान, दवाएं और अन्य सामग्री भारत से भेजी गई है। इसके साथ यह और भी महत्वपूर्ण है कि भारत के प्रधानमंत्री अपने देश के लोगों, मुख्यमंत्रियों, विपक्ष के नेताओ और अन्य सभी एजेंसियों से तो निरंतर संवाद कर ही रहे है, वह सार्क तथा दुनिया के हर उस देश और उसके नेता से बात कर रहे है जिसको कही भी किसी प्रकार की कोई जरूरत है। इसे ही तो नायकत्व कहते है।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व के लगभग 70 देशों ने भारत के सामने इस मुश्किल में हाथ पसारा है। भारत ने इस विपदा की घड़ी में अपनी जरूरतों को स्टोर करते हुए सबकी मदद करने का ऐलान किया है। हाथ पसारने वालों में इस दुनिया की महाशक्ति अमेरिका भी शामिल है। इस समय पूरी दुनिया की नज़र भारत पर एक और वजह से है और कारण है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन नाम की दवा। जैसे ही कोरोना ने अपना कहर बरपना शुरू किया, वैसे ही भारत ने सबसे पहले कुछ दवाओं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है । उनमें से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन भी था लेकिन अब भारत ने अमेरिका और कई देशों के आग्रह के बाद इस पर से लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। कोरोना से जूझ रहे जिन देशों को जरूरत होगी, उन्हें यह दवा भेजी जाएगी। हालांकि कोरोना के उपचार के लिए किसी भी प्रकार की दवा की खोज नहीं हुई है लेकिन फिर भी मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन एक बार फिर से चर्चा में है और भारत इस मलेरिया-रोधी दवा के दुनिया के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग आर्थराइटिस के उपचार में भी होता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस दवा का आविष्कार किया गया था। डॉक्टरों समेत वैज्ञानिकों ने अभी इस बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं होने की बात कही है। इतना जरूर है कि जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है, वहां इस दवा को लेने की इजाजत जरूर दी गई है। पिछले दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने SARS-CoV-2 वायरस से होने वाली बीमारी Covid-19 के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के उपयोग का सुझाव दिया था। भारत, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसने वित्तीय वर्ष 2019 में 51 मिलियन डॉलर मूल्य की दवा का निर्यात किया था। यह देश से 19 बिलियन डॉलर फार्मा के क्षेत्र से होने वाले निर्यात का एक छोटा भाग है। वित्तीय वर्ष 2020 के फरवरी तक निर्यात 36 मिलियन डॉलर तक गिर गया था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस दवा के लिए प्रचार करने के कारण, इस सस्ती दवा की वैश्विक मांग अचानक बढ़ गई है। ब्राजील और भारत के सार्क देशों ने भारत से दवा की मांग की है।भारत सरकार ने ही पहले ही पी सी ए लैबोरेटरीज और कैडिला हेल्थ केअर को 100 मिलियन टैबलेट को बनाने का ऑर्डर दे दिया था। निर्माताओं का दावा है कि भारतीय बाजार के लिए पर्याप्त स्टॉक है, और साथ ही भारत के पास इतनी दवा है कि वह इन दवाओं को निर्यात कर सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत हर महीने 20 करोड़ टैबलेट की उत्पादन कर सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय स्तर पर आपूर्ति के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। भारत आवश्यकता पड़ने पर प्रति माह लगभग 100 टन दवा बना सकता है, क्योंकि इस दवा के बनाने की क्षमता को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। ऐसे अब पूरा विश्व इस दवा के लिए भारत की ओर देख रहा है। इसी के मद्दे नजर भारत ने इस दवा पर के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी की गंभीरता को देखते हुए, भारत ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मजबूत एकजुटता और सहयोग प्रदर्शित करना चाहिए।

अब यह विचार करने की बात है कि वह प्रधान मंत्री जिसने अपनी प्रथम यात्रा से ही अपने विदेशी समकक्षों को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करता रहा है, उसे किसी महायुद्ध में नायकत्व प्राप्त करने में क्या रुकावट हो सकती है। हाथ मे गीता और भाव मे सनातन को बसाए नरेंद्र मोदी यदि वास्तव में इस युद्ध मे महानायक बन कर उभरते है तो विजय सनातन संस्कृति की ही तय है।
क्रमशः
(लेखक भारत संस्कृति न्यास के संस्थापक एवं वरिष्ठ पत्रकार है)

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