गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया संस्कृति पर्व के विशेष अंक का लोकार्पण !



गोरखपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गोरखपुर से प्रकाशित पत्रिका संस्कृति पर्व के विशेष अंक का लोकार्पण किया। यह विशेष अंक कई मायनो में बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। लॉक डाउन के दौरान गृह मंत्री का किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में पहला उद्बोधन था, जिसमें उन्होंने देश की स्थिति, इतिहास, धर्म, दर्शन, अध्यात्म और स्वाधीनता संग्राम आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला । 

गृहमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने जिस पत्रकारिता की नींव रखी , आज संस्कृति पर्व के माध्यम से संजय तिवारी उसको बहुत गंभीरता से आगे बढ़ा रहे है। इस अवसर पर उन्होंने गीता प्रेस की स्थापना, उसकी अब तक की यात्रा, भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के जीवन, संघर्ष और स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान पर व्यापक प्रकाश डाला। गृहमंत्री ने इस अवसर पर महामना मदन मोहन मालवीय जी व नोआखाली की घटनाओं को विशेष रूप से याद किया। 

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार से विश्व मे सनातन संस्कृति की स्थापना में लगे है उससे यह अब संभावना बन गयी है कि भारत बहुत ही जल्दी विश्वगुरु के रूप में स्थापित होगा। 

उन्होंने आज लोकार्पित किये जा रहे संस्कृति पर्व के अंक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति, दर्शन, साहित्य एवं अध्यात्म के विषयों पर केंद्रित मासिक पत्रिका संस्कृति पर्व का प्रकाशन विगत दो वर्षों से किया जा रहा है। इस पत्रिका के सभी अंक एक खास विषय पर केंद्रित होते हैं। संस्कृति पर्व का वर्तमान अंक माह फरवरी और मार्च 2020 का संयुक्तांक है। इस अंक की सामग्री अत्यंत गंभीर और राष्ट्र के वर्तमान परिदृश्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

महामना मदनमोहन मालवीय के निधन के बाद अक्टूबर 1946 में गीताप्रेस से प्रकाशित कल्याण ने एक विशेष अंक प्रकाशित किया था जो उस समय की सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया। उस अंक में नोआखाली पर केंद्रित अत्यंत प्रामाणिक जानकारी होने के चलते वह अंक कई मायनों में महत्वपूर्ण था। उस अंक की कोई प्रति उपलब्ध नही है। आज देश के जो हालात हैं वे 1946 की परिस्थितियों से बहुत मेल खाते हैं। खास तौर पर नागरिकता संशोधन कानून के बनने के बाद जो स्थितियां बनाई जा रही हैं वे दिल्ली दंगो तक आकर 1946 जैसी दिखने लगी है। अंतर यह है कि भारत इस समय अत्यंत कुशल, मजबूत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। 

संस्कृति पर्व का यह विशेष अंक भारत 1946 से 2020, नोआखाली से दिल्ली तक उपशीर्षक के साथ महामना अंक के रूप में ही प्रकाशित किया जा रहा है। यह पत्रिका दो खंडों में संयोजित की गई है। इसमें पहला खंड दिल्ली दंगो पर केन्द्रित है। दूसरा खंड कल्याण का अक्टूबर 1946 का वह अंक है जिसे भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार, डॉश्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉ सुचेता कृपालानी जैसे राष्ट्र सचेतकों ने तैयार किया था। 

आज के इस तकनीकी सार्वजनिक समारोह में संस्कृति पर्व के संपादकीय संरक्षक आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष आचार्य राकेश उपाध्याय, श्रीमती रेशमा सिंह जी, प्रबंध संपादक बी के मिश्र , गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ लालमणि तिवारी, भाई जी के प्रपौत्र रसेंदु फोगला, पुड्डुचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गुरुमीत सिंह समेत अनेक विद्वान और गण्यमान्य लोग शामिल हुए। गृह मंत्री का स्वागत और आभार ज्ञापन संस्कृति पर्व के संपादक संजय तिवारी ने व्यक्त किया। इस समारोह में गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, दिल्ली, जयपुर, मध्यप्रदेश, बिहार, पुड्डुचेरी, गुजरात , महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों से लोग शामिल हुए।
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