कांग्रेसी सत्ता के बिना रह नहीं सकते – विमान हाईजेक भी कर सकते हैं !


कांग्रेसी सत्ता के बिना रह नहीं सकते, इंदिरा गांधी से लेकर आजमगढ़ के भोला पांडे और बलिया के देवेन्द्र पांडे तक, सबने दिखाया है कि उनकी लोकतंत्र में आस्था तब तक ही है, जब तक कि वे सत्ता में हैं | सत्ता से हटे नहीं कि बस उनका एक सूत्री कार्यक्रम हो जाता है, राजी नहीं तो गैर राजी, येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाना | और मजा यह कि वे अपनी मानसिकता को कभी छुपाते भी नहीं हैं और उससे भी मजेदार यह है कि जनता आँखों देखी मक्खी निगलते हुए, गाहे बगाहे इन्हें अपना नेता मान लेती है | मेरा दावा है कि पाठकों या श्रोताओं में से अधिकाँश को ज्ञात भी नहीं होगा कि ये भोला पांडे और देवेन्द्र पांडे कौन थे और इन्होने ऐसा क्या किया था, जिससे मैं इन्हें इंदिरा जी के समान लिख रहा हूँ | कुछ को ज्ञात होगा भी तो वे अब तक भूल चुके होंगे |

तो आईये अपनी याद ताजा करें | इतना तो सबको पता है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा जी का चुनाव निरस्त किये जाने के बाद उन्होंने कुर्सी बचाने की जुगत भिडाई और देश पर आपातकाल थोप दिया, किन्तु १९७७ में हुए आम चुनाव में कांग्रेस को जनता ने उसके किये का दंड दिया और स्वयं इंदिरा जी चुनाव हार गईं और मोरार जी देसाई देश के प्रधान मंत्री बने |

अब बारी थी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की | उन्हें तो सत्ता की भूख थी, तो उन्होंने भी वही मार्ग अपनाया जो आज के नक्सली अपनाए हुए हैं अर्थात सत्ता बेलेट से नहीं तो बुलेट से | यह कोई मनगढ़ंत आरोप नहीं है मित्रो, यह वह प्रमाणित इतिहास है, जिसे कोई नकार नहीं सकता और जो कांग्रेस के घिनौने देश द्रोही चाल चरित्र चेहरे को बेनकाब करता है |

बात 20 दिसम्बर 1978 की है, इंदिरा गांधी अपने जुल्मों के कारण सत्ता से बाहर हो गई थीं और भृष्टाचार के आरोप में जेल में थीं, तब लखनऊ से दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 410 को, लखनऊ से उड़ने के चंद मिनटों बाद हाईजैक कर लिया गया | इस फ़्लाइट में 130 के करीब यात्री थे |

हाईजैक करने वाले थे इंडियन यूथ कांग्रेस के दो सदस्य, एक आजमगढ़ का भोला पांडे और दूसरा बलिया का देवेन्द्र पांडे | इन दोनों हथियार बंद हाईजैकर्स ने, जी हाँ हथियार बंद हाईजेकर्स ने, यात्रियों को रिहा करने के बदले में तीन मांगे रखी -

पहली मांग इंदिरा गांधी को जेल से रिहा किया जाय, मतलब देश के क़ानून और संविधान पर उन्हें रत्ती भर भी भरोसा नहीं था, भरोसा था तो केवल अपनी गन पर |

दूसरी मांग संजय गांधी और इंदिरा गांधी के खिलाफ सारे आपराधिक मामले विड्रा किये जायें, गनीमत है कि आज के दौर में कोई कांग्रेसी यह रास्ता नहीं अख्तियार कर रहा कि जमानत पर रिहा सोनिया अम्मा और राहुल भाई साहब और जीजा श्री बाड्रा सर के खिलाफ चल रहे मुकदमे वापस लिए जाएँ, या शायद उन्हें डर है कि इस समय गांधीवादी नहीं छप्पन इंची सरकार है, उलटे बांस बरेली को लद जायेंगे | और तिसरी मांग और भी बढ़िया थी और वह यह कि केंद्र की जनता सरकार अपना इस्तीफा दे दे | जनता के वोट गए चूल्हे भाड़ में, हमें तो हमारी सरकार चाहिए, स्तीफा दो और इंदिरा जी को सरकार सोंपो |

बाद में इन दोनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के बाद सरेंडर कर दिया |

और कांग्रेस की बेशर्मी देखिये कि उसने इस घटना की आलोचना भी करने की जहमत नहीं उठाई | पहले तो कांग्रेस ने इस घटना को सिर्फ एक मज़ाक समझ कर भूल जाने को कहा, पर जब इससे बात नहीं बनी, और चर्चाएँ चलती रही तो संसद में चर्चा के दौरान कांग्रेस इससे भी एक कदम आगे चली गयी | कांग्रेस के वसंत साठे और आर वेंकटरमन जैसे वरिष्ठ सांसदों ने तो इस घटना की तुलना गांधी जी के नमक आंदोलन से कर डाली और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध करने के अधिकार से जोड़ दिया |

तो आज अगर वे जेएनयू बाले भारत तोड़ो गेंग के साथ खड़े दिखाई देते हैं, तो इसमें क्या आश्चर्य है ? सत्ता से बाहर हुए नहीं कि अराजकता ही उनका मूल मन्त्र हो जाता है | जेएनयू क्या वे तो चीन से भी पैसा लेते ही रहें हैं | देश के दोस्त या दुश्मन से उन्हें कोई लेना देना नहीं है, उनके लिए मुख्य है – जो उन्हें सत्ता प्राप्ति में सहयोगी है, वह उनका मित्र | बला से वह देश का दुश्मन ही क्यों न हो | कांग्रेस ने इतने पर ही बस नहीं की, इस बेशर्म पार्टी ने उस हाइजेकर को उत्तर प्रदेश से टिकट देकर, विधायक बनवाया और उनका समर्थन करने वाले वेंकटरामन आगे जाकर देश के राष्ट्रपति बने |

भोला पांडे को कांग्रेस ने हाईजैकिंग के इस कारनामे को अंजाम देने के इनाम में 1991 से 2014 तक, पांच बार सांसद का टिकट भी दिया, जिसे वो कभी जीत ना सका | वरना कौन जाने कब एक हथियार बंद हाईजैकर भारतीय संसद को ही हाईजेक करता दिखाई देता | दिल पर हाथ रखकर बताईये कि किन किन लोगों को मालूम है ये घटना? क्या यह घटना कांग्रेस के वास्तविक चाल और चरित्र को उजागर नहीं करती ?

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