विशिष्ट, विप्लवकारी, अनिष्ट की आहट वाला सूर्यग्रहण - संजय तिवारी



यह बहुत विशिष्ट है। विप्लवकारी है। अनिष्ट की आहट बता रहा है। ऐसा संयोग इससे पहले बना था जिसकी कथा श्रीमद्भागवत जी के दशमस्कन्द के उत्तरार्ध में आती है। उस समय द्वारिका और ब्रज सहित सभी भारतवासी प्रमुख लोग कुरुक्षेत्र में एकत्र हुए थे, केवल एक दूसरे से मिलने के लिए। आज के ग्रहण का जो ग्रहयोग बन रहा है , लगभग ऐसे ही योग की कथा श्रीमद्भागवत में बताई गई है। इस बार के इस ग्रहण का केंद्र भी कुरुक्षेत्र ही बताया जा रहा है। इस बार भी छह ग्रह बक्री बताये जा रहे है। इस कंकनाकृति सूर्य ग्रहण पर दुनिया की निगाहें लगी हैं।

एक महीने में तीन ग्रहण

समय बहुत संकट का है। हालात बिगड़ेंगे। प्राकृतिक आपदा के साथ ही बड़े युद्ध के भी आसार बताए जा रहे हैं। बड़ी जान हानि की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। एक ही महीने में तीन ग्रहण , यह सृष्टि में बड़े उथल पुथल का संकेत है। जो लोग ज्योतिष जानते हैं उनका कहना है कि एक महीने में तीन तीन ग्रहण का लगना बहुत अशुभ है। प्राकृतिक आपदाएं आयेगी। विश्व की शक्तियां लड़ने को हावी होगी। किसी ख्यातिप्राप्त यशस्वी कीर्तिमान राजनेता के विरुद्ध गहरी साजिश हो सकती है । बहुत ही अस्थिरता रहेगी और जल प्रलय जैसे हालात भी बन सकते है।

5 जून 2020 चंद्रग्रहण लग चुका 

प्रारंभ रात 11:15 मिनिट समाप्ति 6 जून सुबह 2:34 चंद्र ग्रहण जिसमे शुक्र वक्री और अस्त रहा। इसके प्रभाव में किसी ख्यातिप्राप्त व्यक्ति की रहस्यात्मक मौत होने की भविष्यवाणी की गई थी। प्रख्यात संत और महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज और अभिनेता सुशांत सिंह के निधन की सूचनाएं प्राप्त हो चुकीं।

21 जून 2020 सूर्य ग्रहण

एक साथ छ ग्रह वक्री रहेंगे बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह 21 जून 2020 को वक्री रहेंगे। इन छह ग्रह का वक्री होना यानी बहुत बड़ा तहलका मचाने वाला है। इस ग्रहण को लेकर विश्व के सभी खगोलविद बेहद उत्सुक हैं और वे इस समय को हर हाल में अपने लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मान रहे है। इस ग्रहण का भारत मे समय 10 बजे से 2.30 बजे तक बताया जा रहा है। वैसे अलग अलग स्थानों के लिए समय भी थोड़ा थोड़ा बदलने वाला है जिसे स्थानीय पंचांग में देखा जा सकता है।

5 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण

इसके बाद 5 जुलाई 2020 को लगने वाले चंद्रग्रहण से एक बहुत बड़ा परिवर्तन होना तय है। इसमें मंगल का राशि परिवर्तन हो रहा है। सूर्य का राशि परिवर्तन भी हो रहा है। गुरु धन राशि मे वापस, लेकिन वक्री रहेंगे। शुक्र मार्गी है ।
21 वीं सदी में कुल 224 सौर ग्रहण

21 वीं सदी में कुल 224 सौर ग्रहण हैं, जिनमें से 77 आंशिक, 72 वलयाकार , 68 पूर्ण ग्रहण और 07 पूर्ण और और वलयाकार ग्रहणों के बीच के संकर हैं। वर्ष 2029, 2047, 2065, 2076 और 2094 में चार सूर्यग्रहण होंगे।

इसी सदी में कब-कब दिखाई देगा सूर्यग्रहण

भारत में नजर आने वाला अगला सूर्यग्रहण 20 मार्च 2034 को पड़ेगा, उसके बाद भारत से अगला सूर्यग्रहण 17 फरवरी 2064 को नजर आएगा और इस सदी का भारत से नजर आने वाला अंतिम सूर्यग्रहण 22 जून, 2085 को पड़ेगा।

इस सदी की दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा भारत

20 मार्च 2034 को भारत से नजर आने वाला अगला सूर्यग्रहण पड़ेगा जो कि एक पूर्ण सूर्यग्रहण होगा और भारत इस दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा। आज से लगभग 15 वर्षों के बाद भारत इस दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा।
इसके बाद पूरी इक्कीसवीं सदी में मात्र 3 सूर्यग्रहण भारत में दिखेंगे

आज का ग्रहण मिला कर 20 वर्ष में कुल 6 ग्रहण हो जाएंगे जो एक से लेकर 09 वर्ष तक के अंतराल में पड़ते रहे। इसके चलते देशवासियों के लिए यह एक दुर्लभ घटना नहीं रही, लेकिन इसके बाद पूरी इक्कीसवीं सदी में मात्र 3 सूर्यग्रहण भारत से नजर आएंगे वे भी क्रमशः 14, 30 और 21 वर्ष के अंतराल में पड़ेंगे।

कंकनाकार यानि वलय रूप में नजर आएगा यह सूर्य ग्रहण

यह ग्रहण भी वलय के रूप में उत्तर भारत में केवल 21 किमी. चौड़ी एक पट्टी में ही नजर आएगा। अन्यत्र यह आंशिक ग्रहण की तरह नजर आएगा। वलय की अधिकतम अवधि मात्र 38 सेकंड रहेगी। इस सदी के बीते 20 वर्षों में भारत से 5 सूर्यग्रहण नजर आए जो 2005, 2006, 2009, 2010, 2019 में दिखे थे।
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें