कोरोना काल में फाइनेंस कंपनियों की आड में शुरू हुआ शिवपुरी का नया डंडा बैंक


शिवपुरी में डंडा बैंक का आतंक यूं तो वर्षों से चला आ रहा है | यह डंडा बैंक कर्मी अभी तक बिना किसी लाइसेंस के अवैध सूदखोरी का धंधा करते आ रहे थे परन्तु अब डंडा बैंक की तरह का यह घिनौना कारोबार सरकार से लायसेंस प्राप्त कर फायनेंस कंपनी की आड में निजी फायनेंस कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है |

कहने को तो इस कोरोना काल में आरबीआई नें सभी बैंकों एवं फायनेंस कंपनियों को मोरोटोरियंम के द्वारा सभी ऋणधारकों को राहत देने की घोषणा की हुई है जिससे ऐसे लोगों को जिनकी आमदनी और कारोबार पर कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन से लोन चुकाने में दिक्कत हुई है उन्हें राहत मिल सके | परन्तु शिवपुरी में निजी फायनेंस कंपनीयां, डंडा बैंक रुपी व्यवहार ऋणधारकों से कर रही है |

कोरोना काल के इस भयानक दौर में भारत सरकार के अनुरोध पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास नें सभी टर्म लोन पर 6 माह का मोरोटोरियंम लागू करने की घोषणा की | मोरोटोरियंम का अर्थ है कि एक मार्च से 6 महीने तक किसी के अकाउंट से ईएमआई नहीं कटेगी। 6 महीने के बाद ही दोबारा ईएमआई की अदायगी शुरू होगी। आरबीआई गवर्नर ने मोरोटोरियंम लागू करते समय यह भी कहा था कि कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान को टाले जाने को चूक नहीं माना जाएगा, इससे इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर असर नहीं पड़ेगा। यह फैसला रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लिया था, परन्तु शिवपुरी में निजी फायनेंस कंपनियों के द्वारा आरबीआई, रिजर्व बैंक के गवर्नर, रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के द्वारा जनहित में लिए गए इस फैसले को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी करते हुए कोरोना काल में सबसे अधिक परेशान सामान्य वर्ग पर अत्याचार करना प्रारंभ किया जा चुका है |

निजी फायनेंस कंपनियों के द्वारा सबसे पहले तो ऋणधारकों को मोरोटोरियंम की सुविधा नहीं दी जा रही है | यदि किसी ऋणधारक को मोरोटोरियंम सुविधा प्रारंभ करने की बात कही भी जा रही है तो उसके ऋण पर मोरोटोरियंम सुविधा प्रारंभ हो जाने के बाद भी उसके ऋण के एवज में चैक बाउंस की बात कहकर किस्त के साथ चैक बाउंस की पेनल्टी जमा कराने का अनैतिक दवाब बनाया जा रहा है | जब इस संबंध में ऋणधारक निजी फायनेंस कंपनी के कार्यालय में पहुँचता है तो उसे बतलाया जाता है कि आपका मोरोटोरियंम तो हुआ ही नहीं है | ऐसे में ऋणधारक स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस तो करता है परन्तु वह अपनी पीढा किसे बताये उसे समझ नहीं आता है और किसी कार्यवाही के डर से फायनेंस कंपनी के आगे नतमस्तक हो जाता है जिससे निजी फायनेंस कंपनियों लायसेंसी कंपनी की आड में डंडा बैंक रुपी कारोबार बेरोकटोक संचालित कर रही है | 

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