स्वर्ग केवल मुसलमानों के लिए, रवीश कुमार जैसे लोगों के लिए केवल हल्के स्तर के नरक – जाकिर नायक



इस्लामिक उपदेशक डॉ ज़ाकिर नाइक के यूट्यूब पर कई विडियो विगत 27 जून को अपलोड किये गए, जो आजकल खासे चर्चा में हैं | इन विडियोज में जाकिर नायक ने ओनलाइन अपने समर्थकों के उत्तर दिए | यूं तो ज़ाकिर नाइक, अपने विवादास्पद और कट्टरपंथी वक्तव्यों के कारण संभावित कानूनी कार्यवाही के भय से देश से भागने के बाद मलेशिया में छिप गया हैं, लेकिन वहां से ही वह जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा | लेकिन हालिया विडिओ में जाकिर नायक ने एक बड़ी मजेदार बात की, जो सोशल मीडिया पर चटखारे लेकर पढ़ी सुनी जा रही है | जाकिर नायक ने नाम लेकर कहा कि मुसलमानों का पक्ष लेने के बावजूद, पत्रकार रवीश कुमार जैसे लोगों को जन्नत अर्थात स्वर्ग में जगह नहीं मिलेगी। क्योंकि अपनी तमाम अच्छाईयों के बावजूद 'अच्छे गैर-मुस्लिम जैसे रवीश कुमार' अभी भी गैर-मुस्लिम हैं जो 'शिर्क' का अपराध कर रहे हैं, जिसका अर्थ है मूर्ति पूजा। 

27 जून को अपलोड किए गए इन वीडियो में, कट्टरपंथी इस्लामवादी जाकिर नाइक ने अपने अनुयायियों के साथ बातचीत करते हुए और कुछ इस्लामी अवधारणाओं को समझाने के लिए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए । "डॉ. ज़ाकिर नाइक ने वीडियो में बताया कि कैसे रवीश कुमार और अन्य अच्छे गैर-मुस्लिम 'स्वर्ग या' जन्नत' के लायक नहीं है। जाकिर नाइक के अनुयायियों में से एक ने नाइक से एक सवाल पूछा कि रवीश कुमार आदि जैसे देश में अच्छे गैर-मुस्लिमों का क्या होगा, जो कि, कुरान के अनुसार, न केवल सच बोलते हैं और मुसलमानों का पक्ष लेते हैं, बल्कि ज़ालिमों की सच्चाई दिखाते हैं । 

अपने अनुयायी के सवाल का जवाब देते हुए, जाकिर नाइक ने इस्लाम की अवधारणा के अनुसार विषय को स्पष्ट किया और कहा कि गैर-मुसलमानों के लिए जन्नत में कोई स्थान नहीं है | नाइक ने कहा कि जन्नत के भीतर भी एक पदानुक्रम है | वे सभी मुसलमान जो स्वर्ग में जाते हैं, समान स्तर पर नहीं होंगे। इसी तरह, नर्क के भी अलग-अलग स्तर हैं। रवीश कुमार जैसे लोग जो अच्छे कर्म ’करते हैं, मुसलमानों के हित के लिए काम करते हैं, वे हलके स्तर के नरक में जायेंगे | लेकिन चूंकि उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया है, इसलिए वे अब भी नरक में तो जाएंगे ही, क्योंकि शिर्क’ (पाषंड, मूर्खतापूर्ण पूजा का अपराध) किसी भी अन्य अपराध से बड़ा है। 

नाइक कहते हैं कि उनके अच्छे गैर-मुस्लिम ’प्रमाण पत्र के बावजूद, गैर-मुस्लिम अभी भी नरक में ही जाएंगे, किन्तु हो सकता है कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके कारण नरक का वह एक मामूली संस्करण हो, लेकिन नरक तो होगा ही। वह कहते हैं कि सबसे खराब किस्म के गैर-मुस्लिम, जैसे हिटलर और भारत के एक 'अनाम व्यक्ति' को सबसे खराब किस्म का नरक मिलेगा। नाइक, हालांकि, यह नहीं समझाता है कि नरक के 'हल्के' स्तरों का क्या मतलब है। हो सकता है कि रवीश कुमार जैसे छोटे पापी केवल तवे पर तले जायें और बड़े पापियों के लिए बड़ी कड़ाही हों। विषय को और स्पष्ट करते हुए नाइक वीडियो में बताते हैं कि जीवन एक परीक्षा के समान है जिसमें उत्तीर्ण होने के लिए एक हजार में से पांच सौ अंक लाना अनिवार्य है | इस प्रश्नपत्र में एक प्रश्न अनिवार्य है और उस अकेले प्रश्न के लिए पांच सौ एक अंक निर्धारित हैं, वह है तौहीद | जो भी तौहीद को मानता है, वह तो परीक्षा में उत्तीर्ण हो ही जाएगा | तौहीद अर्थात यह मानना कि अल्लाह एक है और हजरत मुहम्मद दीन-ए-इस्लाम के आखरी पैग़म्बर हैं | 

उसके बाद पांच बक्त की नमाज उसके सौ अंक, जकात के पचास अंक, रमजान में उपवास के बीस अंक, हज जाने के दस अंक, और उसके बाद ’ईमानदारी’, आदि अन्य तथाकथित अच्छे कर्म के लिए एक एक दो दो अंक । अर्थात केवल इस्लाम को अपनाने भर से ही उत्तीर्ण होने वाले अंक सुनिश्चित हो जाते हैं। ईमानदारी और दान के गुणों को जोड़ने वाले मुसलमानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा, लेकिन कोई भी व्यक्ति, जो एक गैर-मुस्लिम है, वह तो स्वर्ग की इस परीक्षा में फ़ैल ही होने वाला है, अर्थात उसके लिए तो केवल नरक में ही स्थान आरक्षित है । रवीश जैसे लोगों के बारे में नाइक का कहना है कि उनके जैसे काफिर अगर अच्छे काम कर रहे हैं, तो उन्हें इस दुनिया में प्रसिद्धि और प्रशंसा जैसे सांसारिक पुरस्कार मिल सकते हैं। लेकिन मरने के बाद तो स्वर्ग के द्वार उनके लिए बंद ही रहेंगे, वे केवल और केवल नरक में ही जायेंगे । अंत में नाइक ने सत्र समाप्त करते हुए रवीश जैसे लोगों को सलाह दी कि अच्छा हो वे अल्लाह का संदेश प्राप्त करें और इस्लाम को अपना लें। 

तो समझ लीजिये कि सरकारी अनुदानों से चलने वाले मदरसों में बचपन से क्या पढाया जाता होगा | इन सोलहवीं सदी की मान्यताओं के आधार पर क्या कोई सर्व समावेशी वैचारिक द्रष्टि मिल सकती है | और यह कोई नई बात भी नहीं कही है जाकिर नायक ने | गांधी जिन दिनों अली बंधुओं के साथ खिलाफत आन्दोलन के दिनों में देश भर का दौरा कर रहे थे, तब भी उनके मुंह पर ही उनसे कह दिया गया था कि खराब से खराब मुसलमान भी गांधी जी से श्रेष्ठ है | जागो भारत जागो |

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