स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक माननीय सतीश जी द्वारा लिखित पुस्तक 'स्वदेशी स्वावलंबन की और भारत' का विमोचन संपन्न


स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक माननीय सतीश जी द्वारा लिखित पुस्तक 'स्वदेशी स्वावलंबन की और भारत' का मध्य भारत प्रांत में ऑनलाइन विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में लोकसभा के पूर्व मानद सलाहकार व पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा तथा इनकम टैक्स डिप्टी कमिश्नर संजय अग्रवाल अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।

स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संयोजक अरुषेन्द्र शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना के दौरान बताया कि कोरोना काल में संपूर्ण विश्व में आर्थिक मंदी छाई हुई है जिससे भारत भी अछूता नहीं है। भारत में इस दौरान आठ करोड़ मजदूरों का पलायन एवं 12 करोड़ लोगों पर इसका प्रभाव हुआ है। विगत दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के आर्थिक विकास हेतु 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। देश आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही समृद्ध हो सकता है। विभिन्न विदेशियों ने समय-समय पर लिखा है कि अंग्रेजों के भारत आने से पूर्व भारत के शहर ही नहीं अपितु एक एक गांव समृद्ध हुआ करता था और इसका कारण था आत्मनिर्भरता। आज उसी आत्मनिर्भरता की पुनः आवश्यकता है।

मुख्य वक्ता इनकम टैक्स डिप्टी कमिश्नर संजय अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान, स्वाबलंबन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'स्वदेशी स्वावलंबन की ओर भारत' विषय समीचीन है। कोरोनावायरस से आत्ममंथन का अवसर प्राप्त हुआ है। हमें अपनी जड़ों की ओर पुनः लौटने की आवश्यकता है। वसुधेव कुटुंबकम की भावना से कार्य करते हुए हमें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा। इसके लिए सभी देशवासियों को मिलकर तन, मन, धन से कार्य करना होगा।

मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा ने पुस्तक विमोचन के इस कार्यक्रम में कहा कि 200 वर्षों तक अंग्रेजों ने हम पर शासन किया। महज एक कंपनी के रूप में भारत आए अंग्रेज व्यापार के नाम पर इस देश के मालिक बन बैठे। अंग्रेजों ने भारत के संसाधनों से स्वयं के देश को संपन्न बनाया और हमें आर्थिक एवं राजनैतिक दास बनाया। आजादी के आंदोलन के समय जिस स्वदेशी राष्ट्र की कल्पना क्रांतिकारी करते थे, उसे आजादी के बाद भुला दिया गया। जिसके कारण हमारा देश आर्थिक रूप से पिछड़ता गया। स्वदेशी जागरण मंच विगत 25 वर्षों से स्वदेशी के क्षेत्र में कार्य कर रहा है, जिस से प्रेरणा लेकर देश के प्रधानमंत्री ने आज 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा दिया है। अपने वक्तव्य में रघुनंदन शर्मा ने कहा कि भारत में मेक इन इंडिया के स्थान पर मेड बाय इंडिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि मेक इन इंडिया में विदेशी पूंजी का निवेश होगा व लाभांश भी विदेशी कंपनियों को मिलेगा। जबकि मेड बाय इंडिया के द्वारा भारत के लोगों के द्वारा ही वस्तु उत्पादन होगा व लाभांश भी भारत के लोगों को प्राप्त होगा। रघुनंदन शर्मा ने स्वाबलंबन की व्याख्या स्पष्ट करते हुए कहा कि इस शब्द के आगे कुबेर का खजाना भी कुछ भी नहीं है। स्वाबलंबन से ही स्वाभिमान का भाव उत्पन्न होता है एवं देश भक्ति का भाव जागृत होता है। जापान हमारे 6 प्रांतों के बराबर देश है परंतु देशभक्ति की भावना के कारण आज समृद्ध देश है। हमारा देश भी आज 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। शर्मा ने अनुरोध किया कि 'स्वदेशी स्वाबलंबन की ओर भारत' पुस्तक को सभी को पढ़ना चाहिए एवं इसके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य भी करना चाहिए। स्वदेशी का अनुसरण कर ही हम विश्व शक्ति बनेंगे। आज के युग में जहां शस्त्रों की होड़ है वहां भारत का शक्तिशाली होना आवश्यक है जो कि बिना स्वाबलंबन व स्वाभिमान के संभव नहीं है।

कार्यक्रम का सफल संचालन स्वदेशी जागरण मंच मध्य भारत प्रांत प्रचार प्रमुख संजीव गोयल, अतिथि परिचय प्रांत सह संयोजक अखिलेश तिवारी व आभार लोकेंद्र सिंह कमर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के प्रांतीय संगठक केशब दुबोलिया सहित समस्त मध्य भारत प्रांत के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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