चीन को सबक सिखाने के संकल्प को पूरा करने के लिए तैयार 'सेवा भारती' की 'स्वदेशी झालर'

 



इंदौर. स्वदेशी त्यौहार, आत्मनिर्भरता तथा चीन को सबक सिखाने के संकल्प को पूरा करने के लिए विभिन्न स्थानों पर महिलाएं आगे आई हैं. गाय के गोबर से दीये, गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने का कार्य जोरों पर चल रहा है. अनेक स्थानों पर झालर (लाइट) बनाने का कार्य भी शुरू किया है. स्वरोजगार के साथ महिलाएं स्वावलंबन-आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ रही हैं.

दीवाली पर बड़े पैमाने पर लगने वाली रोशनी की झालरों का स्वदेशी विकल्प तैयार किया जा रहा है. बल्ब की झालरों का निर्माण की किसी फैक्ट्री में नहीं, बल्कि छोटी बस्तियों के घरों में किया जा रहा है. सेवा भारती ने दीवाली की रोशनी में स्वदेशी का विकल्प तैयार करने के साथ गरीब महिलाओं के रोजगार का रास्ता भी दिखाया है.

महिलाओं के 53 स्व सहायता समूह दीवाली पर लगाई जाने वाली बल्बों की झालर (सीरिज) तैयार कर रहे हैं. निर्माण तो स्वदेशी हाथों से हो रहा है, इन झालरों में मेटीरियल भी पूरी तरह स्वदेशी है. सेवा भारती ने अलग-अलग बस्तियों में महिलाओं के समूह तैयार किए हैं. हर समूह में पांच से 10 महिलाएं काम कर रही हैं. सेवा भारती इन्हें मेटीरियल उपलब्ध करवाता है. जिससे महिलाएं झालर बनाकर संस्था को उपलब्ध करवाती हैं. 

पैकिंग के बाद सेवा भारती के माध्यम से शहर के बाजार और घरों में स्वदेशी झालरों को उपलब्ध करवाया जा रहा है. सेवा भारती के सचिव रवि भाटिया के अनुसार पैकिंग और गुणवत्ता के साथ ही दाम में भी स्थानीय स्तर पर तैयार बल्ब की झालर चीन के मुकाबले बेहतर है. 130 रुपये में 50 बल्बों की झालर उपलब्ध कराई जा रही है. इस वर्ष करीब 20 हजार झालर तैयार करवाई जा रही हैं. सबकी खपत स्थानीय स्तर पर ही हो जाएगी. स्वयं सहायता समूह में ज्यादातर वे महिलाएं हैं, जिन्हें लॉकडाउन में रोजगार की समस्या से परेशान होना पड़ा था. इस गतिविधि से उन्हें भी आय का सम्मानजनक साधन मिल गया है.

मेटीरियल भी चीन का नहीं

स्वदेशी झालरों के निर्माण के मेटीरियल में भी चीन के उत्पाद का पूरी तरह बहिष्कार किया गया है. सेवा भारती के अनुसार एलईडी का निर्माण देश में नहीं होता है. ऐसे में इन्हें चीन या ताइवान या कोरिया से आयात किया जाए. हमने कोरिया और ताइवान के एलईडी बल्ब मंगवाए हैं जो झालरों में लगाए जा रहे हैं. इनका जीवन भी चीन वाले एलईडी से बेहतर है. वायर व अन्य सामान पूरी तरह स्वदेशी है. चीन से बेहतर गुणवत्ता का होने के कारण झालर का जीवन भी चार से पांच साल तक है. चीन की झालरों के उलट स्वदेशी झालरों की रिपेयरिंग भी संभव है.

साभार - विश्व संवाद केंद्र भारत 
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