क्या छतीसगढ़ के इस जिले में बेटियां नहीं रहीं सुरक्षित ?

 

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले बलरामपुर से पिछले पंद्रह दिनों में आये दुष्कर्म के मामलों ने इस जिले में बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा दिया है। दुष्कर्म की इन घटनाओं से न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि समूचा देश आक्रोशित है | साथ ही दुष्कर्म की यह घटनाएँ समाज के वीभत्स चेहरे को भी बेनकाब करती है

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में दुष्कर्म की इन घटनाओं के सामने आने के बाद सबसे पहला सवाल उठ रहा है कि क्या बलरामपुर में बेटियाँ अब सुरक्षित नहीं रही ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पिछले 15 दिनों में आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर में दुष्कर्म के कुल 06 मामले दर्ज हुए हैं | हालांकि इन सभी मामलों में पुलिस ने आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया है परन्तु 15 दिनों में 6 दुष्कर्म के मामले दर्ज होने पर कांग्रेस शासित राज्य में बेटियों की सुरक्षा के मामले में पुलिस और व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। 

ये घटनाएं हुईं घटित 

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बलरामपुर में पिछले 15 दिनों में दुष्कर्म के 6 मामले दर्ज हुए हैं | सबसे पहला मामला वाड्रफनगर चौकी क्षेत्र में 14 साल की नाबालिक के साथ सामूहिक दुष्कर्म का आया था, जिसके बाद सरकार के मंत्री शिव कुमार डहरिया भी बयानों से घिर गए थे और उस मामले के बाद दुष्कर्मों के मामले लगातार बलरामपुर में आने लगे | कुसमी पुलिस ने नाबालिग को हवस का शिकार बनाने वाले आरोपी को पत्थलगांव से गिरफ्तार किया, तो वहीँ रघुनाथ नगर में सामूहिक दुष्कर्म का मामला नाबालिग से आया | अभी यह सभी मामला गरम ही था कि वाड्रफनगर चौकी क्षेत्र में इंसानियत शर्मसार हो गयी यहां 5 साल की मासूम के साथ 11 वर्ष के बालक ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दे डाला।  अभी इस मामले की जांच ही चल रही थी कि तभी राजपुर थाना क्षेत्र में मवेशी चराने गई एक नाबालिक दुष्कर्म का शिकार हो गयी और फिर उसके बाद कल शाम होते-होते रघुनाथ नगर में रेप का एक और मामला शून्य में कायम किया गया | इस तरह पिछले 15 दिनों में आये 6 मामलों ने यह साबित कर दिया कि बलरामपुर में बेटियां सुरक्षित नहीं है।


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