मोदी सरकार कसने जा रही है पांच मिनट में बिना कागज,बिना गारंटी के लोन देने वाले दो दर्जन चीनी लोन ऐप पर शिकंजा

 

मोदी सरकार एक बार फिर से दो दर्जन चीनी लोन ऐप पर शिकंजा कसने जा रही है। सूत्रो के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और कई राज्यों की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) जल्द ही एक साझा अभियान के तहत कार्रवाई शुरू करेगी। इस घटनाक्रम से जुड़े कई सूत्रों ने बताया कि स्नैपआईटी लोन, बबल लोन, गो कैश और फ्लिप कैश समेत दो दर्जन से अधिक चीनी लोन ऐप के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

प्रवर्तन निदेशालय और राज्यों की सीआईडी टीम इन लोन ऐप के खिलाफ जांच शुरू करेंगी। ईडी और सीआईडी यूनिट्स ने रेजरपे समेत कई पेमेंट गेटवे से कहा है कि वे इन चीनी लोन ऐप्स के साथ लेनदेन न करें। ये ऐप सीधे पेमेंट गेटवे से जुड़े हैं, जिससे उनकी लेनदेन और पेमेंट की जांच नहीं हो पाती है। ईडी और कई राज्यों की सीआईडी ने पेमेंट गेटवे को नोटिस जारी कर कहा है कि वे चीनी कंपनियों की समर्थित लोन ऐप का लाइसेंस रद्द कर दें। उनकी कंपनियों के खिलाफ ऐसी कथित फर्जी कंपनियों के खाता खोलने के मामले में जांच चल रही है। सूत्रों के मुताबिक कर्ज देने वाले 95 फीसदी ऐप पेमेंट गेटवे के तौर पर बेंगलुरु स्थिति कंपनी रेजरपे का इस्तेमाल करती हैं। रेजरपे पर 2019 की तुलना में कर्ज संबंधी गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। 2019 में इसमें 51 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ था वहीं 2020 में इसमें 65 फीसदी का इजाफा हुआ था।

चीनी लोन ऐप को लेकर पेटीएम ने कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं, रेजरपे ने कहा कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी संदिग्ध मरचेंटको तुंरत ब्लॉक करता है। रेजरपे ने पिछले तीन महने में 300 से 400 संदिग्ध ऐप पर प्रतिबंध लगाया है। टाइगर ग्लोबल-समर्थित रेजरपे के पास देश में सबसे बड़ा भुगतान पेमेंट गेटवे है। यह छोटे व्यापारियों के एंड-टू-एंड डिजिटल ऑनबोर्डिंग को सक्षम करता है, जिसमें व्यक्ति और फ्रीलांसर भी शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि पेटीएम और रेजरपे से सरकारी अधिकारियों ने अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) को लेकर सवाल किया है। अधिकारी यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या ये कंपनियां पेमेंट गेटवे देने से पहले अपने प्लेटफॉर्म पर केवाईसी नियम को फॉलो करती हैं। एक अधिकारी ने कहा की यह एक बड़ी खामी है। पेमेंट गेटवे कंपनियां अधिक नकदी प्रवाह करने की जल्दी में इन चीनी संस्थाओं के खाते खोले हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें मनी ट्रेल का पता लगाने के लिए केवाईसी करना होगा।

देश का बड़ा युवा वर्ग चीन के लोन ऐप के जाल में फंसता जा रहा है। ये लोन एप झटपट, फटाफट पांच मिनट में बिना कागज,बिना गारंटी के 10-20 हजार रुपये तक लोन देते हैं। ये ग्राहकों को लोन 32 से 40 फीसदी के ब्याज पर देती हैं। हाल ही में आरबीआई ने इन लोन ऐप की मनमानी पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है। गौरतलब है कि इंस्टेंट लोन के नाम पर कई चीनी ऐप हजारों लोगों को अपने झांसे में फंसा चुके हैं। खासतौर पर लॉकडाउन के समय इन ऐप्स ने देश भर में अपना जाल फैलाया है। अगर किसी समय से पैसा नहीं लौटाया तो उनकी निजी जानकारियों को व्हाट्सअप पर सार्वजनिक कर दिया जाता है और परिवार के लोगों को धमकी भरे फोन आते हैं ।

सिबिल की रिपोर्ट के अनुसार, फिनटेक कंपनियां तेजी से फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की जाल में फंसती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, निजी बैंकों के मुकाबले फिनटेक कंपनियों के पास आठ गुना अधिक एनपीए खाते हैं। अगस्त में फिनटेक कंपनियों के पास 5 फीसदी खाते वैसे थे जो पैसा नहीं चुका पा रहे थे वह अब बढ़कर 43 फीसदी पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण बहुत सारे लोगों की नौकरी और कारोबार ठप हो गया है। इससे वह अपनी ईएमाअई चुकाने में सक्षम नहीं हे। इसके चलते उनका खाता एनपीए हो रहा है।

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