प्रशासन की अनदेखी के चलते असामाजिक तत्वों की मौज मस्ती का अड्डा बना महाभारतकालीन बाणगंगा स्थल

 

शिवपुरी स्थित प्राचीन बाणगंगा स्थल जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास महाभारतकालीन है और पांडव जब सुरवाया गढ़ी में रह रहे थे, तब एक दिन जंगल में शिकार करने के लिये निकले। शिकार की टोह में वे शिवपुरी के वनप्रान्तर में पहुँच गए। यहाँ कुंती को प्यास लगी, किन्तु आस-पास कहीं कोई भी जल का स्रोत नहीं था। तब अर्जुन ने धनुष-बाण हाथ में लिये और 52 जगह तीर छोड़ दिये। इन सभी स्थलों से निर्मल जलधाराएँ फूट पड़ीं। चूँकि यह धाराएँ बाण चलने से फूटी थीं, इसलिये इन्हें बाणगंगा कहा गया। बाद में नकुल और सहदेव ने मिलकर इन सभी कुण्डों को बावड़ीनुमा आकार दिया। इसी आकार में शेष बचे 20 कुण्ड आज भी दिखाई देते हैं। ऐसे महान इतिहास को समेटे हुए हिन्दुओं का पवित्र स्थल आज प्रशासन की अनदेखी के चलते असामाजिक तत्वों की मौज मस्ती का अड्डा बना हुआ है, जहाँ यह असामाजिक तत्व शराबखोरी एवं अन्य अनैतिक कार्य करने तक से भी नहीं कतरा रहे है |

इन आसमाजिक तत्वों के हौसले कितने बुलंद है इसका अंदाजा यहाँ की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है | यहाँ मंदिर के निकट बने भवनों में जहाँ शराब की बोतलें खुले आम दिखाई देती है, पानी के पाउच, सिगरेट के खाली पैकेट और कोल्डड्रिंक की खाली बोतलें भी सम्पूर्ण मंदिर परिसर में यहाँ वहां पड़ी दिखाई देती है | इस स्थल के बारे में यह भी बताया गया है कि यहाँ स्मैकची भी लगातार स्मैक का सेवन करने आते रहते है | सिंधिया छत्री, भदैया कुंड और टूरिस्ट विलेज जैसे दर्शनीय पर्यटन स्थल के बीचों बीच स्थित हिन्दू देवी देवताओं के मंदिरों से सुसज्जित इस स्थल की यह दुर्दशा है और प्रशासन है कि इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा | शायद शिवपुरी का जिला प्रशासन यहाँ कुछ बड़ा घटित होने के बाद जागेगा |


प्राचीन बाणगंगा स्थल की दुर्दशा का वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें


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