श्री हनुमान जयंती पर श्री हनुमान शतक का प्रकाशन

 

संस्कृति पर्व प्रकाशन ने श्री हनुमान शतक का प्रकाशन किया है। श्री हनुमान शतक इस कोरोना की महामारी में लोक कल्याण का माध्यम बनेगा, यही इस ग्रंथ का अभीष्ट है। श्री हनुमान शतक श्री हनुमान जी की आराधना के लिए रचित 100 विशिष्ट चौपाइयों का संकलन है। इन चौपाइयों की रचना की पूरी प्रक्रिया भी बेहद आश्चर्यजनक है। इसके रचना क्रम के बारे में इसके रचनाकार संजय तिवारी ने स्वयं इसकी भूमिका में लिखा है- यह श्रीहनुमान जी की कृपा है। 21 मंगलवार में हनुमान शतक स्वयं श्री हनुमान जी ने ही पूरा कराया। उन्ही का ध्येय होगा। यह न मेरी भाषा हो सकती है और न ही कविता। प्रति मंगलवार पांच चौपाइयां कैसे उतरती गईं, में कह नहीं सकता। मानव प्रयास से तो इन्हें लिखने की शक्ति संभव नहीं। श्री हनुमान चालीसा की रचना पूज्यपाद श्री तुलसी दास जी महाराज कर चुके हैं। इस शतक की आवश्यकता क्यों हुई, श्री हनुमान जी ही जानें। श्री हनुमान चालीसा और श्री सुंदरकांड के समेकित स्वरूप में श्री हनुमान शतक में निश्चित ही मानव कल्याण की भावना ही है, ऐसी मेरी स्वयं की अनुभूति है। श्री हनुमान शतक का वाचन, गायन और श्रद्धा पूर्वक पाठ सभी के लिए कल्याणकारी हो, इसी कामना के साथ श्री हनुमान जी के श्री चरणों मे समर्पित कर रहा हूँ। श्री हनुमान जी के परम आराध्य प्रभु श्री राम और माता जानकी जी का आशीर्वाद प्राप्त हो, सभी का कल्याण हो।

श्री हनुमान शतक के इस पुरोकथन से ही बहुत सी बातें स्पष्ट हो जाती हैं। यह श्री हनुमान जी की आराधना का एक विशिष्ट ग्रंथ बन गया है। हिन्दी पत्रकारिता में संजय तिवारी एक ऐसा नाम है जिसने हिन्दी की प्रचलित पत्रकारिता से इतर राजनीति और अर्थ के साथ साथ संस्कृति, कला, साहित्य, पर्यावरण, विज्ञान, पुरातन साहित्य, भारतीय वाङमय और पराविज्ञान तक की गूढ़ जानकारियों और उनके फलक को पाठकों तक पहुंचाने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। सनातन संस्कृति की जड़ों से नई पीढ़ी को जोड़ने के उनके प्रयास बड़ी महत्ता के साथ फलीभूत होते दिख रहे हैं। उनकी पहचान ही अब संस्कृति पुरुष के रूप में बन चुकी है। उनके लेखन के मूल में ही सनातन संस्कृति की अवधारणा है जिसमे सनातन से सभी को जोड़ने की उनकी बेचैनी बहुत साफ दिखती है। #संस्कृति पर्व प्रकाशन समूह के रूप में आकर ले चुका समूह उनकी इसी बेचैनी का परिणाम है। एक पत्रकार के रूप में वर्ष 1986 से दैनिक जागरण समूह से जुड़ कर राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक प्रभात, दैनिक डेली न्यूज एक्टिविष्ट, श्रीटाइम्स, श्रीन्यूज, न्यूज एक्सप्रेस और न्यूज़ ट्रैक जैसे संचार माध्यमों की यात्रा करते हुए आज वह राष्ट्रीय फलक पर अव्वल दर्जे के राष्ट्रवादी लेखक, विचारक, चिन्तक, स्तंभकार और व्याख्याता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। संजय तिवारी साहित्य और पत्रकारिता का एक ऐसा समन्वय है जिसमें गीत, गजल, कविताएं, लेख और वैचारिक निबंन्धों शतकीय श्रृंखलाएं नित प्रतिदिन सोपान दर सोपान चल रही हैं। वह देश और विदेश के हिन्दी के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और पोर्टलों में लगातार लिख रहे हैं। इनके व्याख्यान काफी महत्व के माने जा रहे हैं। भारत के लगभग सभी प्रान्तों में विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मंचों पर इनके व्याख्यान की महत्ता है। संजय तिवारी साउथ एशिया मासकम्युनिकेशन प्रोग्रामिंग एण्ड रिसर्च सेण्टर, नई दिल्ली के मुख्य कार्याधिकरी भी हैं। इसके अलावा भारत संस्कृति न्यास, नई दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में वह दुनिया में भारतीय संस्कृति के संरक्षण के अभियान में लगे हुये हैं। मासिक द्विभाषी पत्रिका संस्कृति पर्व का संपादन कर संजय तिवारी ने संस्कृति और दर्शन के क्षेत्र में बड़ा कार्य किया है। संस्कृति पर्व के साथ ही संस्कृतिपर्व प्रकाशन की स्थापना और सनातन संस्कृति के साहित्य को प्रसारित करने का प्रकल्प स्वयं में उनके कार्यो और उद्देश्यों को परिभाषित कर रहा है।

श्री हनुमान शतक की रचना के बाद संजय तिवारी ने श्रीमद रामचरित मानस के आधार पर श्री रामकथा का लेखन प्रारंभ किया है। उनका यह कार्य लोगों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है।
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