सावधान...... शहर में पुनः कोरोना संक्रमण की भेंट देने को सक्रीय हो चुका है जॉम्बीयों का समूह

 



हम सभी को याद है कि किस प्रकार से पिछले वर्ष कोरोना का भारत प्रवेश हुआ, उसके बाद देश में पहला लॉक डाउन लगा जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था को तो आघात हुआ ही साथ ही बड़ी मात्रा में लोग कोरोना संक्रमित हुए, कई काल के गाल में समा गए | फिर परिस्थितियां सम्भली और लॉक डाउन हटा | लॉक डाउन हटते से ही मानो घरों में कैद हो चुके लोगों में बाजार में भीड़ बढ़ाने की एक होड़ से मची परिणामस्वरूप कुछ ही माह में लॉक डाउन की दूसरी लहर ने ऐसी भयानक एंट्री की जिसका स्वरुप हम सभी ने देखा और उसे देखकर हर सामान्य से लेकर ख़ास व्यक्ति तक अंदर तक हिल गया | चारों तरफ मानो लाशें ही लाशें | हमारे न जाने कितने ही अपने इस दूसरी कोरोना लहर में हमसे बिछड़ गए, यह तक अभी हमें सही से ज्ञात नहीं हो पाया है | कोरोना की दूसरी लहर के विकराल स्वरुप को देखकर सहमे कई परिवार अभी तक अपने अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे है परन्तु शहर में एक ऐसा बड़ा वर्ग जिन्हें शायद जॉम्बीयों का समूह कहना उचित रहेगा, एक बार पुनः कोरोना संक्रमण की भेंट शहरवासियों को प्रदान कर सकता है |

जी हाँ, सही पढ़ा आपने, शहर में एक बार पुनः कोरोना लौट सकता है और उसका कारण बन सकते है शहर के लापरवाह युवा | वह युवा जिन्हें अभी तक यह ज्ञात ही नहीं हुआ है कि कोरोना ने सम्पूर्ण विश्व की मानवता पर कितना कहर ढाया है, जिन्हें ज्ञात नहीं कि इस कोरोना की वजह से न जाने कितने परिवार उजड़ गए है, यह जॉम्बी तो आज भी कोरोना को बस मजाक समझे हुए है | पाश्चात्य संस्कृति को अपनी रग रग में बसाएं यह जॉम्बी कोरोना की किसी भी गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे है, न तो इनके चेहरे पर आपको मास्क दिखाई देगा और न ही यह दो गज की दूरी की कोई परवाह करते है, फर्राटा भरती इनकी गाड़ियों को न तो बढ़ते पैट्रॉल के मूल्यों की कोई चिंता है और न ही चिंता गाडी पर बैठी तीन तीन सवारियों की है |

यह जॉम्बी आपको आपके आसपास मिल जाएंगे, हर तरफ, हर जगह | परन्तु शहर में इनके कुछ तय स्थानों पर उपस्थिति पर यदि दृश्य डालें तो निश्चित ही कुछ अनैतिक कार्यों में इनके संलग्न होने की संभावनाएं भी दिखाई देती है | जैसे शहर में जिस्मफरोसी, जुए एवं आईपीएल सट्टे के अड्डे के रूप में विगत कुछ वर्षों में प्रसिद्द हो चुके होटलनुमा चकलाघर | हैरान करने वाली बात यह है कि यह तथाकथित होटल शहरी सीमा के अंतर्गत तथा शहर के ह्रदय स्थल के आसपास ही न सिर्फ संचालित हो रहे है बल्कि शहर का हर व्यक्ति इनकी कारगुजारियों से भली भांति परिचित है | इन तथाकथित होटलों में घंटों की दर पर इन जॉम्बीयों को पता नहीं किस गुप्त वार्ता हेतु होटल के कमरे किराए पर दिए जाते है और इन कमरों में महज 15 -16 वर्ष की बालिकाओं की उपस्थिति भी इसे और रहस्य्मयी बना देती है |

अब एक बड़ा सवाल शहर की जनता और इन जॉम्बीयों के पालकों से पूछना बनता है कि क्या आपको नहीं लगता कि यह सब गलत है ? शहर की जनता जो इन चकलाघरों के बारे में सब कुछ जानती है क्यों ऐसे स्थानों का पूर्ण बहिष्कार और इनमें संचालित ऐसी घिनौनी गतिविधियों का विरोध नहीं होता ? क्या यह इस शहर की जनता का नैतिक कर्त्तव्य नहीं बनता ? इन जॉम्बीयों के पालकों को क्या अपने लापरवाह और समाज के लिए दिनों दिन घातक होते जा रहे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ? क्या इन जॉम्बीयों के पालकों के पास अपने खुद के बच्चों के लिए ही समय नहीं है ? या इन जॉम्बीयों के पालक ही इनके इन समाजद्रोही गतिविधियों के प्रणेता है ? यह सवाल अब आपसे पूछे जाने आवश्यक हो गए है क्योंकि इन जॉम्बीयों से अब पूरे शहर को खतरा है |

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें