महज 25-30 रुपये के एक ट्यूब ने बर्बाद कर रखी है शिवपुरी के सैकड़ों गरीब तबके के मासूम बच्चों की जिंदगी

 



शिवपुरी के सैकड़ों गरीब तबके के बच्चे जिनकी उम्र अभी खेलने कूदने और पढ़ने लिखने वाली है, उनकी जिंदगी महज 25-30 रुपये के एक ट्यूब नें बर्बाद कर रखी है ! इसमें लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी शामिल है ! यह 25-30 रुपये में मिलने वाला ट्यूब गाड़ियों के पंचर चिपकाने(सुलोचन) के लिए इस्तेमाल होता है पर आसानी से दुकानों पर उपलब्ध यह सुलोचन ट्यूब बच्चों के नशे के लिए भी जमकर इस्तेमाल हो रहा है।

शिवपुरी में गरीब तबके के मासूम आजकल सुलोचन के नशे का शिकार होकर अपना जीवन खत्म कर रहे हैं। मात्र 25 रुपये कीमत के ट्यूब के अंदर भरे सुलोचन को बच्चे आसानी से चार से पांच बार नशे के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं।इसके इस्तेमाल से बच्चे इसके आदी हो जाते हैं और गलत कामों जैसे चोरी आदि की ओर भी आकर्षित हो जाते हैं। इसका लगातार सेवन करने से टीबी कैंसर आदि बीमारियां घेर लेती हैं और जानकारों की मानें तो इसका सेवन लगातार होने से शरीर बहुत कमजोर पड़ जाता है। कपड़े में लगाकर इसे सूंघने से तत्काल बच्चे नशे में हो जाते हैं। शिवपुरी में 18 से 20 बच्चे नशा करते हुए हर रोज दिखाई देते हैं, ये नन्हे बच्चे या तो आपको अंधेरा होने के बाद कबाड़ बिनते नजर आयेगे या फिर भीख मागंते हुये।और मजे की बात ये है कि अगर कोई भला मानस इन बच्चों को खाना खिलाने की बात करे तो ये बच्चे साफ मना कर सिर्फ पैसे मागंते दिखायी देते हैं।इन नन्हे बच्चों की मुठ्ठी में इनकी नशे में सराबोर तकदीर दिखायी देती है जोकि आने वाले दस सालों में इन्हे नशे के लिये कुछ भी करवा देगी तब आज के ये मासूम कल के खतरनाक मुजरिम होंगे।इन बच्चों के परिवार वाले हालांकि बेहद गरीब तबके से हैं और खुद भी नशा करते हैं तो बच्चों को वो क्या सुधारेंगे।इन बच्चो को पुलिस भी ये कहकर अपना पल्ला झाड़ देती है कि इन पर क्या कार्यवाही करें आज इनको पकड़ेंगे तो कल फिर ये यही नशे का काम करेंगे !

हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि युवाओं को नशे के लिये कूछ भी मिल जाये चाहे झंडू बाम मिले या ऑयो डैक्स बस ब्रैड मे लगाया और चाय की चुस्की के साथ हो गया नशे का इन्तजाम।सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि युवाओं को नशे का सामान उपलब्ध कौंन करवाता है आये दिन स्मैक की तस्करी करने वाले नौजवान पुलिस की गिफ्त में आ तो जाते है पर ये तो नशे की दुनिया की सिर्फ छोटी मछलियां हैं बड़े गिरोह तक पुलिस के लम्बे हाथ अभी पहुंचे ही नही है।अब देखना यह होगा कि क्या शिवपुरी पुलिस कुम्भकर्णी नींद से जागेगी अथवा गरीब तबके के यह बच्चे नशे की लत के चलते हमेशा के लिये सो जायेंगे।

बच्चों में नशे की लत की शिकार वाले देशभर के 127 जिलों में से 9 जिले मध्यप्रदेश के

बच्चों में नशे की लत की शिकार वाले देशभर के 127 जिलों में से 9 जिले मध्यप्रदेश के पाए गए थे! उत्तर प्रदेश के 13 जिलों के बाद मध्यप्रदेश देशभर में ऐसा दूसरा राज्य था, जहां बच्चों में नशे की लत सर्वाधिक थी। संख्या के लिहाज से देखा जाए तो देशभर में नशे की लत की गिरफ्त में मौजूद बच्चों में हर 10वां बच्चा मध्यप्रदेश का था। यह खुलासा दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओर से वर्ष 2018 में कराए गए एक सर्वे की रिपोर्ट में हुआ था। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने देशभर के सभी 127 जिलों में बच्चों के लिए विशेष रूप से नशा मुक्ति केंद्र खोले जाने की सिफारिश भी की थी !

इस रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, नीमच मंदसौर, रतलाम, झाबुआ और रीवा में सर्वाधिक समस्या नशीला पदार्थ सूंघकर नशा करने की थी ! बच्चों में पाए जाने वाले नशों में इस तरह के नशेडियों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नशा मुक्ति और लत के शिकार लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए 'नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन' नाम से एक कार्यक्रम तैयार किया था, जो 2023 तक चलना है।

इस कार्यक्रम में सरकार के साथ मिलकर काम करने के इच्छुक गैर सरकारी संस्थाओं से केंद्र सरकार ने प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। इस कार्यक्रम के तहत हर जिले में दो नशामुक्ति केंद्र खोले जाने थे। इन केंद्रों को आउटरीच एंड ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) नाम दिया जाना था, जहां नशे की गिरफ्त में आए बच्चों की काउंसलिंग और इलाज दोनों की सुविधा की बात काही गई थी ! इसके अलावा कुछ जिलों में युवाओं को नशे की लत से दूर करने के लिए, कम्युनिटी आधारित केंद्र (सीपीआई) खोले भी खोले जाने थे! दोनों ही तरह के सेंटर को, केंद्र के द्वारा 100 फीसदी अनुदान देना था ! मध्य प्रदेश के सभी 9 जिलों में ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) खोलें जाने थे!

देशभर में 4.5 लाख बच्चे सूंघने के नशे के शिकार


देशभर में व्हाइटनर,पंचर बनाने का साल्यूशन, सुलोचन जैसे नशीले पदार्थ सूंघ कर नशा करने वाले 17 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 4.5 लाख बताई गई थी। ये बच्चे रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड, सार्वजनिक पार्कों में समूह बनाकर नशा करते पाए जाते हैं। मप्र में ऐसा लगभग 50 हजार बच्चे होने की बात सामने आई थी। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में नशे की लत के शिकार 10 से 17 वर्ष के 18 लाख किशोरों को तत्काल इलाज की जरूरत बताई गई थी।

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