ट्रांसजेंडर समुदाय के बनवाये गए 121 आयुष्मान कार्ड,ई श्रम पैनकार्ड,विकलांग कार्ड,राशन कूपन।


शिवपुरी, 7 सितम्बर 2022/ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेश अनुसार एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री दीपक गुप्ता के निर्देशन में सहीशपुरा शिवपुरी में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित ट्रांसजेंडर समुदाय को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सह जिला न्यायाधीश श्रीमती अर्चना सिंह के द्वारा पहचान सप्ताह के अंतर्गत ट्रांसजेंडर समुदाय की समाज में स्वीकारता बढ़ाने, उनके विधिक अधिकारो एवं शासन की योजनाओं से मिलने वाले लाभ के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की गई। श्रीमती सिंह के द्वारा शिविर के दौरान बताया गया कि दूसरे लिंग से अलग होने के कारण ट्रांसजेंडर लोग सामाजिक उत्पीड़न के अधीन रहे हैं क्योंकि समाज उनकी लिंग पहचान को स्वीकार करता है और वे उन पर होने वाली शारीरिक हिंसा से पीड़ित होते हैं, जिन मुख्य समस्याओं से वे पीड़ित हैं, वह हैं शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, बेघर होना, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की कमी, अवसाद, शराब दुरुपयोग और जीवन भर भेदभाव, उनके अधिकारों की रक्षा और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए भारतीय संविधान ने उन्हें कुछ अधिकार प्रदान किए हैं और सर्वाेच्च न्यायालय ने उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने का अधिकार दिया है उन्हें कुछ कल्याणकारी उपाय भी प्रदान किए हैं।

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक निर्णय में तीसरे लिंग ने कानून की नजर में कानूनी मान्यता प्राप्त की क्योंकि सर्वाेच्च न्यायालय से फैसला सुनाया की मौलिक अधिकार तीसरे लिंग के लिए उसी तरह उपलब्ध होने चाहिए जैसे वह पुरुष और महिला को प्रदान किए गए थे। 

सर्वाेच्च अदालत ने ट्रांसजेंडर को अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21 के तहत समान अधिकार और सुरक्षा के अतिरिक्त, गरिमा के अधिकार के महत्व पर जोर दिया और उनके लिंग पहचान को उचित मान्यता दी जो कि सेक्स दी असाइनमेंट सर्जरी से गुजरने के बाद पुनः सौपे गए लिंग पर आधारित थी क्योंकि व्यक्ति को पुरुष या महिला के रूप में मान्यता प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार है। कानून का शासन सर्वाेच्च है और भारत में कानून की नजर में सभी समान है, इसके बावजूद ट्रांसजेंडर को दुर्व्यवहार और भेदभाव से गुजर ना पड़ा है। साथ ही सर्वाेच्च न्यायालय ने वोटर कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों में तीसरी श्रेणी को शामिल करके और शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों में प्रवेश के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी निर्देश दिए। मानव अधिकार, मूल अधिकार और स्वतंत्रता है जो एक मानव होने के कारण उन्हें गारंटी दी जाती है, वे अधिकार भी ट्रांसजेंडर समुदाय को प्राप्त है उक्त शिविर के साथ पहचान सप्ताह के अंतर्गत ट्रांसजेंडर समुदाय हेतु शासन की योजनाओं के अंतर्गत उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेज बनवाए गए। 

शिविर में उपस्थित ट्रांसजेंडर समुदाय के 25 आयुष्मान कार्ड, 45 ई श्रम कार्ड, 35 पैन कार्ड, 2 विकलांग कार्ड, 14 राशन कूपन बनवाए गए। इस प्रकार शिविर में कुल 121 कार्ड बनवाए गए। उक्त शिविर में पैरा लीगल वालंटियर श्री धर्मेंद्र कुमार गुप्ता उपस्थित रहे।


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