शिवपुरी का सत्यानाश करने वाले भू माफियाओं के विरुद्ध क्रांतिदूत की मुहिम,जनता को मूर्ख बना अवैध धंधा करने वाले इन सफेदपोशों पर क्यों नही होती कार्यवाही?



शिवपुरी:शिवपुरी नगर और नगर से सटे ग्रामीण क्षेत्रो में भू माफियाओं के द्वारी काटी गई अवैध कॉलोनियों पर आखिरकार पोल पट्टी खुल जाने के बाद भी क्यों नही होती कार्यवाही?

शिवपुरी जिले के भू माफिया इतने ताकतवर है,इन्हें इतने बड़े बड़े लोगो का संरक्षण प्राप्त है कि इनकी कारगुजारियों के प्रकट हो जाने के बाद भी यानी अवैध कारोबार की परतें खुल जाने के बाद भी इनका कुछ नही बिगड़ता।कोई भी राजनीतिक दल हो इनकी घुसपैठ आसानी से हो जाती है,आखिरकार अर्थ युग है,अर्थ से क्या सम्भव नही हो पाता?

शिवपुरी नगर में आज नालों के नाम पर क्या बचा है?तालाबो पर खुलेआम अतिक्रमण हो गया है,स्थिति ये है कि आज सरकारी जमीन शिवपुरी में बची नही है।भू माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद है कि वह जहां चाहे वहां जमीन हथिया कर उसे बेच रहे है।यही भू माफिया इसी अवैध कमाई से प्रमुख पदो पर भी आसीन हो रहे है।फरवरी में तत्कालीन ए डी एम उमेश शुक्ला ने इन भू माफियाओं पर कार्यवाही के लिए पत्र लिखा पंरन्तु वह आज दिनांक तक ठंडे बस्ते में है,और ए डीएम शिवपुरी से विदा ले जा चुके है।ये भू माफियाओं की ताकत को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है।शिवपुरी में अवैध कॉलोनियों की बाढ़ सी आ गयी है,जब ये कॉलोनी काटी जा रही होती है तब सारे अधिकारी,कर्मचारी,पटवारी चैन से जाकर सो जाते है।जब कॉलोनियों में सुविधाओं के नाम पर शिकायत शुरू होती है,तब जाकर पता चलता है कि ये तो अवैध कॉलोनी है।लेकिन ये कारोबार शिवपुरी में भरपूर फलफूल रहा है।प्रशासनिक सहभागिता,राजनीतिक संरक्षण में दिनों दिन बढ़ रहा है।शिवपुरी में बाढ़ का कारण हो या साफ सफाई की समस्या,उसके मूल में खुलेआम भू माफियाओं के द्वारा काटी जाने वाली अवेध कॉलोनी है।और राजनीतिक दलों में प्रमुख पदों पर बैठे हुए लोग ही इसे अंजाम दे रहे है।यानी वह पदो पर बैठे ही केवल अपने इस कारोबार को निर्विघ्न रूप से चलाने के लिए है।पटवारी हो या उच्च अधिकारी सभी इस मामले में सहभागी रहे है।नगर की अवैध कॉलोनियों की तो शिकायत भी हो चुकी है,पंरन्तु ग्रामीण क्षेत्रो रातोर, सिंघनिवास आदि में काटी गई अवैध कॉलोनियों की शिकायत ही दर्ज नही हो पाई है,कारण वहां भू माफियाओं के विरुद्ध कोई शिकायत ही भय के मारे नही करता है।इनकी पहुच और रसूख के मारे कोई शिकायत ही दर्ज नही करा पाता,जो शिकायत की सोचता है,उल्टी उसी की शिकायत दर्ज हो जाती है।

कई जगह स्थिति ये है कि जब व्यक्ति अपनी जमीन समझ कार्य प्रारम्भ करने जाता है तो पता चलता है कि उक्त जमीन तो किसी दूसरे के नाम चढ चुकी है।गोरखधंधा इतना बड़ा है कि इन कॉलोनियों में बिजली और पानी के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने वाले लोग अपने आप को ठगा महसूस करते है,क्योंकि कोई सुविधा उन्हें प्राप्त हो ही नही पाती।ये सारे बिंदु स्वयम एडी एम उमेश शुक्ला द्वारा लिखे गए पत्र में स्पष्ट है।उमेश शुक्ला इसी लिए शिवपुरी में टिक ही नही पाए क्योंकि उन्होंने इन भू माफियाओं के कृत्यों को उजागर करने का साहस दिखाया था।।

शिवपुरी और शिवपुरी से सटे हुए क्षेत्रो में अवेध कॉलोनियों की विस्तृत रिपोर्ट आप के समक्ष पूर्ण ईमानदारी निष्पक्षता और दृढ़ता के साथ बिना भय ,राग और द्वेष के प्रस्तुत अगले चरण में करेंगे। पढ़ते रहिए क्रांतिदूत।

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