हिंदुत्व के नाम पर सोशल मीडिया के लिक्खाड़ - दिवाकर शर्मा

आजकल एक पोस्ट खूब वायरल हो रही है -

क्या ऐसे बनेगा हिंदु राष्ट्र?

पोस्ट में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती के स्वर्गवास उपरांत राष्ट्रीय शोक घोषित न करने को लेकर तंज किया गया है। सवाल उठाया गया है कि मध्यप्रदेश में तो उनका जन्म भी हुआ, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग भी लिया, और अंतिम सांस भी नरसिंहपुर में ही ली, अतः कमसेकम मध्यप्रदेश में तो शोक घोषित करना ही चाहिए था। 

मैंने जिज्ञासावश पोस्ट वायरल करने वाले महानुभावों की प्रोफ़ाइल खंगालना शुरू किया, तो कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकाँश सिक्यूलर जमात के निकले। आखिर इन लोगों में यह हिंदुत्व प्रेम क्यों जागृत हो रहा है ?

मुझे स्मरण हो आया वह प्रसंग जब कांची के पूज्य शंकराचार्य जी को कार्तिक मास में पूजन करते समय एक मिथ्या आरोप में अपमानजनक ढंग से गिरफ्तार किया गया था। और हैरत की बात है कि उसे जायज बताने वाले वे ही स्वनामधन्य सेक्यूलर मित्र आज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती के स्वर्गवास उपरांत राष्ट्रीय शोक घोषित न करने को लेकर विलाप कर रहे हैं। 

यह केवल राजनीति नहीं तो क्या है ? राजकीय शोक घोषित कर दिया जाता, तो ये चीखते देखो देखो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की साजिश की जा रही है। 

उक्त पोस्ट को साझा करने वाले अति उत्साही महानुभाव भी हैं। जो एक तरफ तो ऐसी पोस्ट कर रहे हैं -

यदि कोई आपसे पूछे कि अभिमन्यु कैसे मारा गया, तो संभवतः आपके पास दो जवाब होंगे ! पहला अभिमन्यु को कौरव सेना के दर्जनों महारथियों ने घेरकर मार दिया ! दूसरा कौरवों की वो रणनीति जिसके तहत अर्जुन को युद्धक्षेत्र से जानबूझकर इतनी दूर ले जाया गया कि,वो चाहते हुए भी अपने बेटे को बचाने हेतु समय पर नहीं पहुंच सके.! 

फिलहाल युद्धक्षेत्र सज चुका है.! अभिमन्यु (मोदी जी) को घेरने की पूरी तैयारी हो चुकी है ! कौरवों के योद्धा कांग्रेस, सपा, बसपा, ममता, लालु,जेडीयु, शिवसेना,एनसीपी, वांमपंथी, आप, ओवेसी चीन और पाकिस्तानी इकट्ठे हो रहे हैं ! इसके साथ ही साजिश चल रही है हिन्दुओं को बांटने की। 

और दूसरी तरफ वायरल पोस्ट को भी साझा कर रहे हैं। 

यही है सोशल मीडिया की खूबी और कमी।  यहाँ व्यक्ति किसी विचार पर स्थाई नहीं टिकता। उसका ध्यान केवल लाइक और कमेंट पर रहता है। 


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