कहीं बढ़ते हुए ह्रदयघातो के पीछे तेज आवाज संगीत तो मुख्य कारण नहीं? – दिवाकर शर्मा

 


विगत कुछ वर्षों से हृदय रोगों की बढ़ोत्तरी से विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। विगत कुछ माह में ही अचानक हुए हृदयघातो के मामले सामने भी आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार डीजे और अन्य बड़े साउंड से निकलने वाली बहुत ज्यादा डेसीमल वाली ध्वनि तरंगें मानव शरीर के लिए हानिकारक होती हैं। इसका प्रभाव हृदय तथा मस्तिष्क दोनों पर हो सकता हैं। डीजे की आवाज के अतिरिक्त वाहनों के तेज हॉर्न भी लोगों को दिल का मरीज बना रहे हैं। कुल मिलाकर ध्वनि प्रदूषण के कारण विगत कुछ वर्षों में हृदय संबंधित मामले बढ़े है, ऐसा जानकारों का कहना है।

ऐसा नहीं कि तेज आवाज संगीत के कारण सिर्फ हृदय संबंधी समस्या ही उत्पन्न हो रही है बल्कि इससे सुनने की क्षमता पर भी असर हो रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में घबराहट की समस्या भी बढ़ रही है, बीपी एवं मस्तिष्क संबंधी बीमारियां भी बढ़ रहीं है, लेकिन मानक उलंघन करने वालों के विरुद्ध संबंधित विभाग कोई कठोर कार्यवाही नहीं कर रहा है। शादियों एवं अन्य समारोहों में तेज ध्वनि यंत्रों पर प्रशासन द्वारा लगाई गई रोकों का असर अक्सर न के बराबर दिखाई देता है।  ध्वनि की तीव्रता 50-60 डेसीमल तक ही सामान्य मानी जाती है। सामान्य बातचीत 20-30 डेसीमल तक होना चाहिए। हॉर्न व डीजे की ध्वनि की तीव्रता 110 डीबी से अधिक होती हैं जो नुकसानदायक हैं। तीव्र ध्वनि के कारण नींद न आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है एवं इससे एकाग्रता भी नष्ट होती हैं। 


प्रसिद्ध न्यूज एंकर रोहित सरदाना, बिग बॉस फेम सिद्धार्थ शुक्ला, गायक के के, 'भाभी जी घर पर हैं' के मलखान यानि दीपेश भान आदि की अचानक हुई मौतो ने भारत वासियों सहित स्वास्थ्य विभाग को भी चौंका दिया है। बीते कई दिनों से प्रसिद्ध कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को आए 'हार्ट अटैक' के बाद दिल के दौरों के मामलों को लेकर हर तरफ चर्चा होती दिखाई दे रही है।  इसी बीच सोशल मीडिया पर वायरल तीन वीडियो ने 'हार्ट अटैक' के एक नए कारण पर लोगों को अचंभित कर दिया हैं। सोशल मीडिया पर वायरल इन तीन अलग अलग वीडियो में डांस करते हुए कलाकारों को अचानक हुए हृदयघात के मामले सामने आए हैं। इस पर विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना हैं कि अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों के अलावा इस तरह से बढ़ते हृदय रोगों के लिए कोरोना महामारी के साथ साथ तेज ध्वनि को प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा हैं। 


जर्मनी स्थित मेंज यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के एक अध्ययन के अनुसार, बढ़ता शोर आपके हार्ट रिदम अर्थात हृदय की लय को बिगाड़ देता हैं। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में 'एट्रीयल फिब्रीलेशन' कहा जाता है। यह स्थिति दिल की धड़कन की अनियमितता को बढ़ा देती है जिसके कारण रक्त के थक्के बनने, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर की समस्याएं भी हो सकती हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि कोई भी चीज जो ह्रदय पर अतिरिक्त दवाब डालती है या रक्तचाप में बदलाव का कारण बनती है, इसके कारण फिब्रीलेशन ट्रिगर हो सकता है। डीजे/लाउडस्पीकर की तेज आवाज को हमेशा से हानिकारक माना जाता रहा है। यह न सिर्फ हृदयरोगियों के लिए गंभीर है बल्कि स्वस्थ लोगों में भी हृदय की समस्याओं का कारण तेजी से बनती दिखाई भी दे रही है।

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