शहरवासियों की जान लेती गंभीर समस्या 'डंडाबैंक' पर कब सख्त होगा कानून?


'डंडाबैंक' शिवपुरी शहर के लिए वर्षों से एक भयानक बीमारी बनी हुई है तथा इसका उचित और स्थाई समाधान खोजने में जिले की कानूनी व्यवस्था के मुखिया डंडाबैंक कर्मियों के सामने नतमस्तक से नजर आते रहे हैं। विगत 10-12 वर्षों में डंडाबैंक नामक यह बीमारी न जाने कितने घरों को बर्बाद कर चुकी है। आज भी डंडाबैंक की प्रताड़ना से शहर में मौतों का क्रम बदस्तूर जारी है और एक दुखद पहलू यह भी हैं कि हर बार डंडाबैंक की प्रताड़ना के कारण से हुई मौत समाचार पत्रों में महज एक खबर बन कर रह जाती है। आख़िर ऐसा क्यों होता हैं? यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है।

क्या है यह डंडाबैंक?

ब्याज पर पैसे देकर मोटा ब्याज अवैध रूप से वसूल करने वाले घिनौने कृत्य का नाम है डंडाबैंक। हालांकि विगत कई वर्षों से प्रशासन ऐसे लोगों पर लगातार कार्यवाही करता रहा है लेकिन इसके बावजूद दबंग साहूकार अपनी हरकतों से बाज आते नजर नहीं आ रहे हैं।

कौन बनते है इसके सर्वाधिक शिकार ?

डंडा बैंक के सर्वाधिक शिकार युवा वर्ग बनता है जो अपनी लक्जरी लाइफ स्टाइल को मैनेज करने, जल्द से जल्द अमीर बनने के सपने को साकार करने, अवैध आईपीएल सट्टे की लत आदि के चलते बनते है | इस युवा वर्ग के बाद डंडा बैंक के शिकार कई बार वह लोग भी बनते है जिन्हें अचानक ही किन्ही कारणों से धन की आवश्यकता पड़ जाती है | इन आवश्यक कार्यों में शादी विवाह, नया कारोबार स्थापित करना, पुराने कारोबार को गति प्रदान करना, आकस्मिक चिकित्सा, परिजन की शैक्षिक व्यवस्था आदि प्रमुख कारण होते है | हालांकि इन कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराये जाने हेतु शासन प्रशासन कई शासकीय योजनाएं होने का दावा करता है परन्तु इन योजनाओं का लाभ सही समय पर उचित व्यक्ति को न मिल पाने के कारण डंडा बैंक का लगातार बढ़ना एक बड़ा प्रमुख कारण है |

कैसे कार्य करता है डंडा बैंक गिरोह ?

डंडा बैंक का आज शहर में कोई एक प्रमुख सरगना नहीं है बल्कि अब इस घिनौने कृत्य में अनेकों नए नए लोग अपना हाथ आजमा रहे हैं | शहर की गली गली में इनके एजेंट सक्रीय दिखाई देते हैं | इन्ही एजेंटों के माध्यम से लोगों को डंडा बैंक रुपी दलदल में प्रवेश कराया जाता है फिर जो एक बार इस दलदल में फंसा उसका इस दलदल से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन होता है। और कई बार उक्त व्यक्ति अपनी जीवनलीला समाप्त करने को बाध्य होता है। मात्र कुछ कोरे हस्ताक्षर युक्त चैक एवं एक शपथ पत्र के माध्यम से 10-30 प्रतिशत का मोटा ब्याज, ब्याज तय दिनांक तक न देने पर प्रतिदिन की अतिरिक्त पेनल्टी, पेनल्टी पर भी चक्रवर्ती ब्याज। अब कल्पना कीजिए कितना कुछ मानसिक दवाब। ऐसे कार्य करता है डंडा बैंक और ऐसा होता है उसका प्रभाव। 

कई सफेदपोश जुड़े हैं इस घिनौने कृत्य से।

यदि शासन प्रशासन गंभीरता से, निष्पक्षता एवं दृण इच्छाशक्ति के साथ, डंडाबैंक से जुड़े लोगों को चिन्हित करना प्रारंभ करे तो यकीनन इस घृणित कार्य में संलग्न ऐसे सफेदपोशो के नाम सार्वजनिक होना तय हैं जिन्हें हम समाजसेवी तथा जनसेवक कहते नहीं अघाते हैं। कई ऐसे नाम भी सार्वजनिक होने की पूरी पूरी संभावना है जो मात्र अपने इन्ही कुकृत्यों से बचने के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों की सदस्यता तथा पद लिए बैठे है और अपने राजनैतिक प्रभाव के चलते प्रशासनिक अधिकारियों से नजदीकियां बना कर अपने डंडाबैंक रूपी घृणित एवं जानलेवा कार्य को संरक्षित किए हुए हैं। 

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