जल के बिना जीवन संभव नही,पृथ्वी पर जल महत्वपूर्ण संसाधन:श्याम त्यागी



- श्याम त्यागी, लेखक पर्यावरण शोधकर्ता है

प्रकृति ने हमें मुफ्त में कई उपहार दिए हैं जैसे स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु, पेड़ पौधे आदि । हम अपने इतिहास को उठाकर देखते हैं तो पता चलता है कि पृथ्वी पर जल शुरुआत से ही एक महत्वपूर्ण संसाधन रहा है । विश्व की सभी प्रमुख सभ्यताओं का उदय नदियों के किनारे ही हुआ है। वर्तमान समय में वैज्ञानिक भी मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं क्योंकि वहां पर उन्हें जल के कुछ अंश और हवा में नमी मिली है । इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जल के बिना जीवन संभव नहीं। आज यह कहते हुए दुख होता है कि पृथ्वी का 71 फ़ीसदी हिस्सा जल से घिरा हुआ है लेकिन इसमें मात्र 3.5 फ़ीसदी ही पीने योग्य जल है ।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार आज भी प्रति 9 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति तथा लगभग 85 करोड लोगों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं है । विश्व की लगभग एक तिहाई जनसंख्या जो लगभग 2 अरब के करीब है उन्हें वर्ष में 1 महीने जल की कमी से जूझना पड़ रहा है।  लगभग 50 करोड लोगों को पूरे वर्ष पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है । भारत में 1951 से 2011 के बीच प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता लगभग 70 फ़ीसदी घट चुकी है 2050 तक इसमें 22 फ़ीसदी तक की कमी होने की संभावना है।  भारत में 21 फीसदी बीमारियां गंदे पानी के उपयोग के कारण हो रही हैं, आज भी भारत में लगभग 16 करोड लोगों को पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है।

देश के ग्रामीण अंचल में पेयजल की स्थिति गंभीर होती जा रही है । नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल विवरण से दोगुनी हो जाएगी, करोड़ों लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा । चेन्नई, दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, भोपाल, कोटा, औरंगाबाद, मुंबई, ग्वालियर, लखनऊ, वडोदरा, राजकोट, अमृतसर, पुणे, अहमदनगर, बारामती जैसे 21 बड़े शहरों में भू-जल समाप्त होने की संभावना है ।नीति आयोग के अनुसार 60 करोड़ भारतीय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं 2 लाख लोग स्वच्छ पानी न मिलने के कारण प्रतिवर्ष अपनी जान गवा देते हैं। जल संकट के मामले में चेन्नई के हालात बेहद खराब हैं वहां लगभग 6 महीने से बारिश नहीं हुई जिसके कारण 46 लाख लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। दक्षिण चेन्नई में एक बाल्टी पीने के पानी के लिए 3 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय संस्था Water Aid की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2030 तक दुनिया के 21 शहरों में डे जीरो यानी नलों से पानी बंद होने का गंभीर खतरा बना हुआ है, और 2040 तक भारत समेत 33 देशों में पानी की बेहद कमी हो जाएगी जबकि 2050 तक दुनिया के 200 शहर खुद को डे जीरो वाले हालात में पाएंगे ।भूजल में गिरावट के अलावा नदियों तालाबों के पानी के प्रदूषित होने की भी चिंता लगातार बढ़ रही है । देश के 224 जिलों में फ्लोराइड का स्तर मानक से ऊपर चल रहा है, इसमें सबसे ज्यादा राजस्थान के 30 जिले हैं । 

हमारे देश में बावली, कुएं, तालाब आदि में जल संचय की परंपरा थी वह जल वर्ष भर काम आता था । समय के साथ इन्होंने अपना अस्तित्व खो दिया और आधुनिक मशीनों से जल का दोहन होने लगा। यदि हम फिर से देश को स्वच्छ व पीने योग्य जल उपलब्ध कराना चाहते हैं तो तकनीक तथा नवाचार इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं । यदि इनमें भारत की परंपरागत ज्ञान प्रणाली को अंतर्दृष्टि हो तो पेयजल आपूर्ति के लक्ष्य को फिर से हासिल किया जा सकता है वर्षा जल संरक्षण के लिए तालाब, चैकडैम, गेबियन स्ट्रक्चर, स्टॉप डेम, सोख्ता गड्ढा, रोक बांध, अस्थाई बांध आदि फिर से बनाने होंगे । हम अपनी छोटी-छोटी आदतों से भी जल बचा सकते हैं जैसे कपड़े धोते समय बर्तन धोते समय अपना वाहन धोते समय नहाते समय हम थोड़ा भी ध्यान देंगे तो लगभग 160 गैलन जल हर महीने बचेगा ।