ब्रह्मास्त्र फ़िल्म की पटकथा में तो कुछ भी ऐसा नही जिसके चलते फ़िल्म देखी जाये?



कई बार किसी फिल्म के प्रमोशन का भाग होता है, उसके बायकॉट का कॉल। मुझे लगता ही कि बहुत संभव है / हो सकता है फिल्म ब्रह्मास्त्र के साथ भी ऐसा ही हुआ हो। बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा। अब आप ही सोचिये कि क्या देश में हॉलीबुड फ़िल्में नहीं देखी जातीं ? कौन परवाह करता है कि अभिनेता / अभिनेत्री क्या खाते हैं, क्या पीते हैं ? फिल्म देखने दर्शक केवल मनोरंजन के लिए जाते हैं, किरदारों के निजी जीवन में ताकझांक करने के लिए नहीं। इस दृष्टि से विचार करें तो विवादों को एक तरफ छोड़कर जानें ब्रह्मास्त्र की पटकथा में क्या है, जिसके लिए यह फिल्म देखी जाए। यह ना तो कोई ऐतिहासिक फिल्म है और ना ही कोई धार्मिक या पौराणिक फिल्म। सीधे साधे शब्दों में कहें तो एकदम बोडम कथानक है फिल्म का। 

नाम दिया है ब्रह्मास्त्र लेकिन इसका हिन्दू मान्यता के ब्रह्मास्त्र से दूर दूर का कोई रिश्ता ही नहीं है।  एकदम नई कहानी गढ़ी है, फिल्मकारों ने। उनके अनुसार ब्रह्मास्त्र का जन्म कुछ इस प्रकार हुआ -

कुछ महान ऋषि मुनियों ने हिमालय की वादियों में घोर तपस्या कर एक ब्रह्म शक्ति प्राप्त की, जिससे अनेक विध्वंशक अस्त्रों का जन्म हुआ जैसे वानरास्त्र, नंदी अस्त्र, प्रभा अस्त्र, अग्नि अस्त्र और सबसे आखिर में ब्रह्मास्त्र। ब्रह्मास्त्र जिसमें सभी अस्त्रों की शक्ति समाहित है । अब इस सवाल का कोई जबाब नहीं है कि आखिर इन ऋषि मुनियों ने ऐसी विध्वंशक शक्ति पाने के लिए तपस्या क्यों की ? हमारे पुराणों के अनुसार तो तपस्या द्वारा ऐसी शक्ति या तो रावण जैसे दुष्ट पाते थे ब्रह्माण्डजेता बनने को, या राम जैसे सज्जन दुष्टों से समाज की रक्षा करने को। 

खैर फिल्म निर्माताओं के अनुसार तो ब्रह्मास्त्र बनाया केवल उसकी रक्षा के लिए। बस इन सभी ऋषि, मुनियों ने ब्रह्मास्त्र की रक्षा का वचन लिया और इनका नाम ब्रह्मांश हो गया। अब ऋषि अमर तो थे नहीं, तो ब्रह्मांश के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बच्चों को यह जिम्मेदारी सौंपते गए। मजा यह कि आज के समय में तो उनके वंशजों को पता ही नहीं होता कि वे ब्रह्मांश हैं। ऐसा ही एक शख्स है फिल्म का नायक शिवा । अब नायक है तो फिल्म में हीरोइन भी चाहिए, तो दशहरे के मेले में आयी हुई एक लड़की ईशा से उसे लव इन फर्स्ट साईट हो जाता है। जल्द ही दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगता है। उसके बाद ईशा को शिवा से जुड़ी कुछ रहस्य मई  शक्तियों का पता चलता है। यह देख ईशा हैरान हो जाती है कि शिवा को आग जलाती नहीं है । 


धीरे धीरे उसे समझ में आता है कि अरे वह तो स्वयं अग्नि अस्त्र है। उसे ब्रह्मास्त्र को बचाने की जिम्मेदारी का अहसास होने लगता है, जिसे कुछ बुरी शक्तियां हथियाना चाह रही हैं। अब इसमें हीरोइन का क्या रोल ? लेकिन ईशा की मदद से ही शिवा धीरे धीरे पहेलियां सुलझाना शुरू करता है, जो उसे सबसे पहले नंदी अस्त्र अनीस तक और फिर ब्रह्मांश के गुरु (अमिताभ बच्चन) तक पहुँचाती है। फिर होता है अँधेरे की रानी जुनून का ब्रह्मस्त्र को पाने के लिए आक्रमण । अब शिवा, ईशा और ब्रह्मांस के सदस्य सब मिलकर ब्रह्मास्त्र की सुरक्षा करते हैं.। बस यही है फिल्म की कहानी। इन निर्माता निर्देशकों को लगता है, कि अँधेरे की रानी से ये लोग ब्रह्मास्त्र बचा पाए या नहीं, यह जानने को आँख के अंधे गाँठ के पूरे दर्शक इसका दूसरा पार्ट भी देखेंगे, जिसे ये जल्द रिलीज करने वाले हैं । क्या लगता है आप इस बचकानी कहानी को देखना पसंद करेंगे ?

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