राजस्व को गहरी क्षति पहुचाने वाले पटवारियों का स्थानांतरण क्या काफी है?सोने का अंडा देने वाली मुर्गियों को बचाने का प्रयास।

 शिवपुरी:जमीन के कारोबार में अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करके करोड़ो रूपये की शासकीय जमीन को खुर्द बुर्द करने वाले पटवारियों का स्थानांतरण क्या काफी है?ये प्रश्न पटवारियों के थोक तबादले के बाद सभी के मन मे कौंध रहा है।

दरअसल शिवपुरी अनुविभाग में पिछले कुछ वर्षों में जमीन कारोबारियों ने खुलेआम सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुए है।एक भी प्लानिंग जायज नही है,सभी न तो किसी भी अनुमति के चल रही न ही शासकीय प्रावधानों का पालन करने वाली है।उल्टा रास्ते के जमीन को बेच कर व शासकीय जमीनों पर कब्जा करके करोड़ो रूपये डकारने वाले सफेदपोश भी है।ये सफेदपोश अकेले नही है,पटवारी भी इस खेल में सम्मिलित है।थोक में हुए तबादले जमीन कारोबार की परते खुलने के कारण ही हुए है,लेकिन ये काफी नही है।क्योंकि करोड़ो रूपये की शासकीय जमीन को खुर्द बुर्द कर नक्शे को प्रभावित करने वाले इन पटवारियों पर केस दर्ज कर इनकी संपत्ति बेचकर राजस्व की वसूली करनी चाहिए।वर्षो से एक ही हल्केमे जमे पटवारी काफी चांदी काट चुके है।जमकर पैसा बना चुके है।अब पिछोर जाए या खनियाधाना जो यहां किया वह वहां भी करेंगे।बल्कि एक तरीके से स्थानांतरण तो साफ साफ बचा लेना है।सोने का अंडा देने वाली मुर्गियों को स्थानांतरण करके बचा लिया गया है।

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