जहां विज्ञान की हद खत्म होती है वहीं से शुरू होती है आध्यात्म विज्ञान की हद : योगाचार्य स्वामी श्यामदेव जी

शिवपुरी- राजमाता चिकित्सा  महाविद्यालय में योग प्राण विद्या ध्यान शिविर बी के वर्मा जी  (डीन) के सहयोग से सम्पन्न हुआ। रामन्ना ट्रस्ट बेंगलोर से पधारे बी एम योगी जी द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से योग प्राण विद्या के विषय में बताया गया कि किस तरह यह विद्या कार्य करती है, साथ ही प्रयोग भी कराए गाए। उन्होंने कहा कि यह विद्या आपका सम्पूर्ण जीवन परिवर्तित करने में सक्षम है एवं बिना छूटे विना दवा के असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है। पांडूखोली स्वर्गपुरी आश्रम से पधारे योगाचार्य स्वामी श्यामदेव जी द्वारा योग प्राण विद्या ध्यान कराया गया एवं बताया गया कि आध्यात्म का यह प्राचीन विज्ञान मानव जीवन में किस प्रकार से कार्य करता है और कैसे भौतिक विज्ञान को आध्यात्म विज्ञान को जोड़ा जा सकता है कैसे डॉक्टर इस विद्या को अपने जीवन में अपनाकर  मानव सेवा को और अच्छे तरीके से कर सकते हैं साथ ही कहा कि जहां विज्ञान की हद खत्म होती है वहीं से आध्यात्म विज्ञान की हद शुरू होती है। इस विद्या के द्वारा गम्भीर से गम्भीर बीमारियों का इलाज सम्भव है यदि डॉक्टर इस विद्या का प्रयोग करते हुए मेडिसिन से इलाज  करते हैं तो हर बीमारी का जल्द हाई उपचार सम्भव हो जाता है। योगाचार्य स्वामी श्यामदेव जी द्वारा सूक्ष्म व्यायाम एवं प्रथ्वी शांति  ध्यान एवं क्षमा साधना कराई गई ।डॉक्टर श्रीमती इला गुजरिया जी (पूर्व डीन) ने आभार व्यक्त किया।

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