भगवान श्री राम द्वारा स्थापित एक अनोखा मंदिर जहां डॉक्टर भी देते हैं डिप्रेशन के रोगियों को जाने की सलाह





आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दवाओं से कोई परिणाम न निकलने पर मनोचिकित्सक अपने डिप्रेशन के रोगियों को एक मंदिर जाने की सलाह देते हैं। क्योंकि इन चिकित्सकों का भी मानना हैं कि यह वह धाम है़ जहाँ चमत्कार होता है। भक्तगण निराशा में डूबे हुये मंदिर में प्रवेश करते हैं और आशा का अलौकिक प्रकाश लेकर वापस अपने घर जाते है।

वैसे तो देश भर में भगवान गणेश के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और हर मंदिर अपने आप में अनोखा है और उसके पीछे कोई न कोई कहानी छिपी है | इन्हीं में से एक है चिंतामण गणेश मंदिर | भारत में एक नहीं बल्कि कुल चार चिंतामण गणेश मंदिर हैं | एक भोपाल के पास सिहोर में, दूसरा मंदिर उज्जैन में तीसरा राजस्थान के रणथंभौर में और चौथा गुजरात के सिद्धपुर में है | इन चारों मंदिरों की मूर्तियां स्वंय-भू बतायी जाती हैं | स्वयंभू मूर्ति का अर्थ है अपने आप जमीन से प्रकट होने वाली मूर्ति |

मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन में स्थित चिंतामण गणेश मंदिर जो उज्जैन के ही महाकालेश्वर मंदिर से कुछ दूरी पर बना हुआ है के बारे मे मान्यता है कि आने वाले भक्तों को भगवान गणेश का विशेष आशीर्वाद मिलता है और दवाओं से कोई परिणाम न निकलने पर मनोचिकित्सक अपने डिप्रेशन के रोगियों को चिंतामन गणेश मंदिर जाने की सलाह देते हैं।

स्वयं श्रीराम ने की उज्जैन के चिंतामण मंदिर की स्थापना

पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान स्वयं भगवान श्रीराम ने इस मंदिर की स्थापना की थी | ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से भक्तों की सभी मन्नतें पूरी होती हैं | मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं क्योंकि यहां गणेश जी तीन रूपों में विराजमान हैं | पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक |

माना जाता है कि भगवान राम जब माता सीता और भाई लक्ष्मण को लेकर बनवास के लिए निकले, तो उज्जैन के क्षेत्र में पहुंचकर न जाने क्यों उनको अनेक चिंताओं ने घेर लिया। प्रभु राम सोचने लगे कि भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता को लेकर जंगल में निकल तो पड़े हैं लेकिन राह में किसी भारी समस्या का सामना न करना पड़े। इस चिंता से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान श्री गणेश जी का ध्यान किया।

श्री गणेश भगवान ने उन्हें चिंता मुक्ति का वरदान दिया। भगवान गणेश की प्रेरणा से ही उन्होंने चिंता को दूर करने वाली भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की। गणेश जी की कृपा से भगवान श्री राम के मन की सारी चिंताएं दूर हो गई।

अब उनके मन में चिंताओं की जगह प्रसन्नता ने अपना स्थान बना लिया। इसीलिए भगवान श्रीराम जंगलों में भी राजभोग की जगह कंदमूल खाकर और महल में रहने की जगह घास फूस की कुटिया में रहकर भी प्रसन्नचित्त रहते थे।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान श्री राम द्वारा स्थापित यह अदभुत मंदिर आज भी भव्य रुप में अपना यश पताका फहरा रहा है। भक्तगण आज भी इस मंदिर में नतमस्तक होकर अपनी सारी चिंताओं से मुक्ति पा लेते हैं।

महारानी अहिल्याबाई ने कराया इस मंदिर का जीर्णोद्धार

चिंतामन गणेश मंदिर की शुरूआत भगवान श्रीराम ने उस समय की जब वह वनवास के दौरान इस उज्जैन के क्षेत्र से गुजर रहे थे। बाद में अनेक शासकों ने इस मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया। इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वालों में महारानी अहिल्याबाई का नाम सबसे पहले लिया जाता है। जिस समय महारानी अहिल्या बाई अपने आसपास के दुश्मन राजाओं के आक्रमण से चिंता ग्रस्त रहती थी। तभी एक दिन महारानी को उनके वरिष्ठ राजकीय पुरोहित ने उन्हें चिंतामन गणेश जी की शरण में जाने के लिए कहा। पुरोहित की बात मानकर महारानी अहिल्या बाई चिंतामन गणेश जी के मंदिर में नित्य पूजा अर्चना करने के लिए जाने लगी।

वह अब निडर होकर अपना शासन करने लगी। चिंतामन गणेश जी की आराधना ने महारानी अहिल्या बाई के राज्य को सुख और समृद्धि से भर दिया। महारानी अहिल्या बाई ने चिंतामन गणेश मंदिर को एक अत्यंत सुंदर एवं भव्य रूप प्रदान किया। इतिहासकारों के अनुसार यह 18 वीं शताब्दी की बात थी।

गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक लगता है भक्तों का मेला

वैसे तो पूरे वर्ष इस चिंतामन गणेश मंदिर में भक्तों का आवागमन लगा रहता है। लेकिन इस मंदिर में एक वह समय होता है़ जब दर्शन के लिए भारी भीड़ देखने को मिलती है। यह चिंतामन गणेश मंदिर गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक दर्शनार्थियों से खचाखच भरा रहता है। इस समय आने वाले भक्तों को भगवान गणेश का विशेष आशीर्वाद मिलता है।


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