कांग्रेस के अजय माकन केजरीवाल की बखिया उधेड़ रहे हैं।



दिल्ली के मुख्य मंत्री श्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों पूरे देश में घूम घूमकर विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं और अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की जुगत लगा रहे हैं। लेकिन उनके अभियान को सबसे बड़ा पलीता लगाया है कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन ने। अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने लिए वे अधिकार चाहते हैं, जो अब तक के इतिहास में दिल्ली के किसी मुख्यमंत्री को प्राप्त नहीं हुए। अजय माकन दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के एक बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। आईये पूरे घटना चक्र पर नजर डालें। 

दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पूर्व सीएम शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित प्रस्तावों के आधार पर - दिल्ली के उपराज्यपाल को प्रदत्त शक्तियों के संबंध में दोहरे मानकों को अपनाने के लिए - कांग्रेस की दिल्ली इकाई पर निशाना साधा था। 

ऐसे समय में जब कि आम आदमी पार्टी दिल्ली को लेकर केंद्र द्वारा लाये गए अध्यादेश के खिलाफ सभी विरोधी राजनीतिक दलों से समर्थन प्राप्त करने का प्रयास कर रही है, ऐसे में दिल्ली को अलग राज्य बनाने के मुद्दे पर दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज और कांग्रेस नेता अजय माकन के बीच जुबानी जंग छिड़ गई।

भारद्वाज ने दिल्ली की कांग्रेस इकाई पर "सुविधा की राजनीति" करने का आरोप लगाया और इस मामले में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन पर अपनी ही पार्टी को "गुमराह" करने का आरोप लगाया। 

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि "सुविधा की राजनीति ज्यादा देर तक नहीं चलती। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में दिनांक 11 सितंबर 2002 को पारित उस प्रस्ताव, को उद्धृत किया जो तत्कालीन मुख्य मंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित द्वारा पेश किया गया था, और जिसमें उप राज्यपाल के अधिकारों को लेकर गृह मंत्रालय के पत्रों के खिलाफ गहरी पीड़ा और चिंता व्यक्त की गई थी।

इसके जबाब में अजय माकन ने कहा कि उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि दिल्ली के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्ण राज्य का दर्जा या विस्तारित अधिकार नहीं मांगा था। उन्होंने कहा कि उनका आशय यह था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल "एक ऐसा अनूठा विशेषाधिकार" हासिल करना चाहते हैं, जो इससे पहले श्रीमती शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे मुख्यमंत्रियों को भी प्राप्त नहीं हुए थे।

अधिक शक्तियों की वकालत करते हुए जो मांग श्रीमती शीला दीक्षित ने 2002 में की थी, वही मांग उनके पूर्व मदन लाल खुराना, एचकेएल भगत और चौधरी ब्रह्म प्रकाश जैसे अन्य नेताओं द्वारा भी की जाती रही थी।

उन्होंने कहा, “इसके बावजूद, 1947 में अंबेडकर जी से लेकर पटेल, नेहरू, शास्त्री, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मनमोहन सिंह तक, किसी ने भी वह नहीं दिया जिसकी आप वर्तमान में मोदी सरकार से मांग कर रहे हैं ।”

माकन ने आगे तर्क दिया कि जहाँ तक सेवा का सवाल है, केजरीवाल के सभी पूर्ववर्तियों ने "उत्कृष्ट प्रदर्शन" किया था, जिसका " दुर्भाग्य से केजरीवाल में पूरी तरह अभाव है। उनका एकमात्र लक्ष्य अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ती करना और अपने आप को और अधिक शक्तिशाली बनाना भर प्रतीत होता है। 

उन्होंने कहा कि दिल्ली को पूरी शक्तियां इसलिए नहीं दी गईं, क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी भी है और "पूरे देश के लिए" है और इसलिए, सहकारी संघवाद का सिद्धांत "यहां लागू नहीं होता है।"

है ना रोचक सवाल जबाब ? कितना विचित्र है कि इसके बाद भी महाराष्ट्र में एन सी पी या उद्धव ठाकरे की शिवसेना जो कांग्रेस के साथ है, वह केजरीवाल का समर्थन कर करते दिख रही है और कांग्रेस के अजय माकन केजरीवाल की बखिया उधेड़ रहे हैं।  

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