क्या सचमुच सचिन पायलट स्वयं कांग्रेस छोड़ने के स्थान पर यही चाहते हैं कि कांग्रेस उन्हें निष्कासित करे ?


राजस्थान में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं
 चुनावी साल में कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई फिर से खुलकर सार्वजनिक हो गई है पिछले चुनाव के समय राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, भ्रष्टाचार और लगातार हो रहे पेपर लीक घोटालों पर राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत की निष्क्रियता के खिलाफ 5 दिवसीय "जन संघर्ष यात्रा" निकाल रहे हैं। यह तो सभी मानते हैं कि यह यात्रा और कुछ नहीं, उनका शक्ति प्रदर्शन है। दूसरी ओर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि यह उनकी निजी यात्रा है, इससे कांग्रेस पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। यह आम कार्यकर्ता को सन्देश है कि वे इस यात्रा में शामिल न हों। इतना ही नहीं तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोबिंद सिंह डोटासरा ने जयपुर में घोषणा भी कर दी कि कांग्रेस भी अपनी अलग यात्रा निकालेगी।  इसके बाद भी जितना विशाल जन समूह पहले ही दिन सचिन पायलट के साथ उमड़ा, उसने उनका आत्म विश्वास निश्चय ही बढ़ाया होगा। अजमेर से जयपुर की उनकी 125 किलोमीटर लम्बी यह संघर्ष यात्रा पूरी करने के लिए वे प्रतिदिन 25 किलोमीटर पैदल चलेंगे।

अजमेर में यात्रा प्रारम्भ करने से पूर्व सचिन के भाषण का केंद्रीय तत्व था - ये जनता है, सब जानती है और आपका भविष्य अब आपके ही हाथों में है। इसके साथ ही जब उन्होंने जोड़ा कि यही कारण है कि राज्य सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है, तो सभा में तालियां गूँज उठी। यह एक प्रकार से उपस्थित जनसमूह द्वारा उनके कथन का समर्थन ही तो था। उसके बाद शुरू हुई यात्रा, जिसमें सचिन के हजारों समर्थक हाथों में तिरंगा लिए हुए थे और उनके समर्थन में नारे लगा रहे थे। ख़ास बात यह कि यात्रा में कांग्रेस के झंडे नहीं थे और पोस्टरों पर जोश से मुट्ठी बांधे सचिन पायलट ही प्रमुखता से दिखाई दे रहे थे । हालांकि उन पोस्टरों पर एक ओर श्रीमती सोनिया गांधी, श्रीमती इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के फोटो अंकित हैं तो दूसरी ओर महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अम्बेडकर और भगतसिंह के चित्र हैं। स्पष्ट ही वे  आगामी कार्य योजना बहुत सावधानी से बना रहे हैं और चाहते हैं कि आमजन उन्हें ही वास्तविक कांग्रेस मान्य करे।  

राजस्थान की जनता इंतज़ार कर रही है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट को लेकर क्या निर्णय घोषित करता है। आम धारणा तो यही है कि 2023 के विधान सभा चुनावों में इस बार भाजपा और कांग्रेस के अतिरिक्त सचिन पायलट की नई पार्टी भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोकती नजर आएगी और चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष का रोमांच होगा। शायद इसी योजना के मद्दे नजर सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार के साथ पूर्ववर्ती भाजपा  शासन के खिलाफ भी आरोपों की झड़ी लगाई है। 


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