बंगाल का अनूठा हाईटेक शिक्षक भर्ती घोटाला - ममता बैनर्जी हुईं कांग्रेस के सामने घुटने टेकने को विवश।



बैसे तो पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में की गई अवैध नियुक्तियों का शिक्षक भर्ती घोटाला लम्बे समय से चर्चाओं में है, किन्तु प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कल दिनांक 30 मई 2023 को तृणमूल नेताओं के एक करीबी सुजय कृष्ण भद्र को गिरफ्तार करने के बाद यह प्रकरण एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। भद्र को घोटाले की चल रही जांच के सिलसिले में ईडी के अधिकारियों द्वारा 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। 

मामला कितना गंभीर है, इसका पता इस बात से ही चलता है कि तृणमूल कांग्रेस ने तो इस गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देने से ही इनकार कर दिया, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब ‘‘टीएमसी के शीर्ष नेता सलाखों के पीछे होंगे।''

स्वाभाविक ही भाजपा कैसे पीछे रहती। राज्य भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, "एसएससी घोटाले में यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण गिरफ्तारी है। कानून आखिरकार ‘मास्टरमाइंड' और सबसे बड़े लाभार्थियों को पकड़ने के करीब पहुंच रहा है। भ्रष्टाचार में शामिल टीएमसी नेताओं की सूची लंबी है।''  

भद्र मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे और रात करीब 11 बजे 12 घंटे की मैराथन पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सूत्रों ने कहा कि पूछताछ के शुरुआती दौर में भद्र ने पहले तो विरोधाभासी बयान देकर पूछताछ अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश की. हालांकि, पूछताछ के बाद जब केंद्रीय एजेंसी ने विशिष्ट दस्तावेज पेश करने के बाद उनके बयानों का खंडन करना शुरू किया, तो उन्होंने पूछताछ अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया.

सूत्रों ने कहा कि भद्रा ने तीन कॉर्पोरेट संस्थाओं के साथ अपने संबंधों से संबंधित सवालों को लगातार टाला. केंद्रीय एजेंसी को संदेह है कि वे शेल कंपनियां हैं, जिनका इस्तेमाल अपराध की आय के डायवर्जन में किया जाता है. ईडी ने 20 मई को भद्र के बेहाला स्थित आवास पर छापेमारी की थी. यह छापेमारी उसी दिन की गई थी जब सीबीआई ने इस मामले में तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ की थी.

इससे पहले सीबीआई ने भद्र के आवास पर भी छापा मारा था, जहां उन्होंने कुछ दस्तावेज और नकदी जब्त की थी. ईडी को जब्त किए गए भद्रा के दो मोबाइल फोन से कुछ सुराग हाथ लगे हैं. केंद्रीय एजेंसी की पूछताछ के दौरान इस मामले के एक संदिग्ध गोपाल दलपति ने भद्र का नाम लिया था.

दलपति ने बताया था कि भर्ती मामले में एक आरोपी और तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित नेता कुंतल घोष अपने द्वारा एकत्र किए गए घोटाले की आय का एक हिस्सा भद्र को सौंप देते थे, जिन्हें घोष 'कालीघाटेर काकू' (कालीघाट के चाचा) के रूप में संबोधित करते थे.

इसके पूर्व टीएमसी ने विगत 14 मार्च को अपने यूथ विंग के नेताओं कुंतल घोष और शांतनु बनर्जी को आनन् फानन में पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इन दोनों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसियों ने अब तक सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े कई लोगों को कथित रूप से घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। 

आईये जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये का कथित शिक्षक भर्ती घोटाला है क्या ? 

शिक्षक भर्ती घोटाला बहुत ही पेशेवर तरीके से किया गया था। परीक्षार्थियों को अपने जाल में फांसने के लिए तृणमूल की यूथॅबिंग के तत्कालीन नेता कुंतल घोष ने मध्य शिक्षा परिषद की एक फर्जी वेव साईट ही बना दी थी। इस वेव साईट पर वे सब जानकारियां अपलोड की जाती थीं, जो परीक्षार्थी जानना चाहते थे। इस फर्जी वेव साईटों के सञ्चालन में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी व अन्य आरोपी पूरी मदद करते थे। इस फजी वेव साईट पर असली वेव साईट से पहले ही उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट जारी होती थी। दूसरे शब्दों में कहें तो इस फर्जी वेव साईट से ही असली वेव साईट मॉनिटर होती थी। 

घोटाले में दो फर्जी वेव साईटों का इस्तेमाल किया गया। एक पर स्कूल सेवा आयोग तथा दूसरी पर मध्य शिक्षा परिषद की जानकारियां अपलोड की जाती थी। जैसे ही जांच शुरू हुई इन फर्जी वेव साईटों को बंद कर दिया गया। अब जांच अधिकारी गूगल को पात्र लिखकर इन बंद हुई वेव साईटों के सञ्चालन करता आई पी एड्रेस जानने का प्रयास कर रहे हैं। 

जानिये अब तक क्या क्या हुआ है -

कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए सहायक शिक्षक की अवैध नियुक्ति के आरोप में तत्कालीन प्रभारी मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग, पश्चिम बंगाल और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 

पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी भी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले की जांच का सामना कर रहे हैं। पिछले साल ईडी ने पीएमएलए विशेष अदालत, कोलकाता के समक्ष शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी सहित आठ आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की थी। इसके अलावा अक्टूबर 2022 में, सीबीआई ने सहायक शिक्षकों की कथित अवैध नियुक्ति के संबंध में 13 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। 

इस घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी तक भी पहुंची थी और एजेंसियों द्वारा उनसे भी सघन पूछताछ की गई थी। 

कई लोग हैरान हैं कि आखिर आजकल ममता दीदी जैसी दबंग नेता भी बार बार कांग्रेस के समर्थन की तलबगार क्यों दिखाई दे रही हैं ? 

इसका सीधा सा जबाब यही हो सकता है -

एक तो उपरोक्त स्केम की आंच का उन तक पहुंचना, जैसा कि स्वयं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी इशारा कर रहे हैं।  और दूसरा 

कर्नाटक चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस को एकमुश्त समर्थन। 

दीदी सोच रही हैं कि अगर बंगाल में भी मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर झुक गए तो उनका क्या होगा ?

इस विषय पर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों की लिंक -

https://www.abplive.com/news/india/west-bengal-teachers-recruitment-scam-tmc-expelled-kuntal-ghosh-and-santanu-banerjee-from-the-party-2357952

https://m.punjabkesari.in/national/news/bengal-school-recruitment-scam-ed-arrests-accused-sujay-krishna-bhadra-1832450?utm_source=twitterbot&utm_medium=social

https://hindi.latestly.com/india/teacher-scam-ed-arrested-trinamools-confidant-sujay-krishna-bhadra-1822772.html

https://www.prabhatkhabar.com/state/west-bengal/teacher-recruitment-scam-kuntal-ghosh-had-created-fake-website-of-ssc-and-madhya-shiksha-parishad

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