इटली के फुटबाल खिलाड़ी बनाम हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीति।



देश इस समय स्पष्ट रूप से दो पक्षों में बंटा हुआ है | चाहे अनचाहे हममें से सभी किसी न किसी पक्ष के पक्ष अथवा विपक्ष में हैं ही | यह वैचारिक समर है | 

अब बिना लागलपेट के सीधी बात। कुछ मित्र वैचारिक रूप से हिंदुत्व समर्थक हैं, किन्तु किसी न किसी कारण से (वैयक्तिक या वैचारिक) असंतुष्ट या उदासीन हैं, या यूं कहें कि वे तटस्थ हो गए हैं। किन्तु मित्रो यह तटस्थता भी किसी न किसी को सबल या दुर्बल करती है। दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछिए कि आप किसे सबल और किसे दुर्बल देखना चाहते हैं ? 

और फिर यह भी तो देखिये के सामने कौन है और कितना सावधान रहने की जरूरत है। 

फुटवाल हो या राजनीति - मुसोलिनी की धरती इटली के बासिंदों को हर कीमत पर जीतना पसंद है | उसके लिए वे नीति अनीति का विचार नहीं करते |

उदाहरण -

2006 में फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में फ्रांस और इटली आमने-सामने हुए। फ्रांस के लिए अपना आखिरी मैच खेल रहे "जिनेदिन जिदान" ने सातवें मिनट में गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिला दी। 19वें मिनट में "मार्को मटेराजी" ने गोल करके इटली को 1-1 की बराबरी पर ला दिया। ये स्कोर 90 मिनट की समाप्ति तक जस का तस रहा। मैच जब एक्स्ट्रा टाइम में गया तो गोल करने के लिए दोनो टीमे जीतोड़ कोशिश मे लग गयी।

इटली की टीम समझ गई थी कि यदि नियमानुसार खेल चलता रहा तो वे ये मुकाबला कभी नहीं जीत पायेगें, क्योकि सामने वाली टीम मे जिनेदिन जिदान जैसा अनुभवी खिलाड़ी है जो फ्रांस को 1998 के वर्ल्ड कप मे भी विजेता बना चुका था।

तब इटली की टीम ने अपनी रणनीति बदली और जिदान को टारगेट करने की योजना बनाई। निर्णायक गोल करने मे जुटे जिदान और मटेराजी के बीच अचानक कहासुनी हुई। इसके बाद मटेराजी ने जिदान की टीशर्ट खींची। थोड़ी देर बाद जिदान ने अपने सिर से हेडबट मारकर मटेराजी की छाती पर जोरदार प्रहार किया और मटेराजी नीचे गिर पड़े।

हेडबट करने की वजह से जिदान को रेड कार्ड दिखाया गया था। इसके साथ ही फ्रांस के इस महान खिलाड़ी के अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल का सफर थम गया।

अतिरिक्त समय में भी मुकाबला बराबर रहने पर मैच का निर्णय करने के लिये पेनल्टी शूट आउट का सहारा लिया गया, जिसमे फ्रांस की टीम इटली से 3-5 से मुकाबला हार गयी।

जिदान ने इस बात की जानकारी कभी नहीं दी कि आखिर उस दिन मटेराजी ने उन्हें कहा क्या था। लेकिन मटेराजी ने कई बरसो बाद खुद ही बताया कि उन्होंने उस दिन जिदान की बहन के खिलाफ कमेंट किया था। मटेराजी ने बताया, ‘जब मैंने उनकी टीशर्ट खींची तो जिदान ने कहा अगर तुम्हे मेरी टीशर्ट चाहिए तो मैच के बाद मैं तुम्हे दे दूंगा।' लेकिन मैंने जिदान से कहा कि मैं इसके बजाय उस वेश्या को पसंद करूंगा, जो कि तुम्हारी बहन है। मटेराजी के इस कमेंट के बाद जिदान ने अपने सिर से उनके सीने पर जोरदार प्रहार किया था। जिदान को मेच से बाहर कर दिया गया और आगे का सारा मुकाबला फ्रांस ने जिदान के बिना खेला। परिणाम यह निकला कि फ्रांस वर्ल्ड कप हार गया।

फ्रांस की हार ने साबित किया कि हर मेच केवल नियमानुसार खेलकर नही जीता जाता। इटली के घाघ खिलाड़ी इस मामले मे माहिर थे। फ्रांसीसी खिलाड़ी नादान थे | वे केवल अपने खेल के दम पर मेच जीतना चाहते थे क्योकि वे 'रूसो' जैसे सरल सुबोध विचारक की धरती से थे जबकि इटली के खिलाड़ी हर तरह का कुटिल खेल खेलने मे पारंगत थे क्योकि वे 'मेकियावेली' की जन्मभूमि से आये थे जो जीत के लिये किसी नैतिकता के बंधन को नही मानते। 

इटेलियन लोगो की रगो में सदियो बाद भी 'मेकियावेली' की कुटिलता दौड़ रही है और वे जीत के लिये हर संभव प्रयास करते है, चाहे उसके लिये उन्हे कितना ही नियम विरुद्ध क्यो न खेलना पड़े | 

फिर खेल चाहे मैदान के भीतर हो या मैदान के बाहर।

खेल चाहे फुटवाल का हो या राजनीति का !!

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