कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना - हादसा या षडयंत्र - रेलवे बोर्ड का अधिकृत बयान।
बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन पर हुई ट्रेन दुर्घटना जिसमें लगभग 288 लोगों की मौत हुई, रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने उसके बारे में कुछ तथ्य सार्वजनिक किये हैं -
यह भ्रांत धारणा है कि एक साथ तीन ट्रैन दुर्घटना ग्रस्त हुई। केवल कोरोमंडल एक्सप्रेस को ही दुर्घटना का सामना करना पड़ा, अन्य दो ट्रेनों को नहीं।
स्टेशन पर चार लाइनें हैं। दो सीधी मुख्य लाइन हैं, जिन पर ट्रेनें नहीं रुकती हैं। अन्य दो लूप लाईनें हैं। अगर किसी ट्रेन को रोकना होता है तो उसे लूप लाइन पर ले जाकर रोका जाता हैं। दुर्घटना के समय, दो मेल एक्सप्रेस ट्रेनें स्टेशन पर अलग-अलग दिशाओं से आ रही थीं।
दुर्घटना के समय, इन दोनों एक्सप्रेस ट्रेनों को मार्ग देने के लिए दो मालगाड़ियों को लूप लाईन पर रोका गया था ।
कोरोमंडल और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के लिए दो मुख्य लाइनों को ग्रीन सिग्नल दिया जा चूका था, जिसका मतलब है कि चालक के लिए आगे का रास्ता साफ है और चालक अधिकतम गति का उपयोग कर सकता है।"
उस स्थान पर कोरोमंडल के लिए 130km/hr की गति हेतु अनुमति थी और कोरोमंडल की गति 128 किमी/घंटा थी।
बेंगलुरु-हावड़ा भी अपनी गति सीमा के भीतर 126 किमी/घंटा की गति से चल रही थी।
अर्थात ओवरस्पीडिंग भी नहीं थी, सिग्नल भी हरा था। फिर यह दुर्घटना क्यों और कैसे हुई, इसकी जांच की जा रही है। अभी यह कहना भी जल्दबाजी होगा कि सिग्नल में कुछ गलती हुई, लेकिन इतना स्पष्ट है कि तीन ट्रेनें नहीं केवल एक ट्रेन - कोरोमंडल दुर्घटना ग्रस्त हुई और इसका इंजिन लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गया ।
चूंकि ट्रेन अपनी अधिकतम गति पर थी, इसलिए टक्कर इतनी जबरदस्त हुई। मालगाड़ी भारी और लौह अयस्क की थी। इसलिए उस पर टक्कर का प्रभाव नहीं हुआ, पूरा नुक्सान कोरोमंडल को हुआ।
कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन एलएचबी कोच की थी, जो बहुत सुरक्षित हैं और वे पलटते नहीं हैं। लेकिन इस मामले में ऐसा हुआ कि पूरा प्रभाव कोरोमंडल एक्सप्रेस पर पड़ा। कोई भी तकनीक इस तरह के हादसे को नहीं बचा सकती।"
पटरी से उतरे कोरोमंडल के कुछ डिब्बे दूसरी मेनलाइन पर भी चले गए जहां से यशवंतपुर-हावड़ा ट्रैन गुजर रही थी। यशवंतपुर के आखिरी कुछ डिब्बे प्रभावित हुए ।
दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ चैनल और सोशल मीडिया पर लगातार इस दुर्घटना के पीछे तोड़फोड़ की आशंका जताई जा रही है। कुछ प्रबुद्ध लोगों ने भी यही संदेह व्यक्त किया है, जिनमें पूर्व रेल मंत्री श्री दिनेश त्रिवेदी भी शामिल हैं। अब देखना है कि जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं।
लेकिन रेल मंत्री ने इन सब संभावनाओं पर विराम लगा दिया है। संवेदनशील रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव लगातार दूसरे दिन भी ओडिशा के बालासोर ट्रेन दुर्घटनास्थल पर ही रुके हुए हैं और चल रहे मरम्मत कार्य का निरीक्षण कर रहे हैं । इस दौरान रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है। हादसे के कारण का पता लग गया है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है। रेल मंत्री ने खुलासा किया कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह दुर्घटना हुई है।
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