श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दिखाया विपक्ष को आईना।



विपक्ष के गठबंधन I.N.D.I.A पर निशाना साधते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि जो पार्टियाँ "एक-दूसरे से नफरत करती थीं" वे अब "एक परिवार की तरह" एक साथ आ रही हैं।

पीएम मोदी के नेतृत्व में देश विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा जन सेवा, जन कल्याण और गरीब कल्याण पर आधारित है। विपक्ष परेशान है और यही कारण है कि जो दल एक-दूसरे से नफरत करते थे और एक-दूसरे का सामना नहीं कर सकते थे, वे अब एक परिवार की तरह एक साथ आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश की जनता को पीएम मोदी और बीजेपी पर भरोसा है। सिंधिया ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, "मुझे आश्चर्य है कि जिस विचारधारा को भारत के लोगों ने कई बार खारिज किया, उसे विपक्ष द्वारा बार-बार प्रचारित किया जा रहा है।"

आगे केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''मुझे पूरा विश्वास है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में देश फिर से बीजेपी को चुनेगा।'' 

स्मरणीय है कि गुरुवार को संसद में मणिपुर हिंसा के विरोध में गठबंधन के विपक्षी सांसद काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे थे। वे इस बात पर जोर दे रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर बयान दें।

दूसरी ओर सरकार ने विपक्ष पर संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगाया है और दोहराया है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार है। इस बीच, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सदन से अनुपस्थिति को संसद का “अपमान” बताया। संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए खड़गे ने कहा, ''सदन चल रहा है. हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री वहां (संसद) आएं और बयान दें. लेकिन वह राजस्थान में राजनीतिक भाषण दे रहे हैं और प्रचार कर रहे हैं। जब वह वहां जा सकते हैं तो क्या वह आधे घंटे के लिए सदन में आकर बयान नहीं दे सकते?” गौरतलब है कि पीएम मोदी ने गुरुवार को चुनावी राज्य राजस्थान में करोड़ों रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

संसद में विपक्ष के हंगामे पर सबसे कड़ा प्रहार किया विदेश मंत्री एस जयशंकर ने। वे जब देश की विदेश नीति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बयान दे रहे थे, उस समय राज्यसभा में व्यवधान पैदा करने के लिए उन्होंने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.की कड़ी आलोचना की। 

संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ''मैंने आज राज्यसभा में स्वत: संज्ञान लेते हुए बयान दिया। क्योंकि हमें लगा कि पिछले कुछ महीनों में विदेश नीति में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। कुछ उपलब्धियाँ तो आप जानते ही हैं कि पिछले चालीस वर्षों से, हम संयुक्त राज्य अमेरिका से जीई विमान इंजन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे। प्रधानमंत्री जी की यात्रा की बदौलत हम ऐसा करने में सफल रहे।' आज आप सभी जानते हैं कि सेमीकंडक्टर कितना महत्वपूर्ण है। हम सेमीकंडक्टर मिशन में एक बड़ा प्रयास, बड़ी ऊर्जा लगा रहे हैं क्योंकि यही भारत को भविष्य के लिए मजबूत बनाएगा। अब, प्रधान मंत्री की यात्रा के दौरान तीन बहुत महत्वपूर्ण अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई। उदाहरण के लिए, Google ने निर्णय लिया कि उसका वैश्विक फिनटेक केंद्र भारत में होगा। 

उन्होंने कहा कि देश आगे बढ़ रहा है। हमारी विदेश नीति भारत के लोगों के लिए, भारत की राष्ट्रीय भलाई के लिए काम कर रही है। इसलिए हमने सोचा कि कम से कम इस मुद्दे के लिए विपक्ष अपने राजनीतिक मतभेदों को एक तरफ रख देगा और खुले दिमाग से इसे सुनेगा और राष्ट्रीय हित को पहले रखेगा। एक ओर तो आप I.N.D.I.A होने का दावा करते हैं, और दूसरी ओर आप भारत के राष्ट्रीय हितों की बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं, ये कैसी I.N.D.I.A. बनाई है आप ने ? मेरा साफ़ कहना है कि जो राष्ट्रीय हितों की बलि चढ़ाने को तैयार है, वह I.N.D.I.A हो ही नहीं सकते।"

डॉ. एस जयशंकर ने आगे कहा, ''मैं आज बहुत दुर्भाग्यपूर्ण महसूस कर रहा हूं। विदेश नीति लंबे समय से एक ऐसा मुद्दा रहा है जहां विभिन्न राजनीतिक दल एक साथ आए हैं। वे अन्य बातों पर एक-दूसरे से असहमत हो सकते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कुल मिलाकर राष्ट्रीय सहमति, राष्ट्रीय एकता रही है। आज अगर प्रधानमंत्री को दुनिया भर में सम्मान मिलता है तो सराहना होनी चाहिए। और मैंने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें फ्रांस द्वारा दिया जाने वाला अब तक का सर्वोच्च पुरस्कार मिला है। ऐसा पाने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। पापुआ न्यू गिनी या फिजी का मामला लीजिए।”

डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ''राजनीति होना एक बात है. मैं भी राजनीति में हूं। मुझे लगता है कि कुछ समय और कुछ मुद्दों पर लोगों को राजनीति छोड़कर देश के बारे में सोचना चाहिए। उन्हें यह सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए कि हमने कहां प्रगति की है। ये देश के लिए अच्छा है। यह सिर्फ एक सरकार की उपलब्धि नहीं है, यह एक देश की उपलब्धि है। राष्ट्रपति को सूरीनाम में सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया। यदि आप राष्ट्रपति का सम्मान नहीं कर सकते, आप उपराष्ट्रपति का सम्मान नहीं कर सकते, और आप प्रधान मंत्री का सम्मान नहीं कर सकते, आप विदेश मंत्री को सदन में बयान देने की अनुमति नहीं देंगे तो मुझे लगता है कि यह बहुत खेदजनक स्थिति है और यह यह वास्तव में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कितनी दृढ़ता से और कितने गलत तरीके से पक्षपातपूर्ण राजनीति की जाती है।

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