कैसे कैसे जन प्रतिनिधि ?



कल समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार चौंकाने के साथ दुख देने वाला भी है। राजनीति का इतना पतन कर दिया है, अदम्य महत्वाकांक्षा ने, देखकर हैरत होती है।

भाजपा से त्यागपत्र देने वाले जितेंद्र जैन जी ने पत्रकारों को गर्व से बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष रहते उन्होंने आबंटित फंड का नब्बे प्रतिशत केवल कोलारस विधानसभा में व्यय किया।

क्या यह पद का गंभीर दुरुपयोग नहीं है? 

क्या यह शिवपुरी जिले की शेष विधानसभाओं के नागरिकों के साथ किया गया अन्याय नहीं है?

विधायक बनने के लिए किसी चयनित क्षेत्र में इस प्रकार फंड व्यय करना क्या अनैतिक नहीं है।

क्या ऐसा पक्षपाती, अनैतिक वा अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए किसी भी हद को पार करने वाला व्यक्ति किसी बड़ी जिम्मेदारी के काबिल है?

इसके बाद भी अगर कांग्रेस उन्हें टिकिट देती है, तो Kamal Nath जी और Indian National Congress को क्या कहा जाएगा?

भारतीय जनता पार्टी तो निश्चय ही पूरे जिले में इसे मुद्दा बनाएगी ही।

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