1896 में नरवर से जिला मुख्यालय का स्थानांतरण शिवपुरी में हुआ और 1900 में इसे ग्वालियर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया। इस महत्वपूर्ण निर्णय ने शिवपुरी के ऐतिहासिक विकास की दिशा को परिभाषित किया और शहर में अनेक महत्वपूर्ण निर्माण कार्य हुए, जिनकी गहराई से जांच और विश्लेषण करना आज भी हमारी सांस्कृतिक धरोहर की समझ को समृद्ध करता है।
राजमहल और सरकारी भवन
1900 में शिवपुरी को ग्वालियर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के बाद, छावनी के इलाके में एक भव्य राजमहल का निर्माण कराया गया। राजमहल का निर्माण स्थानीय घसारी खदानों से लाए गए पत्थरों से किया गया था, और इसकी शिल्प-कला अत्यंत आकर्षक थी। हालांकि, यह महल भारत सरकार के अत्यंत महत्वपूर्ण गोपनीय कार्यालयों के लिए उपयोग में आया, जिससे आम जनता के लिए इसका प्रवेश वर्जित था। इस महल का निर्माण एक बहुत बड़े सामाजिक पुनर्वास के साथ हुआ, जिसमें आसपास के ग्रामवासियों को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया।
कोठियों का निर्माण और मोहल्लों की स्थापना
राजमहल के साथ-साथ शिवपुरी में कई कोठियों का निर्माण हुआ, जिसनें शहर के सामाजिक ढांचे को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंग्रेज अधिकारियों और रियासत के करिंदों के लिए विशेष रूप से बनाई गई इन कोठियों में पी.एस.क्यू. लाइन (पैलेस सर्वेंट क्वार्टर) और बाबू क्वार्टर कमलागंज शामिल थे। बाबू क्वाटर कमलागंज में बाबुओं (लिपिकों) के लिये वनबाये गये थे। श्रीमंत कमलाराजे सिंधिया के नाम पर कमलागंज बसाया गया था। पुरानी शिवपुरी में जहां देशी सिपाही रहते थे वह सिपाही थाना मोहल्ला बना, सईसपुरा में घोड़ों की सेवा करने वाले सईस रहा करते थे। हम्माल मोहल्ले में सामान ढोने वाले रहते थे। कस्टम गेट के पास हाफिज होटल था। पोहरी रोड पर एस.पी. की कोठी के पीछे हाथी खाना था, जहां राजमहल के हाथियों को रखा जाता था। इसी समय 52 कचहरी (वर्तमान कलेक्ट्रेट) का निर्माण किया गया। इसमें महाराज स्वंय बैठ कर राजकाज का काम देखा करते थे और जनता की सुनबाई भी करते थे।
पोलोग्राउंड और अन्य प्रमुख निर्माण
1915-16 में पोलोग्राउंड का निर्माण किया गया, जो अब आधे में अस्पताल के निर्माण के कारण छोटा हो गया है। इसी काल में शिवपुरी क्लब का निर्माण हुआ, जो एक प्राचीन इटालियन हाउस के रूप में जाना जाता है। हार्डिंग हाल का निर्माण भी इसी समय हुआ, जो बाद में नाटक घर के रूप में लोकप्रिय हुआ। ग्रांड होटल, जो एक आलीशान होटल था, में बाद में फिजिकल कॉलेज और डिग्री कॉलेज जैसे शैक्षिक संस्थान संचालित हुए।
रेलवे और कस्टम गेट
1915 में शिवपुरी को रेलवे लाइन से जोड़ा गया, जिससे शहर का संपर्क और व्यापारिक गतिविधियाँ सुगम हुईं। कस्टम चोरी को रोकने के लिए कस्टम गेट का निर्माण किया गया, जो महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों की निगरानी करते थे।
न्यू ब्लॉक्स और कोठियों की विशेषताएँ
शिवपुरी में न्यू ब्लॉक्स की स्थापना छावनी के पास की गई, जो महाराजा श्रीमंत माधोंराव सिंधिया की योजना के अनुरूप थी। यह क्षेत्र न्यूब्लॉक मोहल्ला के रूप में जाना जाता है। शिवपुरी की कोठियों में अंग्रेजों द्वारा भी पहले से ही कई महत्वपूर्ण कोठियाँ बनवाई गई थीं। कोठी नं. एक, जो चिंताहरण हनुमान मंदिर के पास स्थित थी, में छत्री में प्रति मंगलवार को नाचने वाली मस्तूरी बाई का निवास था।
चांदपाठे का बोटहाउस और क्लब
अंग्रेजों और राजपरिवार के लिए चांदपाठे में बोटहाउस का निर्माण कराया गया, जिसमें दो-दो मंजिल की बोटें थीं। इन बोटों में अतिथि-कक्ष, विश्राम कक्ष, रसोई, शौचालय, और स्नानागार शामिल थे, जिनमें चीनी मिट्टी के बड़े-बड़े टब लगे हुए थे। इन बोटहाउस की सुंदरता और वास्तुकला उल्लेखनीय थी। 1975 तक इनमें से कई बोट्स वर्तमान टूरिस्ट विलेज पर रखी जाती थीं, जो बाद में हटा दी गईं। इसके साथ ही, सेलिंग क्लब और लेडीज क्लब भी आमोद-प्रमोद के लिए बनाए गए थे, जिनमें गोल्फ टावर की स्थापना भी की गई थी।
शिवपुरी का ऐतिहासिक विकास इस शहर की सांस्कृतिक और वास्तुकला की धरोहर को दर्शाता है। 1896 से 1975 तक के कालखंड में हुए निर्माण और पुनर्निर्माण ने इस शहर की सामाजिक और प्रशासनिक संरचना को नया आकार दिया। इन ऐतिहासिक स्थलों और निर्माणों के माध्यम से हम शिवपुरी की समृद्धि और वैभव की गहरी समझ प्राप्त कर सकते हैं, जो आज भी इस शहर की विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। शिवपुरी की शेष जानकारी अगले भाग में ....
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