ऑनलाइन शिष्टाचार की सीमाएं और महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक व्यवहार

 

आजकल सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल हर किसी के लिए रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ये माध्यम जहां लोगों को जोड़ने और संवाद के लिए बने हैं, वहीं कुछ लोग इनका दुरुपयोग करते हुए महिलाओं और लड़कियों के प्रति अनुचित और अश्लील सामग्री साझा करने में संकोच नहीं करते। हाल ही में शिवपुरी की एक महिला समाजसेवी मणिका शर्मा ने इसी विषय पर फेसबुक पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

मणिका शर्मा, जो अपनी सामाजिक सेवाओं और महिला सशक्तिकरण के लिए जानी जाती हैं, ने स्पष्ट शब्दों में ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप्स की आलोचना की है, जिनमें महिलाओं और लड़कियों को जोड़ा जाता है और अश्लील सामग्री साझा की जाती है। उनकी पोस्ट से यह बात स्पष्ट होती है कि ऐसे ग्रुप्स में न केवल महिलाओं को बिना उनकी सहमति के जोड़ा जाता है, बल्कि जब वे इसका विरोध करती हैं, तो उन्हें व्यक्तिगत संदेश भेजकर उनका मजाक भी उड़ाया जाता है।

मणिका शर्मा ने पोस्ट में लिखा, "ऐसे बेतुके व्हाट्सएप ग्रुप में दोबारा मत जोड़ना। अगर जोड़ा, तो जहाँ हूँ, वहाँ आकर काली का रूप दिखाऊंगी। मुर्ख लोग, बदतमीज... महिलाओं और लड़कियों को जोड़कर अश्लील फोटो और वीडियो डाल रहे हो। औकात है तो खुद की माँ-बहन से बात करो इस तरह।"

उनकी इस नाराजगी ने यह सवाल उठाया है कि आखिर क्यों महिलाओं को बार-बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है? और क्यों समाज के कुछ लोग इस बात को समझने में असफल रहते हैं कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी शिष्टाचार का पालन जरूरी है?

ऑनलाइन बदतमीजी की बढ़ती प्रवृत्ति


ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं के प्रति अशोभनीय व्यवहार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। मणिका शर्मा का यह अनुभव किसी एक व्यक्ति या समूह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक समस्या है जो महिलाओं को ऑनलाइन स्पेस में असुरक्षित महसूस कराती है। कई बार इस तरह की हरकतें महिलाओं को मानसिक रूप से परेशान कर देती हैं और उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता को कम कर देती हैं।

समाधान की आवश्यकता


इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए हमें जागरूकता बढ़ाने और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। प्लेटफॉर्म्स को भी महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी उपाय करने चाहिए। साथ ही, समाज में एक स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

मणिका शर्मा का यह कदम उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो इस तरह की स्थितियों का सामना कर रही हैं। उनकी पोस्ट न केवल गलत व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने का एक तरीका है, बल्कि यह महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए एक आवश्यक संदेश भी है।

महिलाओं के प्रति इस तरह का अपमानजनक व्यवहार समाज के उस हिस्से को उजागर करता है जो अभी भी महिलाओं के प्रति असंवेदनशील और असभ्य है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और सामाजिक सुधार की आवश्यकता है ताकि महिलाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों जगह सुरक्षित महसूस कर सकें। मणिका शर्मा जैसी महिलाएं हमें यह सिखाती हैं कि ऐसे अपमानजनक व्यवहार का विरोध करना ही सही रास्ता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर समाज बनाया जा सके।

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नोट: यह लेख मणिका शर्मा की पोस्ट से प्रेरित है और महिलाओं के अधिकार और सम्मान के मुद्दों को उठाता है।
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