वन नेशन वन इलेक्शन: 2029 से लागू हो सकता है, NDA सरकार ला सकती है बिल

 


सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन (एक देश एक चुनाव) की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस विषय पर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी हैं। समिति ने 2029 से इस प्रणाली को लागू करने की अनुशंसा की है, जिससे देशभर में लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें।




क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?



वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य एक साथ चुनाव कराना है, ताकि समय और धन की बचत हो सके और बार-बार चुनावी आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में रुकावट न आए। वर्तमान में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावी खर्च बढ़ता है और सरकार का ध्यान बार-बार चुनावों में बंट जाता है।



NDA सरकार इस कार्यकाल में ला सकती है बिल



सूत्रों का कहना है कि NDA सरकार इसी कार्यकाल में इस योजना के लिए संसद में विधेयक ला सकती है। इस योजना पर व्यापक चर्चा और राज्यों से सहमति प्राप्त करना आवश्यक होगा। यदि यह बिल पास हो जाता है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होगा।



विपक्ष की राय



हालांकि, विपक्षी दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन के विचार पर चिंताएं व्यक्त की हैं। उनका मानना है कि इससे राज्यों के चुनावी मुद्दों का राष्ट्रीय मुद्दों के साथ मिल जाने का खतरा है, जिससे राज्यों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। साथ ही, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रणाली को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन और बड़े स्तर पर तैयारी की आवश्यकता होगी।



चुनाव सुधारों की दिशा में एक और कदम



वन नेशन वन इलेक्शन को भारतीय चुनाव प्रणाली के सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इस कदम से न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुगमता आएगी, बल्कि राजनीतिक स्थिरता भी बढ़ सकती है। सरकार द्वारा आगामी सत्र में इस पर गंभीरता से विचार किए जाने की संभावना है।



इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राजनीतिक दलों के बीच व्यापक सहमति बनाना महत्वपूर्ण होगा।

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