राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में नवाचार और नवसृजन के सर्जक कुलगुरु आचार्य सत प्रकाश बंसल
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उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में अनवरत विकास की ईवारत लिखने वाले प्रो.सत प्रकाश बंसल ने एक अलग पाथेय का निर्माण किया है | जिसकी फलश्रुति यह है कि अपनी शैक्षणिक और शोधपरक तथा आपसी समझौता ज्ञापन सम्बन्धी यात्रा में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय सभी शिक्षण संस्थानों के लिए अनुकरणीय रहा है | एक उपलब्धी और पहचान के साथ यह शिक्षा का मन्दिर अपने 16 वें वर्ष में अनूठी अस्मिता के माध्यम से देश के उन विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शामिल है जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्वायत्तता प्राप्त हुई | यह तभी सम्भव हुआ जब विश्वविद्यालय परिवार ने समवेत रूप में संस्थान प्रथम को दृष्टिगत रखा | जिसके सूत्रधार कुलगुरु आचार्य सत प्रकाश बंसल हैं , जब से इन्होंने जुलाई, 2021 में विश्वविद्यालय के कुलगुरु के रूप में कार्यभार सम्भाला तब से अद्यावधि पर्यन्त इनका एक ही ध्येय वाक्य रहा है कि सभी सहयोग और श्रम से इस शैक्षिक यात्रा को अविरल रूप से एक अलग अस्मिता को स्पर्श करें | इनका दर्शन रहा है कि अन्तर अनुशासनीय भाव धारा को समक्ष रखते हुए हम सक्रिय और परिणामोन्मुखी प्रयासों के बल पर इच्छित सफ़लता की प्राप्ति के लिए कृत संकल्प हों | इसी का परिणाम है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय समय पर कार्यों को निष्पादित करके अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहा है |
इनका चिन्तन रहा है कि हम आकादमिक उत्कृष्टता के नवीन कालखण्ड में प्रविष्ट हो चुके हैं | हमें सचेत होकर व्यवधानों से विचलित नहीं होंना है अपितु शैक्षणिक वातावरण तथा सकारात्मक दृष्टिकोण से समग्र विकास का आधार स्थापित करना है | इसी परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक क्रियाकलाप धौलाधार परिसर (1-2) धर्मशाला,शाहपुर परिसर और सप्त सिंधु परिसर, देहरा में “नेति नेति चरैवेति चरैवेति” के मन्त्र को अन्तःकरण में स्थित किए कटिबद्ध है | प्रशासनिक दक्षता और शैक्षिक गतिविधियों को अनेक रूपों में क्रियान्वित करने का कौशल यदि अक्षरशः परिलक्षित होता है तो कुलपति आचार्य सत प्रकश बंसल अग्रिम पंक्ति में द्रष्टव्य होते हैं | विश्वविद्यालय बुनयादी ढाँचे की न्यूनता के अवरोध को इस व्यतित्त्व ने बड़ी कुशलता से परास्त करके परिसर निर्माण को तीव्रता प्रदान की | कुलपति सचिवालय और अन्य प्रशासनिक कार्यालय धर्मशाला में स्थित होने के कारण भी सभी परिसर अपनी अनूठी गाथा लिखने में सफ़ल हुए हैं । जिसके कुशल निर्देशन में आचार्य बसंल अग्रगण्य हैं | इनके यशस्वी कार्यकाल में छात्रावास की सुविधाएँ दोनों संवर्गों के लिए क्रियाशील हैं | शिक्षार्थियों / शोधार्थियों को यातायात की सुविधा देने के लिए बस प्रावधान द्वारा संचालन की व्यवस्था भी प्रमुख रूप से कार्य कर रही है | किसी भी उच्चतर शिक्षण संस्थान में सम्भाग वर्गीकरण की महती भूमिका रहती है उस दृष्टि से हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय बारह विभिन्न स्कूलों में सैंतीस शिक्षण विभाग/केंद्र सक्रिय रूप से शोधपरक और नवाचार के साथ उन्मुखीकरण और पुनश्चर्या द्वारा शिक्षार्थी / शोधार्थियों को लाभन्वित कर रहे हैं | जिसके अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग और अनुसन्धान की प्राथमिकता में इनका चिन्तन और दार्शनिक दृष्टि भारतीय ज्ञान परम्परा और भारतीय वांग्मय तथा भारतीय परम्परा को हृदयंगम कर सके इसके लिए इन्होंने विभिन्न पीठों की स्थापना द्वारा ज्ञानाजर्न और प्रसार नवगति प्रदान की |
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालय को 220 संकाय सदस्य स्वीकृत किए हैं, जिसके अन्तर्गत 32 प्रोफेसर ,61 एसोसिएट प्रोफेसर ,और 127 असिस्टेंट प्रोफेसर का अनुपात सम्मिलित किया गया है | इसी चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत 18 प्रोफेसर ,44 एसोसिएट प्रोफेसर और 112 असिस्टेंट प्रोफेसर नियमित रूप में अपनी सेवायें प्रदान कर रहे हैं | शेष रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तीव्रगति से सम्पन्नता की ओर अग्रसर है | प्रशासनिक और शिक्षकेतर संवर्ग में समूह -A के अन्तर्गत 21, समूह -B के अन्तर्गत 32 समूह - C के अन्तर्गत-75 पदों की सृजन स्वीकृति वित्त परिषद् और कार्यकारिणी परिषद् द्वारा प्राप्त हो चुकी है इस प्रक्रिया की सहमति विश्ववविद्यालय अनुदान आयोग से भी प्राप्त हुई है | यहाँ कुलसचिव और वित्त अधिकारी के पद सांविधिक स्थान रखते हैं | शिक्षकेतर कमचारियों के जो पद भरे गये हैं उनमें समूह -A के अंतर्गत -16,समूह -B के अंतर्गत -14, समूह -C के अंतर्गत 41 पद 31-03-2024 तक नियमित रूप में भरे गये हैं | शेष रिक्त पदों को भरने के लिए विश्ववविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा NTA को अधिकृत करके उक्त चयन प्रक्रिया को परीक्षा के माध्यम से पूर्ण करने का निर्णय लिया गया है | इस कार्य की परिपूर्णता में पारदर्शिता हो उसके लिए आचार्य बंसल शुचिता लिए महीन दृष्टि का परिचय देते हैं | इस शैक्षणिक में एक कुलपति के रूप में इन्हें तीन वर्ष हो चुके हैं ,यदि वर्तमान परिप्रेक्ष्य का अवलोकन किया जाए तो शैक्षणिक सत्र 2023-24 के अन्तर्गत स्नातक स्तर में 82 ,परास्नातक स्तर में 765, पीएच-डी.में 101 (कुल संख्या 948) अपनी शिक्षापरक / शोधपरक यात्रा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत तय कर रहे हैं | इन्हीं के दक्ष नेतृत्त्व में विश्वविद्यालय छठे एवं सातवां दीक्षान्त समारोह में दो बार भारत के माननीय राष्ट्रपति अपनी आभामयी उपस्थिति प्रदान कर चुके हैं | सातवां दीक्षान्तसमारोह जो 06 मई ,2024 को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ | इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी विशेष रूप से उपस्थित रहे | जिसमें श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी भारत की माननीय राष्ट्रपति ने अपने कर कमलों से पीएच-डी.,एम.फिल , स्वर्ण पदक, स्नातकोत्तर , स्नातक प्राप्त छात्र / छात्राओं तथा शोधार्थियों को उपाधि से अलंकृत किया| यही नहीं विश्वविद्यालय के इस सातवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल जी अति विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान रहें ऐसी भव्यता प्रो.बंसल के कुशल नेतृत्त्व से ही सम्भव हो पायी है |
अकादमिक उत्कृष्टता की संस्कृति बनाने में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपने कर्त्तव्यबोध के प्रति सचेत, सतर्क होकर देश में अग्रणी भूमिका निभा रहा है | इसके नेपथ्य में सभी के प्रति विश्वास को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में योग्यता, निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना मुख्य मानदण्ड रहा है | आन्तरिक और बाहरी हितधारक उद्यमिता से नये अवसर संरचनाबद्ध संचारित करें उसके लिए विश्वविद्यालय का आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन निकाय (IQAC) कटिबद्ध है | विश्वविद्यालय के सभी सांविधिक निकायों अर्थात् विश्वविद्यालय न्यायालय, कार्यकारी परिषद्, अकादमिक परिषद् औरवित्त समिति विश्वविद्यालय की समस्त संस्तुतियां वेबसाइट (www.cuhimachal.ac.in) पर अपलोड की जाती हैं । हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश और नौकरियों के लिए सम्पूर्ण रूप से पारदर्शी रहा है , इसके लिए ऑनलाइन आवेदन आमन्त्रित करता है । यह संतोष का विषय है कि यहाँ नौकरियों के लिए जब आवेदन किया जाता है तो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का सामान्य सीयू चयन पोर्टल प्रयुक्त होता है | प्रवेश की प्रक्रिया सीयूईटीके समर्थ पोर्टल के माध्यम से संचालित की जाती है | जिससे विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता और पारदर्शिता के मानक अपना गरिमामयी स्थान बनाये रखने में सफ़ल हैं |
अकादमिक प्रकल्प पर विश्वविद्यालय को देश का एक प्रसिद्ध शोध विश्वविद्यालय बनाने के लिए कटिबद्ध हैं।परिणामस्वरूप प्रो.बंसल विश्व के उच्च स्तरीय संस्थान शोध परियोजना के माध्यम से मैत्रिवत्त हैं |इनके मार्गदर्शन में विद्वान् शिक्षक अपनी योग्यता और कठोर परिश्रम से राष्ट्र प्रथम की भावना लेकर प्रभावशाली शोध पत्रों फ़लदायी परियोजनाओं और नवाचार के रचनात्मक कार्यों द्वारा अनेक पेटेंट करके इस शिक्षा के मन्दिर को नवगति से गतिमान कर रहे हैं | इस दिशा में इनका तठस्थ विचार है कि विषय विशेषज्ञ विद्वानों को सम्बन्धित के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरणा से सशक्त बनाने में ठोस क़दम उठाते रहना चाहिए | समय – समय पर अंतर राष्ट्रीय अकादमिक आदान – प्रदान और अनुसन्धान के क्षेत्र में साझेदारी तथा संकाय सदस्यों को समीक्षा बैठक के लिए प्रेरित करना इस बात का द्योतक है कि विश्वविद्यालय की शोधपरक संस्कृति अपने – अपने लक्ष्यों के प्रति निष्ठावान है तथा राष्ट्रशिक्षा नीति NEP -2020 के क्रियान्वयन के लिए यह व्यक्तित्त्व अग्रदूत की भूमिका का निवर्हन कर रहा है |
विश्वविद्यालय अनेक कार्यशालाओं और विचार मंथन के उपरान्त संशोधित व पुनर्संरचित निकष के द्वारा शैक्षिक प्रारूप को सुदृढ़ बनाने में महती भूमिका का निर्वहन कर रहा है | जिसके फ़लस्वरूप निर्धारित पाठ्यक्रम को द्विभाषी ( अंग्रेजी व हिन्दी) कोटज में अध्यापन द्वारा संचालित किया जा रहा है | भारत एक युवा राष्ट्र का प्रतीक है , युवा हमारा भविष्य है | मन बुद्धि और शरीर से जब वह स्वस्थ होगा तो स्वतः श्रेष्ठ समाज का उन्नयन होता है | इसके लिए खेलों का विशेष महत्त्व होता है , हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय इस दिशा में भी अग्रणी भूमिका में है | अखिल भारतीय अन्तर राष्ट्रीय महिला भारोत्तोलन प्रतियोगिता का सफलतम आयोजन इसका साक्षात् प्रमाण है |
प्रो.बंसल के दक्ष प्रशासकीय अनुभव में विश्वविद्यालय अपनी गुणवत्ता की स्थिति तथा सुधार के बारे में बहुत सचेत रहा है। ढांचागत बाधाओं के उपरान्त अपने स्थायी परिसरों की अनुपस्थिति के कारणये“न रुके न थके, न हारे न थमें” अनवरत चलते रहे इसी की फलश्रुति है कि NAAC द्वारा 3.42 के CGPA के साथ A+ ग्रेड के साथ मान्यता प्राप्त हुई। अपनी शैक्षिक यात्रा का एक और स्वर्णिम क़दम इनका काठमांडू शिखर सम्मेलन(14-16 फ़रवरी,2024) रहा जो ज्ञान की अजस्र वेगमयी धारा द्वारा विश्वविद्यालय के दृष्टिपत्र के साथ एक अलग आभा में आलोकित हुआ | वास्तव में, यह पड़ाव संकाय सदस्यों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों द्वारा किए गए सद्प्रयास परिणाम को दर्शाता है | अपने विश्वविद्यालय के विकास के लिए इनका शिखर व्यक्तित्त्व अटल प्रतिबद्धता और जुनून के साथ काल के कपाल पर लिखता हूँ , मिटाता हूँ गीत नया गाता हूँ का संगीतकार है | जिसमें साहित्य जैसी सहित और हित की भावना तथा एक कलाकार की तुलिका से उकेरी रंगभरी सौन्दर्य की मनभावन छटा के साथ संगीत के सुर की सरगम तथा पर्यटन यात्रा एवं आतिथ्य प्रबंधन का सूत्र है | जो सभी अध्येताओं को अपनी और आकृष्ट करता है , जिसमें एक भारत श्रेष्ठ भारत @ 2047 के विकसित भारत की प्रतिमूर्ति परिलक्षित होती है | फ़िर राष्ट्रीय कवि संगम का साहित्यिक यज्ञ हो जहां “बेटी है अनमोल , एक सैनिक की गाथा ,मातृभूमि हम सबको प्यारी”जैसे गीतों की स्वरलहरी गुंजायमान हो ,यह वही जीवन कार्य कर सकता है जिसमें संवेदनशीलता कूट – कूटकर भरी हो |
प्रो.बंसल की दूरदृष्टि में “युवा संगम” को उड़ीसा राज्य के साथ “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भूमिका को बड़े मनोयोग से निभाया | समूह -4 में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने जिस उद्देश्य से एक प्रान्त को अपने सहयोगी प्रान्त के साथ स्थानीयता सहित संस्कृति,प्रौद्योगिकी,परम्परा ,प्रतियोगिता , परस्पर समन्वय तथा पर्यटन जैसे विषयों को मानदण्ड के रूप में रखा उसमें भी विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका निभाई जो अपने में श्लाघनीय है | राष्ट्रीय सेवा योजना और विश्वविद्यालय परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “एक पेड़ माँ के नाम” सहित जन जागरण के अनेक कार्यक्रम , अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में “योग स्वयं एवं समाज के लिए ” के माध्यम से जन – जन में इसकी उपादेयता को समक्ष रखना इस बात का प्रतीक है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय अग्रगण्य है | प्रो. बंसल मानते हैं कि आज अपनी गौरवमयी अस्मिता में हम जहाँ हैं वहां यदि मैं विश्वविद्यालय परिवार के समर्थन और सहयोग व सरकार तथा सम्बन्धित प्रशासन को नहीं स्मरण करूं और उनकी प्रशंसा नहीं करता हूं तो मैं अपने कर्त्तव्य में असफल रहूंगा,
इसके लिए सभी सदस्यों के लिए विशेष धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ | इसी के साथ विश्वविद्यालय प्राधिकरण -जैसे विश्वविद्यालय न्यायालय, कार्यकारी परिषद्, अकादमिक परिषद्, वित्त समिति, बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठकों के लिए अपना बहुमूल्य समय देने और उनके मार्गदर्शन के लिए भी सहायता प्रदान करने वाले सुधी विद्वान् के प्रति मैं श्रद्धावनत हूँ |कुलसचिव ,अधिष्ठाता अकादमिक , अधिष्ठाता छात्र कल्याण,अधिष्ठाता ,परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासक ,वित्त अधिकारी, केन्द्र निदेशक, विभागों के प्रमुख को भी विशेष धन्यवाद और साधुवाद , पुस्तकालय अध्यक्ष व अन्य अधिकारी,आचार्य गण ,विद्यार्थी /शोधार्थी जिनका सहयोग प्रतिपल विश्वविद्यालय के विकास में अभूतपूर्व भूमिका में रहा है उन्हें भी साधुवाद और उज्ज्वल भविष्य की अनन्त शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ | अतः कहा जा सकता है कि आचार्य सत प्रकाश बंसल के एक कुलपति के रूप में तीन वर्ष गौरवशाली और स्वर्णिम रहे हैं इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं |
शब्द रचना व संकलन
डॉ.अमरीक सिंह ठाकुर
डॉ. इन्द्रसिंह
ठाकुर
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लेख
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