शिवपुरी: अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना और राजनीति का संरक्षण - दिवाकर शर्मा

 



शिवपुरी, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विख्यात था, आज एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहाँ अपराध और अवैध धंधों ने अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं। विशेष रूप से, व्यापारियों को ब्लैकमेल करने के लिए युवतियों का उपयोग एक ऐसा घिनौना धंधा है, जिसने न केवल स्थानीय समाज को हिला कर रख दिया है बल्कि पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।


राजनीति का संरक्षण: किसके इशारों पर चल रहे हैं अवैध धंधे?


शिवपुरी में फैले इस अपराध के पीछे कौन सी ताकतें हैं, यह सवाल हर जागरूक नागरिक के मन में उठता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह अपराधी गिरोह बिना राजनीतिक संरक्षण के इतने साहसिक नहीं हो सकते। कुछ नेताओं के ऊपर सीधा या परोक्ष रूप से इन गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है, जिनका उद्देश्य अपने प्रभाव और संपत्ति को बढ़ाना है। यदि एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो, तो संभव है कि कई बड़े राजनीतिक चेहरे बेनकाब हो जाएं।


जमीन के सौदों की आड़ में पनपते अवैध कार्य


यह अवैध धंधा केवल ब्लैकमेलिंग तक सीमित नहीं है। इसके साथ-साथ जमीन के सौदों से जुड़े कई और अवैध कार्य हो रहे हैं। शिवपुरी में अचानक से जमीन के दामों में आई बेतहाशा वृद्धि ने नव धनाढ्यों की एक नई जमात को जन्म दिया है। ये लोग, जो पहले सामान्य जीवन जीते थे, अब आलिशान जीवन जी रहे हैं। इनके पास धन-संपत्ति के स्रोत स्पष्ट नहीं हैं, और इस बात की पूरी संभावना है कि वे अवैध जमीन सौदों और अन्य अवैध गतिविधियों में संलिप्त हैं।


शिवपुरी: अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना?


शिवपुरी अब अपराधियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में उभर रहा है। हाल के समय में पकड़े गए कई अपराधी अन्य राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश से आए हैं। यह इस बात का संकेत है कि शिवपुरी अब उन अपराधियों का ठिकाना बनता जा रहा है जो यूपी में सख्त कानून व्यवस्था से बचने के लिए यहाँ आकर शरण ले रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर ये अपराधी अपराध करने से पहले क्यों नहीं पकड़े जा रहे हैं? क्या शिवपुरी का कानून व्यवस्था तंत्र अपराधियों के लिए ही काम कर रहा है?


सोशल मीडिया पर उठते स्वर: धमकी और दबाव का खेल


शिवपुरी की इस भयावह स्थिति को देखकर जिन कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इस पर सवाल उठाने की हिम्मत दिखाई, उन्हें संगठित दबाव और धमकियों का सामना करना पड़ा है। ऐसा लगता है कि जो लोग इन नव धनाढ्यों और उनके अवैध कार्यों को बेनकाब करने का प्रयास करते हैं, उन्हें राजनीतिक रसूखदारों के सहयोग से पुलिस के दवाब का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि आम जनता अपराधियों और उनके संरक्षणकर्ताओं के खिलाफ बोलने से हिचकिचा रही है।


क्या शिवपुरी की स्थिति सुधरेगी?


शिवपुरी में फैले इस आपराधिक जाल और राजनीतिक संरक्षण ने शहर की छवि को बुरी तरह से धूमिल किया है। यदि इस पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह शहर अपराधियों का गढ़ बन जाएगा। प्रशासन और न्यायपालिका को इस मामले में कठोर कदम उठाने होंगे, ताकि अपराधियों और उनके संरक्षणकर्ताओं का पर्दाफाश हो सके। साथ ही, जनता को भी इन मुद्दों के प्रति जागरूक होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए, ताकि शिवपुरी को फिर से एक सुरक्षित और शांत शहर बनाया जा सके।


शिवपुरी की वर्तमान स्थिति केवल प्रशासन और कानून व्यवस्था की कमजोरी का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उस संगठित अपराध का परिणाम है जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जब तक जनता और प्रशासन एकजुट होकर इन ताकतों का सामना नहीं करते, शिवपुरी का यह दुर्दशा जारी रहेगा।

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