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बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गरिमा पर उठे सवाल: संगठन के अनुशासन को लेकर चर्चा गरम

 



देशभर में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की पहचान केवल हिंदुत्व के प्रहरी के रूप में नहीं, बल्कि अनुशासन, राष्ट्रवाद और सामाजिक सेवा की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले संगठनों के रूप में होती है। ये संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषंगिक संगठन हैं, जिनकी कार्यप्रणाली संघ के सिद्धांतों के अनुरूप चलती है। ऐसे में यदि बजरंग दल या विश्व हिंदू परिषद पर कोई प्रश्न उठता है, तो यह केवल इन संगठनों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से संघ की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। हाल ही में शिवपुरी में कुछ ऐसे विषय सामने आए हैं, जिन्होंने संगठन की आंतरिक कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा को जन्म दिया है।


नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के पुत्र और विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री रजत शर्मा द्वारा सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट साझा की गईं, जिनमें संगठन की चयन प्रक्रिया और कार्यप्रणाली को लेकर प्रश्न उठाए गए। इन पोस्टों में यह कहा गया कि संगठन में पदों का निर्धारण कार्यक्षमता से अधिक अन्य कारकों पर आधारित है। इसके अतिरिक्त, कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहने को भी लेकर सवाल खड़े किए गए।


इस संदर्भ में जब संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों से चर्चा की गई, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन में दायित्व हमेशा कर्मठता और निष्ठा के आधार पर दिए जाते हैं। उनका मानना है कि किसी भी संस्था में उत्तरदायित्व निभाने के लिए निरंतर सक्रियता और समर्पण आवश्यक होता है। संगठन के नियमों और अनुशासन का पालन करने वाले ही इसके विभिन्न पदों पर कार्य कर सकते हैं।


इसी बीच, आम जनता में भी यह चर्चा चल रही है कि जबसे रजत शर्मा की माताजी नगर पालिका अध्यक्ष बनी हैं, तबसे उनकी सक्रियता संगठन की अपेक्षा नगर पालिका कार्यों में अधिक देखी जा रही है। ऐसे में संगठन से जुड़ी उनकी पोस्टों को लेकर विभिन्न मत सामने आ रहे हैं। कुछ लोग इसे संगठन के प्रति उनकी चिंता मान रहे हैं, तो कुछ इसे संगठन के निर्णयों को लेकर असहमति की अभिव्यक्ति के रूप में देख रहे हैं।


परंतु इस पूरे घटनाक्रम में जो सबसे बड़ा प्रश्न सामने आ रहा है, वह यह कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस पर चुप क्यों है? बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद संघ के ही अनुशांगिक संगठन हैं, ऐसे में इन पर उठाए गए सवाल अप्रत्यक्ष रूप से संघ पर भी आपत्ति के समान हैं। क्या यह इसलिए हो रहा है क्योंकि सवाल उठाने वाला एक भाजपा नेत्री का पुत्र है? यदि यही बात कोई सामान्य कार्यकर्ता कहता, तो क्या तब भी संघ की प्रतिक्रिया इतनी शांत रहती?


बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का मूल सिद्धांत त्याग, तपस्या और अनुशासन पर आधारित है। यह संगठन किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत राजनीति से परे रहकर राष्ट्र सेवा को प्राथमिकता देता है। किसी भी संस्था में स्वस्थ संवाद आवश्यक होता है, और यदि संगठन की कार्यप्रणाली को लेकर कोई सुझाव या असहमति हो, तो उसका समाधान संगठन के आंतरिक मंचों पर ही किया जाना उचित होता है।


हिंदुत्व केवल विचारधारा नहीं, बल्कि एक आचरण है। अनुशासन और एकता ही इसकी मूल शक्ति हैं। संगठन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को यह ध्यान रखना होगा कि संगठन की गरिमा और एकता बनी रहे, जिससे इसकी मूल विचारधारा को कोई क्षति न पहुँचे।

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