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ऑपरेशन सिंदूर': भारत की मौन गर्जना - डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर

एक सशक्त सैन्य शक्ति और जीवंत वैश्विक अर्थव्यवस्था की ओर, भारत, जो कभी " विश्व गुरु" कहलाता था, आज फिर से विश्व मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है—इस बार एक सशक्त सैन्य शक्ति और उभरती वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत अब केवल सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र नहीं, बल्कि रक्षा, तकनीक, व्यापार, और कूटनीति में निर्णायक नेतृत्व करने वाली शक्ति बन चुका है। सबसे पहले बात करें भारत की आर्थिक प्रगति की। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारत विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बन चुका है और 2030 तक तीसरे स्थान पर आने की संभावना प्रबल है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने देश की आर्थिक नींव को वैश्विक निवेश और नवाचार के केंद्र में बदल दिया है। साथ ही भारत की सैन्य शक्ति अब केवल परंपरागत रक्षा तंत्र तक सीमित नहीं है। तीनों सेनाओं में आधुनिकीकरण, राफेल, तेजस और अर्जुन जैसे स्वदेशी हथियारों का समावेश, और अंतरिक्ष व ड्रोन युद्धक्षमता में तेजी से उभरता भारत अब किसी भी खतरे का माकूल जवाब देने में सक्षम है। भारत की समुद्री रणनीति भी वैश्विक शक्तियों को ध्यान में रखते हुए विकसित की जा रही है। हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति, आईएनएस विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट करियर, और सागर (सागर - क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) नीति भारत को समुद्री सुरक्षा में एक निर्णायक भूमिका में ला चुकी है।

साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत तेजी से साइबर डिफेंस कमांड, डिजिटल बुनियादी ढांचे की रक्षा और डेटा संप्रभुता की दिशा में काम कर रहा है। वहीं, भारत की वैश्विक सॉफ्ट पावर—योग, आयुर्वेद, खानपान और विश्वस्तरीय शिक्षा—उसे दुनिया के हर कोने में सांस्कृतिक राजदूत बनाती है। कूटनीतिक विजन की दृष्टि से भारत अब “ग्लोबल साउथ” का नेतृत्व कर रहा है। क्वाड, जी20, ब्रिक्स, एससीओ जैसे मंचों पर सक्रिय भागीदारी, और पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक संतुलन, भारत को एक संतुलित, जवाबदेह और निर्णायक वैश्विक शक्ति बनाते हैं। आज का भारत न केवल क्षेत्रीय स्थिरता का प्रहरी है, बल्कि वैश्विक संकटों—जैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद—में समाधान देने वाला अग्रणी राष्ट्र बन चुका है। यह भारत अब खड़ा है—सशक्त, सजग और संकल्पित—एक नए विश्व नेतृत्व के लिए। ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य कूटनीति और मानवीय प्रतिबद्धता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जो देश की सुदृढ़ संप्रभुता, साहस और वैश्विक उत्तरदायित्व का प्रतीक बनकर उभरा है। यह ऑपरेशन न केवल एक सैन्य मिशन था, बल्कि यह भारत की शांति, साहस और सांस्कृतिक मूल्यों की एक मौन लेकिन दृढ़ गर्जना भी थी। पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे भारतीय वायु सेना, नौसेना और राजनयिक इकाइयाँ अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी संयम, समर्पण और सूझ-बूझ को भी दर्शाता है। यह ऑपरेशन दर्शाता है कि भारत अब एक "विकासशील राष्ट्र" नहीं, बल्कि वैश्विक मानवीय संकटों में निर्णायक भूमिका निभाने वाला सशक्त देश बन चुका है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से भारत ने एक संदेश दिया कि उसकी नागरिक सुरक्षा प्राथमिकता है, चाहे वह देश के भीतर हो या सीमाओं से परे। साथ ही यह मिशन भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को भी दर्शाता है, जहाँ संकट की घड़ी में दूसरों की सहायता करना एक नैतिक कर्तव्य बन जाता है। यह ऑपरेशन उस 'नए भारत' की झलक है, जो न केवल अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि विश्व मंच पर शांति, सह-अस्तित्व और रणनीतिक दक्षता के साथ अपनी भूमिका निभाता है। मौन गर्जना का यह प्रतीकात्मक नाम, उस दृढ़ संकल्प और संप्रभु इच्छा शक्ति को रेखांकित करता है जो अब भारत की नई पहचान बन चुकी है।

2025 की गर्मियों में जब पर्यटक घाटी की वादियों में सुकून और शांति की तलाश में थे, तब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने एक बार फिर कायरता का चेहरा दिखाया। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी गई। यह हमला न केवल मानवता पर एक प्रहार था, बल्कि भारत की आतंरिक सुरक्षा और वैश्विक छवि को चुनौती देने की एक दुर्भावनापूर्ण कोशिश भी थी। इसी के जवाब में भारत ने चलाया – ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जो शौर्य, रणनीतिक कौशल और संप्रभु संकल्प का एक संगठित उत्तर था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं थी, यह भारत की रणनीतिक चेतावनी थी – "अब बहुत हुआ"। भारतीय सेना, वायुसेना और खुफिया तंत्र की अभूतपूर्व समन्वय से यह ऑपरेशन एक सटीक और तीव्र अभियान में परिवर्तित हुआ। भारत ने न केवल सीमापार स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि पाकिस्तान के नौ प्रमुख रक्षा ठिकानों को भी अत्यंत सटीकता और तकनीकी श्रेष्ठता के साथ ध्वस्त किया। इस ऑपरेशन की सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि भारत ने बिना अनावश्यक प्रचार या भड़काऊ भाषा के, एक मौन लेकिन निर्णायक संदेश दिया – “भारत अब प्रतिरोध नहीं, प्रतिकार करेगा।” यह "मौन गर्जना" थी उस आत्मनिर्भर, रणनीतिक और सशक्त भारत की, जो अब केवल रक्षा नहीं करता, बल्कि निर्णायक कार्रवाई में भी संकोच नहीं करता।

जब पाकिस्तान ने इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठे आरोप और उकसावे की कोशिश की, तब भारत ने ठोस तथ्यों, उपग्रह चित्रों और साक्ष्यों के साथ वैश्विक समुदाय को सच्चाई से अवगत कराया। भारत का रुख स्पष्ट था – "आतंक के खिलाफ शून्य सहिष्णुता" और नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के बदले हुए रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है – एक ऐसा दृष्टिकोण जिसमें कूटनीति और सैन्य कार्रवाई दोनों का संतुलित प्रयोग किया गया। यह ऑपरेशन उस सोच का प्रमाण है कि आतंक के खिलाफ युद्ध सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि आतंक के स्रोत पर लड़ा जाना चाहिए। यह एक नया अध्याय है उस भारत का, जो शांति में विश्वास रखता है, लेकिन उकसावे पर चुप नहीं रहता। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक जवाब नहीं था, यह एक नई नीति की शुरुआत है – जहां भारत की चुप्पी को कमजोरी नहीं, चेतावनी समझा जाए। यह है भारत की मौन गर्जना, जो अब केवल सुनी नहीं जाती, बल्कि गूंजती है – विश्व मंच पर, रणनीतिक नक्शों पर और दुश्मनों के मन में।

आर्थिक रूपांतरण

जीवंत अर्थव्यवस्था की ओर, वर्ष 2024–25 के वित्तीय आँकड़ों ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि को रेखांकित किया है—भारत अब विश्व की पाँचवीं नहीं, बल्कि चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सशक्त रूप से उभरा है। यह परिवर्तन मात्र संख्यात्मक नहीं, बल्कि एक गुणात्मक आर्थिक रूपांतरण का प्रमाण है, जो सेवा, विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों में समग्र सुधारों के माध्यम से साकार हुआ है। भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली, विशेष रूप से UPI और RuPay, ने आम नागरिक से लेकर बड़े उद्योग तक लेन-देन की प्रक्रिया को सरल, सुरक्षित और सुलभ बनाया है। इसके साथ-साथ MSME क्षेत्र को दी जा रही वित्तीय और तकनीकी सहायता ने आत्मनिर्भर भारत की नींव को और भी मजबूत किया है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, जो अब विश्व में तीसरे स्थान पर है, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की स्थिति को निरंतर सुदृढ़ कर रहा है। स्वास्थ्य, कृषि, अंतरिक्ष और रक्षा तकनीक में नवाचार ने भारत को सिर्फ घरेलू समाधानकर्ता नहीं, बल्कि वैश्विक समाधान प्रदाता बना दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं और डिजिटल इंडिया अभियान ने न केवल घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी की, बल्कि निर्यात क्षमताओं को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। भारत का यह आर्थिक रूपांतरण अब केवल विकास की ओर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार, और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक सशक्त कदम बन चुका है। यही है नया भारत—सजग, सक्षम और सशक्त।

सर्जिकल स्ट्राइक्स से ऑपरेशन सिंदूर तक

भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और निर्णायकता, भारत की रक्षा रणनीति में 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक्स से शुरू हुआ परिवर्तन अब एक नई सैन्य सोच में परिवर्तित हो चुका है। इसका सशक्त उदाहरण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह केवल एक सामरिक विजय नहीं, बल्कि भारत की नई निर्णायक और आक्रामक सैन्य नीति की स्पष्ट अभिव्यक्ति थी। इस ऑपरेशन के पीछे भारत ने स्पष्ट कर दिया कि अब वह केवल "प्रतिक्रिया" नहीं देगा, बल्कि "पूर्व-निरोध और दंड" की नीति पर चलेगा। गालवान संघर्ष के बाद भारत की रक्षा नीति में निर्णायक बदलाव आया है। आज भारत न केवल रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं रहा, बल्कि एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में उभरा है। HAL, DRDO और स्वदेशी निजी कंपनियों ने आधुनिक ड्रोन, सटीक मिसाइल प्रणाली, थल व वायु निगरानी तंत्र और युद्ध-संचालन तकनीकों का विकास किया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ दर्शाता है कि अब भारत की सीमाएँ केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और तकनीकी रूप से अभेद्य हैं। यह भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता, राजनीतिक इच्छाशक्ति, और वैश्विक मंच पर उसकी मजबूत स्थिति का प्रमाण है। अब भारत केवल शांति का पक्षधर नहीं, बल्कि शांति की रक्षा के लिए सक्षम और सशक्त योद्धा भी है।

ऑपरेशन सिंदूर और वैश्विक कूटनीतिक संदेश, ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की बदलती रणनीतिक सोच और वैश्विक कूटनीतिक भूमिका का एक सशक्त प्रतीक बनकर सामने आया। इस ऑपरेशन के माध्यम से भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह अब केवल खतरे का प्रतीक्षा करने वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से खतरे की पहचान कर उसे निष्क्रिय करने में सक्षम शक्ति है। इस ऑपरेशन ने तीन प्रमुख विरोधी शक्तियों—पाकिस्तान, चीन और तुर्की—की योजनाओं को विफल किया। पाकिस्तान के नूर खा एयरबेस, को निशाना बनाकर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी शून्य सहिष्णुता नीति को फिर से रेखांकित किया। तुर्की, जो लंबे समय से भारत विरोधी प्रोपेगेंडा में सक्रिय था, विशेषकर कश्मीर और मुस्लिम देशों के मंचों पर, उसे भी इस ऑपरेशन ने राजनयिक बैकचैनल दबाव और सूचना युद्ध के माध्यम से प्रभावी जवाब दिया। भारत की साइबर सुरक्षा और सूचना युद्ध क्षमताएं अब केवल रक्षात्मक नहीं रहीं, बल्कि आक्रामक साइबर स्ट्राइक्स के ज़रिए भारत ने विरोधियों के डिजिटल नेटवर्क को कमजोर कर दिया। इसके साथ ही, भारत ने वैश्विक मंचों—UN, G20, SCO, BRICS—पर कूटनीतिक रूप से यह स्थापित किया कि उसकी सैन्य कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों और आत्मरक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप थी। 'ऑपरेशन सिंदूर' ने दुनिया को यह भी बताया कि भारत अब तकनीकी, सैन्य और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर संगठित और परिपक्व शक्ति बन चुका है—जो ना केवल स्वयं की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

समुद्री रणनीति

इंडो-पैसिफिक में भारत की निर्णायक भूमिका, भारत की समुद्री नीति अब "सागर" (SAGAR - Security and Growth for All in the Region) के सिद्धांत पर आधारित है। INS विक्रांत, स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ, और Andaman & Nicobar Command की सक्रियता ने भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक निर्णायक शक्ति बना दिया है। QUAD, IONS (Indian Ocean Naval Symposium), और BIMSTEC जैसे मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी ने भारत को Indo-Pacific रणनीति में एक नोडल शक्ति बना दिया है। श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया और अफ्रीका के पूर्वी तटों के साथ समुद्री सहयोग अब सामरिक और आर्थिक सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित कर रहा है। साइबर सुरक्षा: डिजिटल भारत की अदृश्य ढाल, भारतीय साइबर एजेंसियाँ, जैसे CERT-In और National Cyber Coordination Centre, आज 24x7 आधार पर भारत की डिजिटल सीमाओं की रक्षा कर रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और पाकिस्तान के साइबर हमलों को असफल कर भारत ने अपनी मजबूत डिजिटल आर्किटेक्चर का प्रदर्शन किया। डिजिटल इंडिया और साइबर सुरक्षात्मक ढाँचे ने अब आधार, पैन, और डिजीलॉकर को नागरिकों की डिजिटल पहचान के लिए सुरक्षा कवच प्रदान किया है। वैश्विक सॉफ्ट पावर: संस्कृति, योग और लोकतंत्र का संदेश, भारत की सॉफ्ट पावर अब 'योगा फॉर ह्यूमैनिटी', 'इंटरनेशनल सोलर एलायंस', और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' जैसे सिद्धांतों के माध्यम से सुदृढ़ हुई है। अफ्रीका (घाना, नामीबिया), दक्षिण अमेरिका (ब्राजील, अर्जेंटीना) में भारतीय संस्कृति और विकास सहयोग को नया आयाम मिला है। भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम, डिजिटल शिक्षा मॉडल, और आपदा सहायता ने भारत को 'विश्वगुरु' की भूमिका में अग्रसर किया है।

BRICS BUILDING

नए आयाम की ओर, भारत की सक्रियता BRICS समूह के नए प्रारूप 'BUILDING' (Building Resilience, Innovation, Linkages, Development, Inclusiveness, Networks, Growth) में भी दिखी। ब्रिक्स की नयी संरचना में भारत ने विकासशील देशों की आवाज़ को प्रभावी ढंग से सामने रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक दक्षिण की कूटनीति – स्टॉपओवर कूटनीति – ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, और ASEAN क्षेत्र के साथ भारत की भागीदारी को मजबूत किया। आतंरिक सुरक्षा और नक्सलवाद का अंत , डिजिटल footprints, वित्तीय निगरानी, और जन भागीदारी के कारण नक्सल आंदोलन लगभग समाप्ति की ओर है। भारत की गृह नीति ने न केवल हिंसा को खत्म किया बल्कि विकास को अंतिम छोर तक पहुँचाया। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई आधार-पैन आधारित नई चुनाव प्रक्रिया पारदर्शिता और सशक्त लोकतंत्र की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

आज का भारत

शक्ति, शांति और वैश्विक उत्तरदायित्व का प्रतीक, आज का भारत अब केवल एक उभरती हुई शक्ति नहीं, बल्कि एक स्थापित, निर्णायक और वैश्विक रूप से उत्तरदायी राष्ट्र के रूप में सामने आया है। यह परिवर्तन केवल आर्थिक आंकड़ों या सैन्य सामर्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की राजनीतिक इच्छाशक्ति, नैतिक नेतृत्व, और तकनीकी-सामरिक सामर्थ्य का समग्र परिणाम है। सैन्य दृष्टिकोण से, भारत की नीति अब केवल ‘प्रतिक्रिया’ तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने ‘पूर्व-निरोधक कार्रवाई’ के सिद्धांत को अपनाया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक्स और 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर तक, भारत ने यह सिद्ध किया है कि वह अब सीमाओं पर होने वाली किसी भी गतिविधि का जवाब केवल कड़े शब्दों से नहीं, बल्कि निर्णायक सैन्य कार्रवाई से देगा। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, जिसने पाकिस्तान और चीन प्रायोजित गतिविधियों को करारा जवाब दिया, भारत की रणनीतिक गहराई और सैन्य आत्मनिर्भरता का उदाहरण है। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत ने एक नयी परिपक्वता दर्शाई है। डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत न केवल भारत ने अपने डिजिटल इकोसिस्टम को मज़बूत किया है, बल्कि साइबर डोमेन में एक सक्रिय रणनीतिक शक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया है। UPI, RuPay, DigiLocker और CoWIN जैसे डिजिटल नवाचार भारत को एक ग्लोबल डिजिटल लीडर बना चुके हैं। समुद्री रणनीति में भारत की ‘SAGAR’ नीति (Security and Growth for All in the Region) ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका को केवल एक ‘तटीय राष्ट्र’ से बढ़ाकर एक समुद्री प्रहरी में बदल दिया है। भारत के INS विक्रांत जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में विकसित नौसैनिक अवसंरचना भारत को हिंद-प्रशांत रणनीति का एक निर्णायक खिलाड़ी बनाते हैं।

वैश्विक मंचों पर नेतृत्व की बात करें तो भारत की भूमिका अब केवल भागीदार की नहीं, बल्कि मार्गदर्शक की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने G20, QUAD, SCO, BRICS जैसे मंचों पर संतुलनकारी और निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया है। भारत ने वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को वैश्विक नीति में परिवर्तित करते हुए, कोविड-19 संकट के दौरान वैक्सीन मैत्री और मानवीय सहायता के माध्यम से अपनी सॉफ्ट पावर को सिद्ध किया। आज का भारत वैश्विक चुनौतियों—जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन—पर भी निर्णायक भूमिका निभा रहा है। भारत अब उस पथ पर अग्रसर है, जहाँ वह केवल अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि पूरे विश्व के लिए स्थिरता, समावेशिता और समृद्धि का दिशा-निर्देशक बन रहा है। यह उस यात्रा का दस्तावेज़ है, जिसमें भारत न केवल अपने अतीत की जड़ों से जुड़ा है, बल्कि भविष्य की वैश्विक व्यवस्था का केंद्रबिंदु बनने की ओर बढ़ रहा है—एक ऐसा भारत जो शक्ति और शांति, दोनों का अद्वितीय संगम है।

लेखक 
डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
सहायक प्रोफेसर
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय। 

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