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राज कपूर के बालसखा, गांधीजी के सम्मानित — शिवपुरी के श्री राम मेहता की कहानी

 

क्या आपने कभी सोचा है कि मध्य प्रदेश के एक शांत शहर शिवपुरी से जुड़ा एक ऐसा नाम भी रहा, जो राज कपूर जैसे अभिनेता के प्रेरणास्रोत थे और जिनके घर महात्मा गांधी जैसे महापुरुष आया करते थे? जी हां, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व की, जिनका जीवन साहित्य, शिक्षा, दर्शन, खेल और सामाजिक चेतना से जुड़ा हुआ था — श्री राम मेहता।

पेशावर से शिवपुरी तक का प्रेरक सफर


28 अप्रैल 1907, अविभाजित भारत के झेलम नदी के किनारे बसे एक छोटे से गांव भोंन (जिला चकलाम) में श्री राम मेहता का जन्म हुआ। उनके पिता दाता कृपा राम, पेशावर में सूखे मेवों के व्यवसायी थे। उनके घर का माहौल व्यापारिक तो था ही, साथ ही शिक्षा, नैतिकता और संतुलित विचारों से ओतप्रोत भी।

उन्हीं दिनों पेशावर में ही उनके पड़ोसी थे पृथ्वीराज कपूर, और इन्हीं के पुत्र राज कपूर से श्री राम मेहता की मित्रता बाल्यकाल में ही आरंभ हुई। राज कपूर उन्हें बेहद पसंद करते थे, और चाहते थे कि श्री राम मेहता हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय करें। वे मानते थे कि राम मेहता में वह गहराई, प्रभाव और व्यक्तित्व है जो सिनेमा के परदे पर बड़े प्रभाव के साथ उतर सकता है।

शिक्षा को चुना जीवन का मार्ग


श्रीराम मेहता ने सेंट स्टीफन कॉलेज, नई दिल्ली से दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया। उस समय उनके परिवारजनों की आकांक्षा थी कि वे प्रशासनिक सेवा में जाएं — कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर या तहसीलदार बनें। मगर उन्होंने एक अलग रास्ता चुना।

उन्होंने माना कि समाज को बदलने के लिए कक्षा ही सबसे प्रभावी मंच है। उन्होंने अध्यापन को ही अपने जीवन की साधना और सेवा का माध्यम बनाया।

बाल विवाह का विरोध — 6 वर्ष की उम्र में अद्भुत साहस


जब वे मात्र 6 वर्ष के थे, तब उनका विवाह तय कर दिया गया। लेकिन बचपन में ही उन्होंने समाज की इस प्रथा का विरोध किया। जब सगाई की तैयारियाँ चल रही थीं, तो वे घर के आंगन में खड़े बेर के झाड़ में छिप गए। यह विद्रोह कोई आवेश नहीं था — यह उनके भीतर गहरे बैठी आध्यात्मिक चेतना और संतवाणी के प्रभाव से उपजा निर्णय था।

अंग्रेजी के विद्वान और हॉकी संगठन के सचिव


श्री राम मेहता अंग्रेजी भाषा के प्रकांड विद्वान थे। साथ ही वे ऑल इंडिया हॉकी एसोसिएशन के सचिव भी रहे। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि महात्मा गांधी भी उनके घर आया करते थे और उन्हें बहुत सम्मान देते थे।

विभाजन की विभीषिका और शिवपुरी का आगमन


8 अगस्त 1947 को जब भारत का विभाजन हुआ, तब श्री राम मेहता का परिवार पेशावर से भारत की ओर निकला। यह सफर आसान नहीं था। लेकिन इस कठिन समय में उनके सहायक बने एक भारतीय वायुसेना के अधिकारी, जो ग्वालियर निवासी थे। उन्होंने इस परिवार को सुरक्षित भारत लाने में मदद की और आगे चलकर अपने पुत्र जोग ध्यान छिब्बर के साथ श्री राम मेहता की सुपुत्री शमा का विवाह भी कराया।

शिवपुरी में शिक्षा का दीपक — छिब्बर स्कूल की शुरुआत


यही शमा छिब्बर थीं, जिन्होंने वर्ष 1959 में शिवपुरी में एक छोटे से कमरे से बाल शिक्षा निकेतन विद्यालय की स्थापना की। यह वही स्कूल है जिसे आज शिवपुरी में हर कोई छिब्बर स्कूल के नाम से जानता है। इस स्कूल ने हजारों छात्रों को शिक्षा और संस्कार दिए — और यह सब संभव हुआ क्योंकि उनके पिता श्री राम मेहता ने शिक्षा को प्राथमिकता दी थी।

संसार से विदाई, पर प्रेरणा बनी रही


14 मार्च 1992, शिवपुरी में श्री राम मेहता ने शांतिपूर्वक इस संसार से विदाई ली। वे अपने पीछे छोड़ गए एक गहरी विचारधारा, सादगीपूर्ण जीवन का उदाहरण और वह विरासत, जो आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाती रहेगी।

उनकी पत्नी विद्या देवी, और 10 संतानों (6 पुत्र, 4 पुत्रियाँ) का यह परिवार आज भी उनके मूल्यों और विचारों को आत्मसात किए हुए है।

शिवपुरी को गर्व है


श्री राम मेहता न तो मंचों के भव्य भाषणों में गूंजे, न अख़बारों की सुर्खियों में रहे, लेकिन उनके कार्य आज भी शिवपुरी की आत्मा में बसे हुए हैं। वे उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता, नैतिकता और शिक्षा को जीवन का उद्देश्य बनाया।

शिवपुरी, गर्व कर — तेरे शहर में कभी एक ऐसा व्यक्तित्व रहा, जो राज कपूर की प्रेरणा और गांधीजी का सम्मान था।
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