शिवपुरी की पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास एक शोधपरक आलेख
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लेखक: दिवाकर शर्मा, संपादक – क्रांतिदूत
शिवपुरी केवल एक ऐतिहासिक नगर नहीं, विचारों का उद्गम है, संवादों का केंद्र है, और पत्रकारिता की तपोभूमि है। यहां की पत्रकारिता का इतिहास जितना प्राचीन और समृद्ध है, उतना ही प्रेरणादायक भी। यह इतिहास केवल समाचार पत्रों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि समाज की चेतना, संघर्ष और परिवर्तन की कहानी है। शिवपुरी की मिट्टी में न जाने कितने लेखकों, संपादकों, संवाददाताओं, फोटोग्राफरों और वक्ताओं ने अपने विचारों की स्याही से कालजयी अध्याय रचे हैं। यह आलेख उन सभी पत्रकारों, लेखकों और संस्थानों की स्मृति और योगदान को श्रद्धांजलि है जिन्होंने शिवपुरी को पत्रकारिता के मानचित्र पर एक सशक्त स्थान दिलाया।
शिवपुरी में पत्रकारिता की शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन की हलचलों के बीच हुई। वर्ष 1946 में ‘साप्ताहिक विजय’ के रूप में पहला स्थानीय समाचार पत्र प्रकाशित हुआ, जिसके संपादक स्वर्गीय नेमीचंद्र जैन और प्रकाशक स्वर्गीय नरहरी शर्मा थे। यह पत्र उस समय की परिस्थितियों, जनभावनाओं और सामाजिक चेतना का प्रतिनिधि बनकर उभरा। इससे पहले ही स्वर्गीय गोपाल कृष्ण पौराणिक, बंबई से प्रकाशित 'रूलर इंडिया' के संपादक रहते हुए शिवपुरी की पत्रकारिता को दिशा दे चुके थे।
1960 का दशक शिवपुरी पत्रकारिता के लिए विकास का युग रहा। इसी दौर में पूर्व मंत्री स्वर्गीय गौतम शर्मा ने ‘दैनिक नवप्रभात’ का संपादन किया और करैरा निवासी विष्णुचरण भार्गव को पत्रकारिता से जोड़ा। भार्गव ने आगे चलकर नवभारत भोपाल, ग्वालियर और भास्कर जैसे बड़े समाचार पत्रों में सेवाएं दीं। यही वह समय था जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरदास गुप्ता ने ‘शिवपुरी समाचार’ का संपादन शुरू किया। वहीं दूसरी ओर जीवनलाल व्यास, जो दस्यु अमृतलाल से पारिवारिक रिश्तों के कारण चर्चा में भी रहे, उन्होंने ‘शिवपुरी समाज’ का प्रकाशन किया। बाद में इसके संपादक स्वर्गीय गोविंद गर्ग बने और प्रकाशक गोपाल गंभीर रहे। जीवनलाल व्यास के पुत्र विनोद व्यास ने आगे चलकर ‘प्रचंड पुकार’ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया।
इस दौर में ‘दैनिक निरंजन’ का भी प्रकाशन हुआ, जिसके प्रकाशक शंभूदयाल सक्सैना और संपादक गणपति स्वरूप श्रीवास्तव थे। एडवोकेट उत्तमचंद्र जैन, जो स्वदेश के पहले संवाददाता माने जाते हैं, ने पत्रकारिता की आधारशिला मजबूत की। इस क्रम में स्वर्गीय बल्लभ दास मंगल का योगदान उल्लेखनीय रहा जिन्होंने ‘शिवपुरी दर्पण’ का प्रकाशन और संपादन किया, हालांकि एक विवादित लेख के कारण 1969 में यह समाचार पत्र बंद करना पड़ा।
घनश्याम सिंह चंदेल ने इस दशक में 'वीर तात्या' साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला और पत्रकारिता के क्षेत्र में पंडित हरिशंकर शर्मा को जोड़ा। शर्मा ने आगे चलकर 15 अगस्त 1975 को ‘शिवपुरी नवयुग’ की नींव रखी। इसके बाद रफत अधीर ने ‘शिवपुरी टाइम्स’ और अजय सक्सैना द्वारा प्रकाशित ‘साप्ताहिक चक्रव्यूह’ जैसे समाचार पत्रों ने भी अपना प्रभाव डाला। आगे चलकर हरिहर निवास शर्मा ने ‘वीर अर्जुन’, ‘पांचजन्य’, ‘राष्ट्र धर्म’ के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ ‘क्रांतिदूत’ नामक साप्ताहिक पत्र की शुरुआत की। आज यही 'क्रांतिदूत' डिजिटल युग में www.krantidoot.in और क्रांतिदूत यूट्यूब चैनल के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ा और देखा जा रहा है, जिसके संपादक उनके पुत्र दिवाकर शर्मा हैं।
प्रेम नारायण नागर ने शिवपुरी में ‘नई दुनिया’ की नींव रखी। वहीं डॉ. उपेंद्र विश्वास ने ‘स्वदेश’ में सह-संपादक के रूप में योगदान दिया। कमलकांत सक्सैना ने ‘ग्वालियर बाजार’ नामक पत्रिका का संपादन किया और ‘नई दुनिया’ तथा ‘भास्कर’ से भी जुड़े। सुरेन्द्र भारद्धाज और वीरेन्द्र भारद्धाज ने ‘वीर अर्जुन’ सहित अनेक समाचार पत्रों में कार्य किया। हरीश पाठक ‘स्वदेश’, ‘सरिता’, ‘मुक्ता’, ‘भू भारती’ के सह-संपादक रहे, वहीं योगेन्द्र योगी ‘दैनिक भास्कर’ और ‘स्वदेश’ के संपादकीय विभाग का हिस्सा बने। स्व. वीरेंद्र वशिष्ठ, गणपति स्वरूप श्रीवास्तव के बाद ‘स्वदेश’ के प्रमुख सर्वेसर्वा बने। अरुण अपेक्षित ‘ग्वालियर बाजार’ संवाददाता रहे, साथ ही 'सरिता', 'मुक्ता', 'भू भारती' के विश्वविद्यालय प्रतिनिधि भी रहे। वे 'शिवपुरी नवयुग' के संपादक रहे, 2002 से जिला पंचायत शिवपुरी के मीडिया प्रभारी और 2007 से जनसंपर्क कार्यालय में संवाद मित्र के रूप में सेवाएं दीं।
स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में प्रमोद भार्गव एक प्रतिष्ठित नाम बने। नई दिल्ली से साहित्यिक कृतियों के प्रकाशक के रूप में शुरुआत करने के बाद वे जनसत्ता के संवाददाता बने और आज भी स्वतंत्र लेखक के रूप में सक्रिय हैं। आलोक इंदौरिया ने 1996 में एमपी क्रॉनिकल, पंजाब केसरी, माया पत्रिका, इंडिया न्यूज, शुक्रवार वीकली, माया पत्रिका, आदित्याज, लोकसत्य जैसे संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया और आज भी लेखन से जुड़े हुए हैं और युवा पत्रकारों का सतत मार्गदर्शन कर रहे हैं।
जैसे-जैसे 90 का दशक आया और पत्रकारिता मिशन से व्यवसाय की ओर अग्रसर हुई ऐसे समय में स्व. मदन नागपुरकर, स्व. जयकिशन शर्मा, अशोक कोचेटा, अशोक जैन गुगलिया, विपिन शुक्ला, वीरेन्द्र भुल्ले, अनुपम शुक्ला, संजय बेचैन, परवेज़ खान, वीरेन्द्र बंसल, उमेश भारद्वाज, अजीत जैन, मेहताब सिंह तोमर, बृजेश सिंह तोमर, पवन शर्मा, नंद किशोर राठी, रामस्वरूप रिहारिया, अजय खेमरिया, चंद्रपाल सिंह सिकरवार, राकेश शर्मा, शैलेन्द्र गुप्ता, उपदेश अवस्थी, विवेक वर्धन शर्मा, अजय शर्मा, सत्यम पाठक, मुकेश जैन, संजीव सिंह चौहान, मनीष भारद्वाज, अभय कोचेटा, अजय गौतम, गुरुशरण शर्मा, भरत भारतीय, ज्ञानचंद्र जैन, लक्ष्मी शर्मा, संजीव बांझल, संतोष शर्मा, अजीत ठाकुर, सुनील व्यास, आशुतोष शर्मा, कृष्ण गोपाल शर्मा, फरमान अली, विजय चौकसे, कपिल शर्मा, आशीष श्रीवास्तव, रामनिवास कोटिया, महेश उपाध्याय, अजय सिंह कुशवाह, देवेन्द्र शर्मा, संजीव मिश्र, तरुण कुमार सलूजा, रेखा कोठारी, राहुल गर्ग, सुनील शर्मा, लोकेंद्र सेंगर, सैमुअल दास, मुकेश शिवहरे, रिंकू जैन जैसे अनेकों पत्रकारों ने अपनी लेखनी से समाज को दिशा दी।
फोटोग्राफी पत्रकारिता की बात करें तो स्वर्गीय श्री हरि उपमन्यु के बाद गजेन्द्र वाजपेयी, ब्रजेश दुबे, नरेन्द्र शर्मा, संजय ढींगरा, नरेन्द्र नामदेव, भूपेन्द्र, यशपाल खन्ना जैसे छायाकारों ने पत्रकारिता में दृश्यों की ताकत को साबित किया। वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगमन के साथ शिवपुरी के पत्रकारों ने नये माध्यमों में भी पहचान बनाई। वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव ने आज तक में, मनोज भार्गव ने ईटीवी में, प्रवीण चित्रांश ने सहारा समय में, ध्रुव उपमन्यु ने ज़ी न्यूज़ में, रंजीत गुप्ता ने आकाशवाणी और दूरदर्शन में, अतुल गौड़ ने NDTV में, भूपेन्द्र विकल ने जनमत न्यूज़ में, संजय भेटेले ने जैन टीवी में और अशोक अग्रवाल ने नगर दर्शन में कार्य कर शिवपुरी का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।
जब पत्रकारिता डिजिटल युग में प्रवेश कर रही थी, तब वेब पोर्टल मीडिया के क्षेत्र में शिवपुरी में सबसे चर्चित नाम बना ललित मुद्गल, जिन्होंने वेब आधारित पत्रकारिता को नई ऊंचाई दी और आज भी डिजिटल स्पेस में सक्रिय हैं।
वर्तमान में शिवपुरी में पत्रकारिता के विभिन्न माध्यमों में सक्रिय कुछ प्रमुख नाम हैं – देवू समाधिया, के.के. दुबे, नेपाल बघेल, राजकुमार शर्मा, सौरव दुबे, दिवाकर शर्मा, राज्यवर्धन सिंह, राजू ग्वाल, कपिल मिश्रा, रोहित मिश्रा, वीरेन्द्र चौहान "चर्चित", सौरव भार्गव करैरा, नीरज कुमार छोटू, राम वीर गुर्जर आदि।
महिला पत्रकारों की बात करें तो वर्तमान में सक्रिय महिला पत्रकारों में शालू गोस्वामी जैसे नाम प्रमुख हैं जो पत्रकारिता में स्त्री सशक्तिकरण की मिसाल बनी हैं।
शिवपुरी की पत्रकारिता केवल समाचार संप्रेषण का माध्यम नहीं रही, बल्कि यह एक आंदोलन रही है – समाज के सच को उजागर करने का, पीड़ित की आवाज़ बनने का, व्यवस्था को आईना दिखाने का। यह परंपरा आज भी जीवित है और निरंतर विकसित हो रही है। इस आलेख के माध्यम से हम केवल अतीत का स्मरण नहीं कर रहे, बल्कि उन नींव रखने वालों को नमन कर रहे हैं, जिनकी वजह से शिवपुरी की पत्रकारिता आज भी जीवंत, जुझारू और विश्वसनीय है।
यदि आप शिवपुरी के पत्रकारिता इतिहास से जुड़े हैं या इसके किसी पृष्ठ का हिस्सा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए एक दस्तावेज़ है—आपकी यात्रा का, आपकी भूमिका का और आपके योगदान का सम्मान।
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दिवाकर की दुनाली से
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