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विश्व पर्यटन दिवस 2025 – सप्ताहभर चले समारोह का वैलिडिक्टरी कार्यक्रम सम्पन्न

 


धर्मशाला, 27 सितम्बर 2025।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के यात्रा पर्यटन और आतिथ्य प्रबंधन स्कूल द्वारा आयोजित विश्व पर्यटन दिवस सप्ताह 2025 का समापन समारोह आज विश्वविद्यालय के धर्मशाला परिसर में गरिमामयी वातावरण में सम्पन्न हुआ। “पर्यटन और सतत परिवर्तन” केवल एक नारा भर नहीं, बल्कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी आवश्यकता का प्रतिबिंब है—कैसे पर्यटन को आर्थिक विकास का साधन बनाते हुए हम पर्यावरणीय संतुलन, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित कर सकते हैं। यह समारोह माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सत प्रकाश बंसल के गतिशील नेतृत्व में आयोजित हुआ। सप्ताहभर चले इस आयोजन में 25 से अधिक शैक्षणिक, अकादमिक, सांस्कृतिक और सहभागिता-आधारित कार्यक्रम और अनुभवात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ-साथ स्थानीय समुदाय और पर्यटन जगत के विभिन्न हितधारकों की व्यापक भागीदारी रही। इनमें राष्ट्रीय क्विज़, डिक्लेमेशन, ट्रेज़र हंट, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, हितधारक सम्मेलन, पर्यटन प्रदर्शनी, पैनल चर्चाएँ और छात्र-उद्यमिता प्रदर्शनियाँ शामिल थीं।

आयोजन का उद्देश्य छात्रों में पर्यटन शिक्षा, सांस्कृतिक चेतना, व्यावहारिक कौशल और समुदाय के साथ जुड़ाव को सुदृढ़ करना रहा। इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) सत प्रकाश बंसल मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल माध्यम से जुड़े। उन्होंने छात्रों, संकाय और उपस्थित सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यटन अब केवल यात्रा या अवकाश का साधन नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन का प्रमुख वाहक बन चुका है। उन्होंने इस वर्ष की वैश्विक थीम “पर्यटन और सतत परिवर्तन’ की प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा कि –“सतत परिवर्तन तभी संभव है जब पर्यटन का उद्देश्य केवल आय सृजन तक सीमित न रहकर समाज और पर्यावरण की बेहतरी को भी साथ लेकर चले। पर्यटन को हमें इस प्रकार विकसित करना चाहिए कि वह प्रकृति संरक्षण, सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और स्थानीय समुदाय के समावेशी विकास का आधार बने।”

प्रो. बंसल ने कहा कि आज पूरी दुनिया पर्यटन की परिवर्तनकारी शक्ति को स्वीकार कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में पर्यटन शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उनका कहना था कि भारत विविधताओं का देश है और यदि हम स्थिरता, प्रौद्योगिकी, सामुदायिक धारणा को केंद्र में रखकर पर्यटन मॉडल तैयार करें, तो भारत विश्व स्तर पर एक सस्टेनेबल और इनोवेटिव टूरिज़्म हब के रूप में उभर सकता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि –“नई पीढ़ी के पास अवसर है कि वे पर्यटन प्रबंधन, डिजिटल प्लेटफॉर्म, ग्रीन इनोवेशन और लोकल-ग्लोबल कनेक्टिविटी के माध्यम से उद्यमिता और नेतृत्व का उदाहरण प्रस्तुत करें। आने वाले वर्षों में यह वही युवा शक्ति होगी जो न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी बल्कि इसे विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने में भी अहम योगदान देगी।”

कुलपति ने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यटन केवल रोजगार या आय का साधन नहीं है, बल्कि यह संस्कृति और प्रकृति का जीवन्त संरक्षण भी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह दायित्व है कि छात्रों को स्किल-बेस्ड एजुकेशन, रिसर्च और इंडस्ट्री-लिंक्ड एक्सपोज़र प्रदान किया जाए, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तरदायी पर्यटन पेशेवर के रूप में पहचान बना सकें।

विशिष्ट अतिथि प्रो. विशाल सूद, निदेशक, दूरस्थ शिक्षा केंद्र, ने अपने संबोधन में पर्यटन विकास के आर्थिक और भौगोलिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि –“पर्यटन में आकर्षण और पहुँच के बीच विपरीत संबंध होता है। जितना कोई गंतव्य अधिक सुलभ होता है, उतना ही उसकी आकर्षण शक्ति दीर्घकाल में घट सकती है। इसलिए हमें अवसंरचना विकास संतुलित और गणितीय दृष्टिकोण से करना चाहिए।” मुख्य वक्ता डॉ. जितेन्द्र गर्ग, परीक्षा नियंत्रक, ने हिमाचल प्रदेश की पर्यटन क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह राज्य प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक धरोहर से सम्पन्न है। लेकिन इस समृद्ध संसाधन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पर्यटन प्रबंधन अनिवार्य है।

समारोह का सांस्कृतिक कार्यक्रम की रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ का हिस्सा कार्यक्रम का सबसे आकर्षक रहीं। इसमें हिमाचली लोक नृत्य, गुजरात का गरबा, केरल और ओडिशा की प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। इन प्रस्तुतियों ने भारत की ‘एकता में विविधता’ की भावना को मंच पर जीवंत कर दिया। सांस्कृतिक विविधता ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की झलक प्रस्तुत की। सप्ताहभर चली प्रतियोगिताओं और आयोजनों में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिताएँ और छात्र सहभागिता सप्ताहभर के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं में छात्रों ने अत्यधिक उत्साह के साथ भाग लिया। राष्ट्रीय क्विज़ में 23+ टीमों, ट्रेज़र हंट में 20+ टीमों, डिक्लेमेशन में 15+ प्रतिभागियों और प्रदर्शनी में 8+ प्रदर्शकों तथा हितधारक सम्मेलन में शामिल रहे। इन गतिविधियों ने छात्रों को हैंड्स-ऑन अनुभव, नेतृत्व कौशल और सामुदायिक जुड़ाव का अवसर प्रदान किया।

विश्व पर्यटन दिवस 2025 की वैश्विक थीम – “पर्यटन और सतत परिवर्तन” को साकार करते हुए इस समारोह ने यह संदेश दिया कि पर्यटन केवल आर्थिक विकास का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय का यह आयोजन शिक्षा, अनुसंधान और समुदाय के संगम का उदाहरण है, जो आने वाले वर्षों में छात्रों को वैश्विक स्तर पर सक्षम और जिम्मेदार पर्यटन पेशेवर बनाने में सहायक होगा।

विश्वविद्यालय का यह आयोजन उनके उस विचार को मूर्त रूप देता है कि शिक्षा केवल ज्ञान का संग्रह नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के साथ संवेदनशील जुड़ाव का माध्यम भी होनी चाहिए। संकाय की डीन प्रोफेसर सुमन शर्मा, प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्ठ, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आशीष नाग के मार्गदर्शन इस समारोह कार्यक्रमों को और अधिक समृद्ध व सार्थक बना दिया। इस समारोह के संयोजक प्रोफेसर देबाशीष साहू और सह-संयोजक प्रोफेसर अमित गंगोटिया, व उनकी टीमवर्क, युवा संकाय, शोधार्थियों और छात्रों के सहयोग से यह सुनिश्चित हुआ कि पर्यटन सप्ताह 2025 विश्वविद्यालय कैलेंडर के सबसे व्यापक और बहुआयामी आयोजनों में से एक बने। पर्यटन सप्ताह केवल औपचारिक आयोजन भर नहीं, बल्कि अनुभवात्मक शिक्षा की उस दृष्टि का हिस्सा है जिसमें छात्र कक्षा के ज्ञान को वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़ते हैं।

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