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पत्रकारिता की आड़ में झूठ का कारोबार, अकादमी निदेशक ने सचदेव को दिखाया आईना

 

भोपाल/इंदौर।

सिन्धी साहित्य अकादमी, भोपाल के निदेशक राजेश वाधवानी ने इंदौर निवासी पत्रकार राजेंद्र सचदेव द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर किए जा रहे आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए फेसबुक पर एक विस्तृत पोस्ट लिखी है। वाधवानी ने पत्रकार सचदेव को आईना दिखाते हुए कहा कि वह पत्रकारिता की आड़ में अकादमी और उनके प्रति भ्रामक जानकारी फैलाकर दुष्प्रचार कर रहे हैं।


राजेश वाधवानी ने साफ शब्दों में कहा कि अकादमी के पुरस्कार या सम्मान किसी निदेशक की मनमानी पर आधारित नहीं होते, बल्कि इसके लिए विधिवत प्रक्रिया अपनाई जाती है। सबसे पहले विभिन्न नाम संचालनालय तक भेजे जाते हैं, फिर jury का गठन होता है, जो निर्धारित मापदंडों और साहित्यिक योग्यता के आधार पर अनुशंसा करती है। इसके बाद अंतिम स्वीकृति मंत्री स्तर से प्राप्त होने पर ही घोषणा की जाती है। निदेशक के हिस्से में केवल औपचारिक घोषणा करना आता है।


वाधवानी ने सचदेव के इस आरोप को भी गलत बताया कि साहित्य गौरव सम्मान किसी विशेष पुस्तक के लिए दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान साहित्यकारों के सम्पूर्ण साहित्यिक योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं, किसी एक पुस्तक के आधार पर नहीं।


लिपि विवाद पर भी वाधवानी ने सचदेव को आड़े हाथों लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह केवल देवनागरी लिपि के समर्थक हैं और निदेशक बनने के बाद उन्होंने एम.ए. भी देवनागरी में ही किया है। परंतु पुराने साहित्य को देवनागरी में लिप्यांतरित करने के लिए दोनों लिपियों की जानकारी रखने वालों की आवश्यकता होती है। उन्होंने चुनौती दी कि यदि सचदेव को आपत्ति है तो पहले संविधान की आठवीं अनुसूची से सिन्धी लिपि की मान्यता रद्द करवाने का अभियान चलाएं।


वाधवानी ने यह भी आरोप लगाया कि जब लोग सचदेव की भ्रामक पोस्ट पर विरोधी टिप्पणी करते हैं तो वह उन कमेंट्स को डिलीट कर देते हैं। उन्होंने कहा– “अपनी क्रिया की प्रतिक्रिया को भी स्वीकार करने की हिम्मत रखिए राजेन्द्र जी।”


पत्रकारिता के अपने अनुभव को साझा करते हुए वाधवानी ने बताया कि उन्होंने भी वर्ष 2003 से 2019 तक पत्रकारिता की है और अधिमान्य पत्रकार रहे हैं, लेकिन कभी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी पर झूठे आरोप नहीं लगाए। उन्होंने सचदेव को नसीहत देते हुए लिखा– “खिलौना बनकर किसी के हाथों में मत खेलिए।”


वाधवानी ने यह भी चेतावनी दी कि सचदेव द्वारा उनकी फेसबुक वॉल पर सूचना के अधिकार से संबंधित तथ्यों की मनमानी व्याख्या इस हद तक की गई है कि वे चाहें तो उनके खिलाफ न्यायालय का दरवाज़ा भी खटखटा सकते हैं, लेकिन उनकी उम्र का ख्याल रखते हुए अब तक चुप रहे हैं।


इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अकादमी निदेशक ने पत्रकारिता की आड़ में व्यक्तिगत द्वेष फैलाने वालों को करारा जवाब दिया है और स्पष्ट कर दिया है कि झूठ और भ्रम फैलाकर न तो संस्थान की गरिमा धूमिल की जा सकती है और न ही उनकी साख पर कोई आंच आ सकती है।

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